Caste Census Politics- तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि क्या इस डेटा का उपयोग सामाजिक सुधारों के लिए किया जाएगा या ये पुरानी आयोग रिपोर्टों की तरह अभिलेखागार में धूल खाता रहेगा?
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Caste Census Politics : केंद्र सरकार द्वारा जनगणना के साथ-साथ जातीय जनगणना (Caste Census) कराने के निर्णय के बाद बिहार में Caste Census Politics तेज हो गई है। अब तक महागठबंधन जातीय जनगणना को अपना प्रमुख मुद्दा बनाकर चल रहा था और इसे 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election) में भुनाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के इस फैसले ने राज्य की सियासी गतिविधियों को नया मोड़ दे दिया है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है।

इस पत्र में उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर अपनी मांगें रखी हैं और सरकार से इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का आग्रह किया है। इसके अलावा भी पत्र के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई अहम मांग की गईं हैं। तेजस्वी यादव का ये पत्र Caste Census Politics को जोर देता नजर आ रहा है। इस पत्र में आखिर ऐसा क्या है ? जिसकी चर्चा बिहार से लेकर दिल्ली तक हो रही है? चलिए जानते हैं।

तेजस्वी यादव का पीएम मोदी को पत्र

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में लिखा है – “जाति जनगणना कराने का फैसला हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि सम्मान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे न सिर्फ गिनती चाहते हैं, बल्कि सशक्तिकरण भी चाहते हैं।” तेजस्वी ने आगे लिखा कि “प्रधानमंत्री जी, आपकी सरकार अब एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है। जाति जनगणना का निर्णय देश की सामाजिक न्याय की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमारे पूर्वजों ने दशकों से इन आंकड़ों के संग्रह के लिए संघर्ष किया है, इसलिए इसे लागू करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।”

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जाति जनगणना से क्या होगा?

तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि क्या इस डेटा का उपयोग सामाजिक सुधारों के लिए किया जाएगा या ये पुरानी आयोग रिपोर्टों की तरह अभिलेखागार में धूल खाता रहेगा? उन्होंने कहा कि बिहार का जाति सर्वेक्षण एक सच्चाई उजागर कर चुका है, जिसमें पता चला कि OBC और EBC समुदाय राज्य की आबादी का 63% हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में भी ऐसे ही आंकड़े सामने आ सकते हैं, जो सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई दिशा दे सकते हैं। तेजस्वी की यही बात न सिर्फ बिहार में बल्कि दिल्ली में Caste Census Politics को बढ़ावा देती दिखाई दे रही है।

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Caste Census Politics कर रहे तेजस्वी?

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में कुछ महत्वपूर्ण मांगें भी रखी हैं:

1. आरक्षण का दायरा बढ़ाना: जनगणना के आंकड़ों के आधार पर OBC और EBC समुदायों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।
2. परिसीमन में न्याय: आगामी परिसीमन प्रक्रिया में जाति जनगणना के आंकड़ों को ध्यान में रखा जाए, ताकि वंचित समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
3. राजनीतिक प्रतिनिधित्व: संसद और विधानसभाओं में OBC और EBC समुदायों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
4. निजी क्षेत्र में आरक्षण: तेजस्वी ने मांग की कि निजी क्षेत्र में भी जाति आधारित विविधता लाई जाए, क्योंकि कंपनियों को सरकारी सुविधाएं मिलती हैं, इसलिए उन्हें सामाजिक न्याय की जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए।

बिहार चुनाव में Caste Census Politics?

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना एक बड़ा मुद्दा बन गया है। RJD और महागठबंधन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं, जबकि भाजपा अब तक इस पर स्पष्ट रुख नहीं अपना रही थी।

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– महागठबंधन का रुख: तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी इस मुद्दे को सामाजिक न्याय से जोड़कर चुनावी लाभ लेना चाहते हैं।
– भाजपा की चुनौती: अगर केंद्र सरकार जाति जनगणना कराती है, तो भाजपा को OBC वोट बैंक को संभालना होगा, वरना महागठबंधन को फायदा हो सकता है।

Caste Census से बदलेगा बिहार?

जातीय जनगणना का फैसला बिहार की सियासत को नया आयाम दे सकता है। अगर ये प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी होती है, तो OBC और दलित समुदायों को राजनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूती मिल सकती है। हालांकि, इसके राजनीतिक नतीजे चुनाव के बाद ही स्पष्ट होंगे। तेजस्वी यादव का पत्र इस बहस को और गहरा करता है कि क्या जाति जनगणना सच में सामाजिक बदलाव लाएगी या सिर्फ एक राजनीतिक हथियार बनकर रह जाएगी? अब सबकी नजरें केंद्र सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

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