Pakistan के हिंदू भी जाएंगे वापस?, सरकार से मांगी मदद

एक अन्य विस्थापित इसर और उनकी पत्नी भागी ने बताया कि उनका इतिहास जोधपुर के बालेसर गांव से जुड़ा हुआ है। उनके दादा 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान के सांगड़ में बस गए थे, लेकिन अब वे हिंदू होने के कारण वहां प्रताड़ना झेल रहे थे।

Pakisken जाएंगे भारत आए हुए रिफ्यूजी ? ये सवाल यकीनन आपके भी मन में होगा। लेकिन क्या सरकार विस्थापित हिंदूओं को वापस भेज देगी। दरअसल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए जाने वाले अटारी बॉर्डर को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसके बाद सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए ये कदम उठाया। हालांकि, इस फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव Pakistan से आए विस्थापित हिंदू परिवारों पर पड़ रहा है।

ये वे लोग हैं जो पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए थे, लेकिन अब उन्हें 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश मिला है। इस आदेश ने भारत में अलग-अलग शहरों में रह रहे हिंदू विस्थापितों की नींद उड़ा दी है। विस्थापित हिंदुओं ने सरकार से भारत में रहने देने की इजाजत मांगी है। जहां दिल्ली में रह रहे विस्थापित जान देने की बात कर रहे हैं, तो वहीं जोधपुर में रहने वाले विस्थापित पाकिस्तान में मिली प्रताड़ना याद कर घबरा रहे हैं।

Pakistan से आए हिंदू परेशान

राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जैसे शहरों में हजारों पाकिस्तानी हिंदू विस्थापित रहते हैं। इनमें से अधिकांश को अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है, जिसकी वजह से वे पाकिस्तानी नागरिक ही माने जाते हैं। इन्हीं में से एक हैं 55 वर्षीय सादोरी देवी, जो अपने 13 सदस्यों के परिवार के साथ पाकिस्तान के सांगड़ से जोधपुर आई थीं। उन्होंने बताया कि वे 27 मार्च को भारत आई थीं, ताकि यहां बस सकें, लेकिन अब सरकार के आदेश के बाद उन्हें वापस लौटने का डर सता रहा है।

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सादोरी देवी ने कहा, “हमारा परिवार यहां आकर बसना चाहता था। हमारे कुछ रिश्तेदार अभी भी पाकिस्तान में हैं, जिन्हें वीजा मिलने का इंतजार था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं और हमें जल्दी से जल्दी वापस जाना पड़ सकता है।” विस्थापित हिंदुओं की ये बातें हर किसी की आंखें नम कर सकती हैं।

विस्थापित परिवारों की गुहार

एक अन्य विस्थापित इसर और उनकी पत्नी भागी ने बताया कि उनका इतिहास जोधपुर के बालेसर गांव से जुड़ा हुआ है। उनके दादा 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान के सांगड़ में बस गए थे, लेकिन अब वे हिंदू होने के कारण वहां प्रताड़ना झेल रहे थे। भागी ने कहा, “हम अपने बच्चों मनीष, अमेश, दिव्या और चंपा के साथ भारत आए थे। हम यहीं रहना चाहते हैं, लेकिन हमारी बहू अभी भी पाकिस्तान में है। अगर उसे वीजा मिल जाता, तो हम कभी वापस नहीं जाते। लेकिन अब मजबूरी में लौटना पड़ेगा।”

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हजारों पाकिस्तानी हिंदू परेशान– संगठन

सीमांत लोक संगठन के हिंदू सिंह सोढ़ा ने बताया कि जोधपुर में करीब 3,000 पाकिस्तानी हिंदू विस्थापित रह रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब तक इन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिलती, तब तक ये पाकिस्तानी नागरिक ही माने जाएंगे। सरकार के आदेश के बाद सभी डरे हुए हैं।” सोढ़ा ने आगे बताया कि कई विस्थापितों को स्थानीय अधिकारियों ने फोन करके वापस जाने को कहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखकर इन परिवारों को राहत देने की अपील की है।

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क्या होगा इन विस्थापितों का भविष्य?

भारत सरकार का ये फैसला आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख दिखाता है, लेकिन इससे हिंदू विस्थापितों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब सवाल ये है कि:

– क्या इन निर्दोष परिवारों को वापस भेजना उचित होगा?
– क्या सरकार इनके लिए कोई विशेष छूट देगी?
– पाकिस्तान लौटने पर इनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

विस्थापितों की पीड़ा और सरकार की चुनौती

पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा के लिहाज से सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को हो रहा है। ये लोग धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए थे, लेकिन अब उन्हें फिर से असुरक्षित हालात में लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या सरकार इन विस्थापितों के लिए कोई विशेष व्यवस्था करेगी, या फिर उन्हें मजबूरी में पाकिस्तान लौटना पड़ेगा।

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