कुरुक्षेत्र – Mahabharat भारत का सबसे प्राचीन और महान ग्रंथ है, जिसे महाकाव्य कहा जाता है। इसे ‘पंचम वेद’ भी कहा गया है। ये न केवल युद्ध की कहानी है, बल्कि धर्म, नीति, न्याय, मोह, अहंकार और मोक्ष की भी गहराई से व्याख्या करता है। महाभारत का रचना कार्य महर्षि वेदव्यास ने किया था। इसे संस्कृत में लिखा गया और इसमें लगभग 1 लाख श्लोक हैं, जिससे ये विश्व का सबसे लंबा महाकाव्य बन जाता है। ये महाकाव्य आपको गीता प्रेस से मिल सकती है।
महाभारत क्यों हुआ था? (Why Did Mahabharat Happen)
महाभारत (Mahabharat) का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। इस युद्ध का मूल कारण था हस्तिनापुर के सिंहासन पर अधिकार और धर्म-अधर्म की लड़ाई। पांडवों ने कई बार शांति की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन ने उन्हें पांच गांव देने तक से मना कर दिया। द्रौपदी का चीरहरण, वनवास, लाक्षागृह, और जुए में छल – ये सब घटनाएं युद्ध की ओर बढ़ते कदम थे। इसलिए महाभारत का युद्ध केवल भूमि या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए हुआ।
महाभारत कितने दिन तक हुआ था?
Mahabharat का युद्ध कुल 18 दिनों तक चला। ये युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था। हर दिन भीषण युद्ध हुआ, जिसमें हजारों योद्धा मारे गए। युद्ध के अंत में केवल कुछ ही योद्धा जीवित बचे।
- दिन 1 से 10: भीष्म पितामह सेनापति रहे
- दिन 11 से 15: गुरु द्रोणाचार्य ने कमान संभाली
- दिन 16-17: कर्ण सेनापति बने
- दिन 18: शकुनि, दुर्योधन, और अश्वत्थामा अंतिम योद्धा बचे
युद्ध का समापन भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में हुआ और अंत में धर्म की विजय हुई।

महाभारत में बर्बरीक की कहानी | बर्बरीक कौन थे?
बर्बरीक Mahabharat का वो वीर योद्धा है, जो महायुद्ध से पहले ही त्याग और भक्ति की मिसाल बन गया। बर्बरीक को कई नामों से जाना जाता है जैसे:
- श्री बर्बरीक
- खाटू श्याम जी (राजस्थान में)
- श्री श्याम बाबा
बर्बरीक पांडवों के पौत्र घटोत्कच का पुत्र था और उनका जन्म राक्षसी माता मौरवी से हुआ था। बाल्यकाल से ही वो अद्भुत योद्धा थे और तीनों लोकों में उनका पराक्रम प्रसिद्ध था।
बर्बरीक को तीन बाण किसने दिए थे?
बर्बरीक को तीन अमोघ बाण उनकी तपस्या और भक्ति के फलस्वरूप भगवान शिव ने दिए थे। एक अन्य कथा में बताया गया है कि, बर्बरीक ने घोर तपस्या की जिससे माता कामाख्या खुश हो गईं। फिर माता कामाख्या ने बर्बरीक को तीन बाण दिए थे। कथाओं में इन बाणों में इतनी शक्ति थी कि—
- पहला बाण दुश्मनों को चिन्हित करता था
- दूसरा बाण उन्हें नष्ट कर देता था
- तीसरा बाण पहले दो की पूर्ति करता था
एक कथा के अनुसार, अगर बर्बरीक महाभारत के युद्ध में उतरते, तो वे सिर्फ एक बाण से पूरी कौरव सेना को खत्म कर सकते थे। इसीलिए उन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है।
बर्बरीक ने युद्ध में भाग क्यों नहीं लिया?
Mahabharat युद्ध से पहले बर्बरीक ने घोषणा की थी कि वो कमज़ोर पक्ष का साथ देगा। क्योंकि उनका सिद्धांत था – “जिसका अन्याय हो रहा है, उसके साथ रहना।” भगवान श्रीकृष्ण को ये बात ज्ञात थी। उन्होंने सोचा कि अगर बर्बरीक युद्ध में उतरे, तो वो हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देंगे, और हर पल पक्ष बदलता रहेगा। अंततः एक ही योद्धा शेष बचेगा – बर्बरीक स्वयं। इससे महाभारत की शिक्षा और उद्देश्य समाप्त हो जाते। इसलिए श्रीकृष्ण ने उनका सिर मांगा।
बर्बरीक का बलिदान: शौर्य और भक्ति की मिसाल
Mahabharat में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका सिर मांगा और बर्बरीक ने बिना हिचक स्वयं अपना शीश दान कर दिया। श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर वादा किया कि—
“कलियुग में तुम श्याम नाम से पूजे जाओगे और तुम्हारी भक्ति सबसे शीघ्र फल देने वाली होगी।”
यही कारण है कि आज राजस्थान के खाटू नगर में स्थित खाटू श्याम जी मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है।
बर्बरीक का विवाह किससे हुआ था?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बर्बरीक का विवाह कामकंठा नामक नागकन्या से हुआ था। हालांकि ये प्रसंग बहुत प्रचलित नहीं है, लेकिन लोककथाओं में इसका उल्लेख मिलता है। बर्बरीक जीवन भर धर्म, न्याय और भक्ति के मार्ग पर चले। उनका जीवन ये सिखाता है कि बलिदान सबसे बड़ी वीरता है।

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महाभारत से मिलने वाली सीखें:
- धर्म की रक्षा करना सर्वोपरि है
- कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए (कौरवों की हार का कारण)
- परिवार में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संवाद आवश्यक है
- श्रीकृष्ण जैसा मार्गदर्शक जीवन में हो तो कठिनाइयां आसान होती हैं
- बलिदान, भक्ति और सत्य की हमेशा जीत होती है
Mahabharat से जुड़े रोचक तथ्य:
- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जो आज विश्व में सबसे प्रसिद्ध ग्रंथों में एक है।
- महाभारत में कुल 18 अध्याय हैं – इसे ‘जय संहिता’, ‘भारत’ और अंत में ‘महाभारत’ नाम मिला।
- भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था।
- कर्ण सूर्य पुत्र थे, जिन्हें राधा और अधिरथ ने पाला था।
Mahabharat सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं, बल्कि मानव जीवन की गहराइयों, संघर्षों और सिद्धांतों की सबसे बड़ी पाठशाला है।
बर्बरीक जैसे योद्धा हमें सिखाते हैं कि सच्चा वीर वही है, जो धर्म और समाज के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दे।