Bharat Viral News – BVN https://bharatviralnews.com India’s Fastest Viral News Portal – BharatViralNews.com Thu, 25 Sep 2025 15:39:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.2 https://bharatviralnews.com/wp-content/uploads/2025/06/cropped-logo-bv-u-322-32x32.png Bharat Viral News – BVN https://bharatviralnews.com 32 32 Dussehra – Vijayadashami क्यों मनाते हैं ?, जानिए विजयदशमी की पूरी कथा https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/why-is-dussehra-vijayadashmi-celebrated https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/why-is-dussehra-vijayadashmi-celebrated#respond Thu, 25 Sep 2025 15:39:58 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11577 दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पर्व हमें यह शिक्षा देता है कि हमें हर स्थिति में सत्य, धर्म और न्याय का साथ देना चाहिए। लोग इस दिन नए काम शुरू करते हैं क्योंकि विजयदशमी को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

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2025 : भारत त्योहारों की भूमि है, और हर त्यौहार अपनी विशेष मान्यता और परंपरा के कारण लोगों के जीवन को खास बना देता है। इन सभी त्योहारों में दशहरा या विजयदशमी का महत्व सबसे अलग और अद्वितीय माना जाता है। हर साल ये पर्व अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

लोग इस दिन भगवान श्रीराम की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का स्मरण करते हुए खास पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन आज भी बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि दशहरा क्यों मनाया जाता है और इसे विजयदशमी क्यों कहा जाता है। इतना ही नहीं कई लोग विजयदशमी पूजन में कुछ गलतियां कर जाते हैं जो आपके लिए कष्ट पैदा कर देती हैं। Bharat Viral News आज आपके हर सवाल का जवाब विस्तार से देने जा रहा है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है? (Why is Dussehra celebrated)

दशहरा का संबंध सीधे भगवान श्रीराम और रावण युद्ध (Rama and Ravana Fight) से जोड़ा जाता है, जहां श्रीराम ने असत्य पर सत्य की जीत पाई। रामायण के अनुसार जब रावण ने माता सीता का हरण किया, तब भगवान श्रीराम ने लंका जाकर रावण का वध किया। उस युद्ध का अंत अश्विन शुक्ल दशमी को हुआ और इसी दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाने लगा।

इसी वजह से दशहरा को बुराई पर अच्छाई और अन्याय पर न्याय की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये पर्व समाज को सिखाता है कि कितनी भी ताकतवर बुराई क्यों न हो, अंततः अच्छाई की ही जीत होती है। यही कारण है कि, ये पर्व भारत में बड़े भाव से मनाया जाता है।

Dussehra - Vijayadashami Bharat Viral News
Dussehra – Vijayadashami Bharat Viral News

दशहरा पूजन कैसे करें? (How to perform Dussehra Puja?)

दशहरा पूजन का विशेष महत्व होता है, और इस दिन लोग विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करके भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर में भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें।

नवरात्रि के नौ दिन तक पूजे गए घट या कलश का विसर्जन भी दशहरा के दिन किया जाता है। लोग शमी वृक्ष की पूजा करते हैं और इसे सोना या स्वर्णपुष्प अर्पित करके सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की भी परंपरा है, जिससे जीवन में शक्ति और सुरक्षा बनी रहती है।

विजयादशमी क्यों मनाई जाती है? (Why is Vijayadashami celebrated?)

विजयादशमी नाम का अर्थ ही है – विजय प्राप्त करने का दिन, जो हर प्रकार की बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसलिए इसे विजयदशमी के नाम से भी पूरे भारत में मनाया जाता है। कई जगहों पर इस दिन देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का स्मरण भी किया जाता है।

इसलिए ये पर्व दोहरी धार्मिक मान्यता लिए हुए है – श्रीराम की लंका विजय और मां दुर्गा की असुरों पर विजय। यही कारण है कि विजयदशमी का पर्व शक्ति, साहस और धर्म की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।

दशहरा और विजयादशमी के साथ-साथ महिषासुर वध कथा का भी गहरा संबंध है। भारत के कई हिस्सों में दशहरे को केवल राम-रावण युद्ध से ही नहीं, बल्कि देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की स्मृति में भी मनाया जाता है। तो चलिए इस कथा को भी विस्तार से समझते हैं।

Mahishasur Vadh Katha Bharat Viral News
Mahishasur Vadh Katha Bharat Viral News

महिषासुर वध कथा (Mahishasur Vadh Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया। वरदान ये था कि कोई भी देवता या असुर उसे मार नहीं सकेगा, केवल एक स्त्री ही उसका अंत कर पाएगी।

वरदान पाकर महिषासुर अत्याचारी बन गया और स्वर्गलोक पर आक्रमण करके देवताओं को वहां से निकाल दिया। उसका आतंक इतना बढ़ गया कि धरती, पाताल और स्वर्ग – तीनों लोक उसके अत्याचारों से परेशान हो गए।

देवी दुर्गा का प्रकट होना

देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वे महिषासुर का अंत करें। तीनों महादेवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों को मिलाकर एक अद्भुत तेज उत्पन्न किया। उस तेज से माता आदिशक्ति दुर्गा का प्राकट्य हुआ, जो दस भुजाओं वाली थीं और हर भुजा में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए थीं। देवताओं ने अपने-अपने दिव्य अस्त्र माता दुर्गा को प्रदान किए, जिससे वे और भी शक्तिशाली हो गईं।

महिषासुर और दुर्गा का युद्ध

माता दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा, तब महिषासुर ने कई दिन और रात चलने वाला युद्ध किया। वो कभी महिष (भैंसा), कभी सिंह, कभी हाथी और कभी पुरुष का रूप धारण कर माता से युद्ध करता रहा।

माता दुर्गा ने धैर्य और शक्ति के साथ हर रूप में उसे परास्त किया और अंततः अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। महिषासुर के मरने के बाद तीनों लोकों में शांति स्थापित हुई और देवताओं ने माता दुर्गा की स्तुति की।

विजयादशमी का महत्व

महिषासुर वध की इस कथा के कारण विजयादशमी को देवी दुर्गा की असुरों पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश समाज को मिलता है और स्त्री शक्ति की महिमा का आदर किया जाता है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वी भारत में दशहरे को दुर्गा पूजा का समापन माना जाता है। महिषासुर वध की याद में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है और लोग देवी दुर्गा की विजय का उत्सव मनाते हैं।

महिषासुर वध कथा हमें सिखाती है कि जब भी बुराई और अन्याय का आतंक बढ़ता है, तब दिव्य शक्ति उसका अंत करती है। ये कथा स्त्री शक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाती है, कि एक नारी भी बड़े से बड़े दानव का वध कर सकती है। इसी कारण दशहरे का पर्व न केवल राम-रावण युद्ध से जुड़ा है, बल्कि देवी दुर्गा की विजय से भी जुड़ा हुआ है।

Happy Dussehra Bharat Viral News
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दशहरा कब मनाया जाता है?

हर साल दशहरा नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन यानी दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को पूरे देशभर में मनाया जाता है। 2025 में दशहरा का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा, पंचांग के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। ये दिन शुभ मुहूर्त और धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से बहुत पावन और मंगलकारी माना जाता है। लोग इस दिन रावण दहन करते हैं और एक-दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएं देकर खुशियां बांटते हैं।

दशहरा का क्या महत्व है?

दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पर्व हमें यह शिक्षा देता है कि हमें हर स्थिति में सत्य, धर्म और न्याय का साथ देना चाहिए। लोग इस दिन नए काम शुरू करते हैं क्योंकि विजयदशमी को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

कई क्षेत्रों में इस दिन अस्त्र-शस्त्र और वाहन की पूजा करके अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने की परंपरा है। इसके अलावा किसान दशहरे के दिन अपने खेतों में हल चलाकर नए कृषि कार्यों की शुरुआत करते हैं।

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहा जाता है?

दशहरे को विजयदशमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। ‘विजय’ का अर्थ है जीत और ‘दशमी’ का अर्थ है दसवीं तिथि, इसलिए इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है। इस दिन अच्छाई की विजय का पर्व मनाया जाता है और समाज को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती है।

कई स्थानों पर रावण दहन के साथ मेघनाद और कुम्भकर्ण का दहन भी किया जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है। इस तरह दशहरे को विजयदशमी कहना इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।

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दशहरा और सामाजिक परंपराएं

भारत के अलग-अलग राज्यों में दशहरा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है और हर जगह की अपनी मान्यता होती है। उत्तर भारत में रावण दहन की परंपरा है जबकि दक्षिण भारत में देवी दुर्गा की विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में लोग शमी वृक्ष के पत्ते एक-दूसरे को देकर ‘सोना’ कहते हैं और समृद्धि की शुभकामनाएं देते हैं। पश्चिम बंगाल में दशहरे को दुर्गा पूजा का समापन माना जाता है और माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होता है। इस तरह दशहरा एक ऐसा पर्व है जो पूरे भारत को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में पिरोता है।

दशहरा और आध्यात्मिक दृष्टि

आध्यात्मिक रूप से दशहरा हमें ये याद दिलाता है कि मनुष्य को अपने भीतर की बुराइयों को नष्ट करना चाहिए। अहंकार, क्रोध, लोभ और असत्य जैसे नकारात्मक गुण रावण के प्रतीक हैं जिन्हें हर दशहरा समाप्त करने की प्रेरणा देता है। लोग इस दिन संकल्प लेते हैं कि वे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन को सफल और सार्थक बनाएंगे।

दशहरा आत्मशुद्धि और आत्मबल को मजबूत करने का पर्व है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यही वजह है कि दशहरा केवल बाहरी उत्सव ही नहीं बल्कि आंतरिक साधना और आत्मविकास का भी दिन माना जाता है।

दशहरा या विजयदशमी का पर्व भारतीय संस्कृति और धर्म का सबसे पावन और प्रेरणादायक पर्व माना जाता है। ये पर्व हमें जीवन में सत्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा देता है और बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देता है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व और पूजा विधि हर व्यक्ति को अपनी परंपरा के अनुसार समझनी चाहिए। विजयदशमी अच्छाई की विजय का पर्व है, जिसे हर साल पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसलिए दशहरे को विजयदशमी कहा जाता है और यह पर्व हमेशा हमें जीवन में अच्छाई की राह दिखाता रहेगा। अंत में Bharat Viral News की ओर से आपको और आपके परिवार को दशहरा और विजयादशमी की हार्दीक शुभकामनाएं।

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Ladakh Protest : लेह में क्यों हो रहा प्रदर्शन ? साजिश में फंस गए Gen Z ? https://bharatviralnews.com/special/gen-z-ladakh-protest https://bharatviralnews.com/special/gen-z-ladakh-protest#respond Wed, 24 Sep 2025 16:39:36 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11571 पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में करीब चार लोगों की मौत हुई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। लेह जिला प्रशासन ने तुरंत धारा 144 लागू कर दी और पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी।

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: लद्दाख में बेहद दुखद तस्वीरें सामने आई हैं। जिसे देखने के बाद देश का हर शख्स उदास है। लेकिन इन तस्वीरों के पीछे कौन हैं ? आखिर लेह में प्रदर्शन क्यों हो रहा है ? ये जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। आलम ये है कि, अब कहा जा रहा है कि, ये आंदोलन Gen Z चला रहे हैं।

लेकिन क्या सच में ये आंदोलन Gen Z चला रहे हैं ? अगर ये Gen Z चला रहे हैं तो इनकी मांग क्या है ? चलिए Bharat Viral News आज आपको पूरी जानकारी देने जा रहा है। सबसे पहले आपको बता दें कि, इस प्रदर्शन और हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत की खबर है साथ ही 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की जानकारी मिल रही है।

लद्दाख क्यों हो रहा है?

लद्दाख में युवाओं और संगठनों की मुख्य मांग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया जाना है। अनुच्छेद 370 हटने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, जिससे स्थानीय असंतोष बढ़ा।

लद्दाख Protest में स्थानीय समुदायों का कहना है कि भूमि, संस्कृति और रोजगार पर बाहरी प्रभाव लगातार खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। युवाओं का आरोप है कि सरकार ने वादा किया था कि छठी अनुसूची लागू होगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसी कारण लेह में भूख हड़ताल और प्रदर्शन ने धीरे-धीरे उग्र रूप ले लिया और हिंसक टकराव शुरू हो गया।

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लेह में हिंसा और पुलिस कार्रवाई

लेह में युवाओं के शांतिपूर्ण Protest के दौरान अचानक हिंसा भड़क गई और पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। हिंसक Protest के दौरान बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी गई और कई वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में करीब चार लोगों की मौत हुई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। लेह जिला प्रशासन ने तुरंत धारा 144 लागू कर दी और पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी।

कांग्रेस के एक काउंसलर पर गंभीर आरोप लगे हैं। दावा किया जा रहा है कि, हिंसा करते हुए कुछ तस्वीर सामने आई हैं। इन तस्वीरों में कांग्रेस के काउंसर Phuntsog Stanzin Tsepag साफ दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं वो लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।

Sonam Wangchuk की अपील और भूख हड़ताल

भूख हड़ताल पर बैठे प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लेह की हिंसा पर दुख जताते हुए शांति की अपील की। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा कि हिंसा से आंदोलन कमजोर होगा और युवाओं को संयमित होकर संघर्ष जारी रखना चाहिए।

वांगचुक ने इसे Gen Z क्रांति बताया लेकिन कहा कि हिंसा से पांच साल की मेहनत बर्बाद हो सकती है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार ने समय पर बातचीत की होती तो स्थिति इतनी बिगड़ती नहीं और जानें बचाई जा सकती थीं। वांगचुक ने 15 दिन लंबी भूख हड़ताल खत्म करते हुए युवाओं से शांति का रास्ता अपनाने की अपील की।

वांगचुक ने बेशक शांति की अपील की है। लेकिन लोग उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। जिसमे उनके कुछ ट्वीट भी हैं। एक ट्वीट में वांगचुक पाकिस्तान के लिए अपना प्रेम दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी तस्वीर में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के साथ भी तस्वीर साझा कर रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि, ये प्रदर्शन लद्दाख समेत पूरे देश में हिंसा भड़काने का है। दावा ये भी है कि, इसके पीछे चीन और Deep State का हाथ है।

लद्दाख Protest की चार मुख्य मांगें

लद्दाख Protest केवल भावनात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें चार बड़ी और अहम मांगें लगातार उठाई जा रही हैं।

  1. राज्य का दर्जा – लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा देकर विधानसभा और स्वशासन का अधिकार देना।
  2. छठी अनुसूची में शामिल करना – भूमि, संस्कृति और जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान लागू करना।
  3. अलग लोक सेवा आयोग – स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण और अवसर सुनिश्चित करने के लिए नया आयोग बनाना।
  4. दो संसदीय सीटें – लेह और कारगिल को अलग-अलग प्रतिनिधित्व देने के लिए दो संसदीय सीटों की मांग।

लद्दाख में छठी अनुसूची का महत्व क्यों?

अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची जनजातीय क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा और स्वायत्तता प्रदान करती है। इसमें Autonomous District Councils भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए विधायी अधिकार रखती हैं।

लद्दाख जैसे रणनीतिक और जनजातीय बहुल क्षेत्र के लिए छठी अनुसूची बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसके बिना बाहरी प्रभाव बढ़ेगा और भूमि तथा रोजगार पर स्थानीय हक कमजोर हो जाएंगे। इसलिए लद्दाख Protest की मांगें केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ी हुई हैं।

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भूख हड़ताल और बढ़ता गुस्सा

लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) लगातार सरकार से बातचीत की मांग कर रहे हैं। लेकिन गृह मंत्रालय ने वार्ता के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की, जिसे प्रदर्शनकारियों ने ‘डिक्टेशन’ करार दिया। युवाओं का कहना है कि जब लोग भूख हड़ताल पर हैं तो सरकार का इतना लंबा इंतजार करवाना उचित नहीं है।

मंगलवार को दो वृद्ध प्रदर्शनकारियों की तबीयत बिगड़ने के बाद युवा गुस्से में सड़कों पर उतर आए। इसी गुस्से ने लेह में बड़ा Protest खड़ा किया, जो धीरे-धीरे हिंसक टकराव में बदल गया और मौतें हो गईं।

लेह में प्रशासनिक कदम और कर्फ्यू

लेह जिला प्रशासन ने हालात बिगड़ने के बाद तुरंत कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया। पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई और धारा 144 लागू कर दी गई। जिला मजिस्ट्रेट ने साफ कहा कि पूर्व अनुमति के बिना कोई रैली, जुलूस या मार्च नहीं निकाला जाएगा। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रशासन की सख्ती से ये साफ है कि आने वाले दिनों में लेह में तनाव कम होना आसान नहीं होगा।

भारत की सुरक्षा के लिए लद्दाख का महत्व

लद्दाख भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्र है। चीन से लगी सीमा पर 2020 से लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है और भारत की सेना चौकन्नी है। लद्दाख में अशांति और Protest चीन को रणनीतिक बढ़त दे सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

इसी कारण सरकार लद्दाख Protest को हल्के में नहीं ले सकती और समाधान निकालना जरूरी है। ये केवल स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत-चीन संबंधों से भी जुड़ा हुआ मसला है।

सोशल मीडिया और युवाओं की भूमिका

लद्दाख Protest को सोशल मीडिया पर युवाओं ने बड़े पैमाने पर प्रचारित किया है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हैशटैग #LadakhProtest और #SixthSchedule लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

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युवाओं का कहना है कि अगर सरकार उनकी आवाज नहीं सुनेगी तो आंदोलन और बड़ा रूप लेगा। सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो रहा है। इससे साफ है कि आंदोलन अब केवल लेह की सड़कों तक सीमित नहीं रहा बल्कि पूरे देश तक पहुंच गया है।

आगे का रास्ता क्या है?

लद्दाख Protest को रोकने और हल निकालने के लिए केंद्र सरकार और स्थानीय संगठनों को तुरंत बातचीत करनी होगी। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची पर सीधी चर्चा के बिना यह विवाद खत्म नहीं हो सकता।

युवाओं को संयमित और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखना चाहिए ताकि आंदोलन कमजोर न हो। वांगचुक और LAB-KDA नेतृत्व को हिंसा रोकने और राजनीतिक बातचीत को प्राथमिकता देनी होगी। अगर दोनों पक्ष आगे बढ़े तो लद्दाख Protest का समाधान निकल सकता है और क्षेत्र में शांति लौट सकती है।

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Narendra Modi पर Mavji Maharaj की 238 साल पुरानी भविष्यवाणी, इतनी बार बनेंगे PM? https://bharatviralnews.com/special/mavji-maharaj-on-pm-narendra-modi https://bharatviralnews.com/special/mavji-maharaj-on-pm-narendra-modi#respond Tue, 23 Sep 2025 16:41:08 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11554 2014 से पहले विपक्ष और कुछ राजनीतिक विश्लेषक कहते थे कि नरेंद्र मोदी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। लेकिन जनता के अपार समर्थन और गुजरात मॉडल की वजह से मोदी न केवल जीते बल्कि इतिहास रचते हुए प्रधानमंत्री बने।

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on PM : भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं और उनकी लोकप्रियता देश से बाहर तक फैली है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि उनके प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी 238 साल पहले राजस्थान के संत मावजी महाराज ने कर दी थी। इतना ही नहीं भविष्यवाणी में ये साफ साफ लिख दिया था कि, नरेंद्र मोदी कितनी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।

क्या हुआ सुनकर हैरान हो गए ? तो चलिए आज इस बारे में Bharat Viral News आपको पूरी जानकारी देने जा रहा है। लेकिन उससे पहले आपको संत मावजी महाराज के बारे में जान लेना चाहिए। ताकि भविष्यवाणी की विश्वसनीयता को आप बेहतर तरीके से समझ पाएं।

मावजी महाराज कौन थे? (Who was Mavji Maharaj?)

मावजी महाराज का जन्म बांसवाड़ा और डूंगरपुर के पास एक छोटे गांव साबला में हुआ था और वे एक महान संत बने। उन्होंने निष्कलंक संप्रदाय की स्थापना की और जाति-पाति के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उनकी शिक्षाओं ने आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।

मावजी महाराज के ग्रंथ और उनकी खासियत

1786 के आसपास उन्होंने 72 लाख से ज्यादा छंद लिखे और पांच बड़े ग्रंथ तैयार किए जिन्हें चौपड़ कहा जाता है। इन ग्रंथों को बागड़ी भाषा में बांस की कलम और लाख की स्याही से लिखा गया और आज भी सुरक्षित रखा गया है। इन्हीं ग्रंथों में कई भविष्यवाणियां दर्ज हैं जो आज की दुनिया में एक-एक करके सच साबित हो रही हैं।

मावजी महाराज की प्रमुख भविष्यवाणियां

  1. पूर्व-पश्चिम का मेल – उन्होंने लिखा कि पूर्व और पश्चिम के बीच गहरा संबंध होगा, जो आज भारत-अमेरिका रिश्तों में दिखता है।
  2. खेती में बदलाव – बैलों के सिर से बोझ हटेगा, यानी आधुनिक खेती ट्रैक्टर और मशीनों से होगी।
  3. महिलाओं की भूमिका – बहुएं और बेटियां घर से बाहर काम करेंगी और समाज में बराबरी पाएंगी।
  4. जाति बंधन का अंत – जाति और धर्म के बंधन टूटेंगे और भक्ति का मार्ग समाज को जोड़ने का साधन बनेगा।
  5. धरती का तापमान – धरती तांबे के रंग जैसी हो जाएगी, यानी ग्लोबल वार्मिंग का संकेत पहले ही लिख दिया गया।
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Narendra Modi और भविष्यवाणी की रहस्यमयी शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अक्सर लोगों ने भविष्यवाणियां सुनी हैं, लेकिन ये भविष्यवाणी सबसे अनोखी और चौंकाने वाली थी। दरअसल, मावजी महाराज नामक संत ने अपने ग्रंथों में यह लिख दिया था कि भविष्य में गुजरात से एक बड़ा नेता निकलेगा।

उनकी भविष्यवाणी में साफ संकेत था कि गुजरात से उठने वाला यह नेता दिल्ली तक पहुंचेगा और सत्ता की रोशनी जगाएगा। आज लोग इस भविष्यवाणी को देखकर हैरान रह जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले ऐसी बातें किस तरह से लिखी गई थीं।

नरेंद्र मोदी और 2014 का ऐतिहासिक चुनाव

2014 से पहले विपक्ष और कुछ राजनीतिक विश्लेषक कहते थे कि नरेंद्र मोदी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। लेकिन जनता के अपार समर्थन और गुजरात मॉडल की वजह से मोदी न केवल जीते बल्कि इतिहास रचते हुए प्रधानमंत्री बने। यहां उन्होंने ये भी लिखा कि, डंका बजाने वाला शख्स कई बार शीर्ष पद पर रहेगा। यहीं पर मावजी महाराज की भविष्यवाणी सच साबित होती दिखी, जिसने कहा था कि गुजरात का डंका बजेगा और दिल्ली में दीप जलेगा।

नरेंद्र मोदी और राजस्थान का आध्यात्मिक रिश्ता

अप्रैल 2014 में नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बेणेश्वर धाम का दौरा किया था और वहां मावजी महाराज के ग्रंथ देखे थे। उन्होंने सार्वजनिक मंच पर कहा कि यह भविष्यवाणी उनके जीवन और राजनीति से जुड़ी हुई है और ये सच साबित हो रही है। ये वही जगह थी जहां से उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मजबूत संदेश दिया और राजस्थान की जनता को भी जोड़ा।

नरेंद्र मोदी और गुजरात का डंका

मावजी महाराज ने साफ शब्दों में लिखा था – “गुजरात नो डंको वागे” यानी गुजरात का डंका बजेगा और पूरी दुनिया सुनेगी। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते ही गुजरात का मॉडल पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना और डंका सच में बजा। इसके बाद भविष्यवाणी में लिखा था कि “दिल्ली मां दीप लागे”, यानी गुजरात से नेता दिल्ली पहुंचेगा और सत्ता संभालेगा और ये कई बार होगा।

PM Narendra Modi Bharat Viral News
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नरेंद्र मोदी की सोच और जाति से ऊपर राजनीति

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं कि उनकी जाति केवल गरीबों की जाति है और यही उनकी असली पहचान है। उनकी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत, जाति और धर्म से परे सबको लाभ देती हैं। मावजी महाराज ने भी यही भविष्यवाणी की थी कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर समाज एक नई दिशा पाएगा।

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नरेंद्र मोदी और मावजी महाराज का गहरा विश्वास

मोदी जब बेणेश्वर धाम पहुंचे तो उन्होंने मावजी महाराज के ग्रंथों को बड़े ध्यान से पढ़ा और उनके शब्दों को आत्मसात किया। उन्होंने कहा था कि यह ग्रंथ केवल धर्म नहीं बल्कि भविष्य की दिशा दिखाने वाला एक आईना हैं। राजस्थान की जनता भी मावजी महाराज को निष्कलंक भगवान मानती है और उनकी भविष्यवाणियों पर विश्वास करती है।

ग्रंथों का डिजिटलाइजेशन और मोदी सरकार

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार मावजी महाराज के ग्रंथों का डिजिटलाइजेशन करवा रही है ताकि आने वाली पीढ़ियां इसे पढ़ सकें। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत इन ग्रंथों का हिंदी अनुवाद कर इंटरनेट पर उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है। इससे देशभर के लोग जान पाएंगे कि भारत में भी Nostradamus जैसे भविष्यवक्ता संत रहे हैं।

भारत में राजनीति और अध्यात्म का संगम हमेशा से खास रहा है और नरेंद्र मोदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। उनका प्रधानमंत्री बनना केवल जनता का आशीर्वाद नहीं बल्कि संतों की वाणी का साकार होना भी माना जा सकता है।

नरेंद्र मोदी की वैश्विक यात्रा

आज नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं और भारत को विश्व शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं। चाहे अमेरिका हो, यूरोप हो या एशिया के देश, हर जगह नरेंद्र मोदी की पहचान और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

मावजी महाराज की 238 साल पुरानी भविष्यवाणी आज अक्षरशः सच हो चुकी है और नरेंद्र मोदी इसके जीवंत प्रमाण बन गए हैं। उनका प्रधानमंत्री बनना केवल राजनीति नहीं बल्कि इतिहास, अध्यात्म और संतों की वाणी का अद्भुत संगम है।

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Shardiya Navratri Kalash Sthapana कैसे करें ?, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है ? https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/shardiya-navratri-kalash-sthapana https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/shardiya-navratri-kalash-sthapana#respond Sun, 21 Sep 2025 07:42:02 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11550 कलश स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है और यही वजह है कि इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। भक्त मानते हैं कि कलश स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार को देवी मां का आशीर्वाद मिलता है।

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: शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई हैं और ऐसे में देवी के भक्त कलश स्थापना की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को कलश स्थापना तरीका नहीं पता। वो इसके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जो अनजाने में गलत तरीके से कलश की स्थापना कर देते हैं। जिसकी वजह से उन्हें कष्टों का सामना करना पड़ता है।

तो चलिए आज Bharat Viral आपको शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना की पूरी जानकारी देने जा रहा है। साथ में आज आपको ये भी बताएंगे कि, कलश स्थापना क्यों जरूरी है ? कलश स्थापना करने से आपको क्या लाभ होता है।

 

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का मुहूर्त ?

नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है और उसी दिन सुबह कलश स्थापना का शुभ समय निर्धारित किया गया है। इस वर्ष प्रतिपदा तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रातः 11 बजकर 45 मिनट तक कलश स्थापना करना शुभ माना जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ग्रह-नक्षत्र देखकर तय किया जाता है ताकि पूजा सफल हो सके।

 

नवरात्रि में कलश क्यों स्थापित करते हैं?

नवरात्रि में कलश को मां दुर्गा और भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे शुभता का आधार माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि कलश में सभी देवताओं का वास होता है, इसलिए इसे पूजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।

कलश स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है और यही वजह है कि इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। भक्त मानते हैं कि कलश स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार को देवी मां का आशीर्वाद मिलता है।

कलश कैसे स्थापित करें? (Navratri Kalash Sthapana Vidhi)

नवरात्रि कलश स्थापना की विधि बेहद सरल लेकिन शुद्धता और परंपरा के साथ पूरी करने योग्य होती है।

  1. सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल कपड़ा बिछाकर स्थान तैयार करें।
  2. मिट्टी के पात्र में जौ या गेहूं के बीज बोकर उस पर कलश स्थापित करें।
  3. कलश को जल, गंगाजल, सुपारी, सिक्का और पंचरत्न से भरें और उसके ऊपर आम्रपत्र रखें।
  4. कलश के ऊपर नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से बांधें और रोली से स्वस्तिक बनाएं।
  5. देवी मां का ध्यान कर कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करके दीपक जलाएं।
Shardiya Navratri Kalash Sthapana Durga Mata Bharat Viral News
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कलश स्थापना के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

कलश को सदैव पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करना शुभ माना जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। कलश के जल में गंगाजल डालना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि ये पवित्रता और शक्ति का प्रतीक समझा जाता है।

कलश पर नारियल रखना मां लक्ष्मी का आह्वान माना जाता है और इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। पूजा स्थल को साफ और सात्विक रखना चाहिए ताकि मां दुर्गा की कृपा पूरी तरह से प्राप्त हो सके।

कलश स्थापना का धार्मिक महत्व

नवरात्रि कलश स्थापना से ये माना जाता है कि घर में मां दुर्गा स्वयं विराजमान होकर भक्तों की रक्षा करती हैं। कलश स्थापना को विश्व ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है, जिसमें जल, धरती और आकाश की शक्तियों का समावेश होता है।

कलश स्थापना से देवी दुर्गा के साथ-साथ अन्य देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे नवरात्रि की मुख्य अनिवार्य परंपरा बताया गया है, जिसे हर घर में विधिपूर्वक करना आवश्यक होता है।

कलश स्थापना करने के लाभ

कलश स्थापना से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। भक्तों को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।

कलश को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक और धार्मिक बन जाता है। ज्योतिष अनुसार कलश स्थापना से ग्रह दोष दूर होते हैं और परिवार के लोगों को मानसिक शांति मिलती है।

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नवरात्रि कलश और देवी पूजन

नवरात्रि में कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें प्रत्येक का विशेष महत्व होता है।

  1. प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा कर कलश के सामने दुग्ध से भोग लगाया जाता है।
  2. द्वितीया को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर कलश पर पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
  3. तृतीया को मां चंद्रघंटा की पूजा कर जल अर्पण किया जाता है।
  4. चतुर्थी को कूष्मांडा देवी की पूजा कर फल और नैवेद्य चढ़ाया जाता है।
  5. पंचमी को मां स्कंदमाता की पूजा कर दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
  6. षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा कर कलश पर रोली और चंदन चढ़ाया जाता है।
  7. सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा कर गुड़ और जौ का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  8. अष्टमी को मां महागौरी की पूजा कर नारियल का प्रसाद कलश के पास रखा जाता है।
  9. नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा कर हवन किया जाता है और कलश विसर्जन होता है।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से कलश स्थापना

भारत के हर राज्य में नवरात्रि कलश स्थापना की परंपरा देखने को मिलती है, हालांकि रीति-रिवाजों में थोड़ा अंतर होता है। उत्तर भारत में कलश को विशेष महत्व दिया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों में कलश स्थापना एक प्रमुख परंपरा होती है। गुजरात और महाराष्ट्र में भी कलश स्थापना के बाद गरबा और डांडिया का आयोजन होता है।

Navratri Kalash Sthapana 2025 नवरात्रि की शुरुआत का सबसे पवित्र कार्य है, जो मां दुर्गा के आवाहन और आशीर्वाद का प्रतीक है। कलश स्थापना से घर में सुख-समृद्धि आती है, ग्रह दोष दूर होते हैं और भक्तों को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

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Shardiya Navratri 2025 कब हैं, शारदीय नवरात्रि पूजा विधि क्या है? https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/shardiya-navratri-2025 https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/shardiya-navratri-2025#respond Fri, 19 Sep 2025 16:02:38 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11547 ज्योतिषियों के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसे और खास बना रहे हैं। इस बार नवरात्रि के दौरान विशेष ग्रह संयोग से भक्तों को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होने की संभावना बताई जा रही है।

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Shardiya : शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 30 सितंबर को महानवमी के साथ होगा। हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और नवमी तक चलती है।

इस बार शारदीय नवरात्रि के दौरान 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा विधिवत रूप से संपन्न की जाएगी। नवरात्रि आने से पहले ही लोग घरों में तैयारी करने में जुट गए हैं। साथ ही लोग शारदीय नवरात्रि की तैयारी भी शुरू कर चुके हैं। ऐसे में लोग पूजा विधि के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं।

क्यों मनाते हैं?

शारदीय नवरात्रि को लेकर मान्यता है कि इस समय देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। ये पर्व असत्य पर सत्य की विजय और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। लोग इसे मां शक्ति की आराधना का सबसे बड़ा पर्व मानते हैं, इसलिए शारदीय नवरात्रि का महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है। नवरात्रि में भक्त व्रत रखते हैं और मां दुर्गा से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि में पूजन विधि का विशेष महत्व होता है, जिसमें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना या कलश पूजन कहा जाता है।

इस दिन पूजा स्थल को शुद्ध करके देवी मां का आह्वान मंत्रों और दीपक जलाकर किया जाता है। भक्त पूरे 9 दिन तक व्रत रखते हैं और मां दुर्गा को भोग, पुष्प और जल अर्पित करते हैं। नवरात्रि व्रत रखने वाले लोग अनाज और मांसाहार का त्याग करके सात्विक आहार ग्रहण करते हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों की देवी पूजन

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का महत्व होता है, जो भक्तों को विशेष फल प्रदान करते हैं।

  1. प्रथम दिन (शैलपुत्री पूजा) – प्रतिपदा को मां शैलपुत्री की पूजा होती है और उन्हें दुग्ध का भोग लगाया जाता है।
  2. द्वितीया (ब्रह्मचारिणी पूजा) – इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर फल और मिश्री का भोग लगाया जाता है।
  3. तृतीया (चंद्रघंटा पूजा) – मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध और खीर का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  4. चतुर्थी (कूष्मांडा पूजा) – इस दिन कूष्मांडा देवी की पूजा होती है और मालपुए का भोग चढ़ाया जाता है।
  5. पंचमी (स्कंदमाता पूजा) – मां स्कंदमाता की पूजा में केले का भोग अर्पित किया जाता है।
  6. षष्ठी (कात्यायनी पूजा) – मां कात्यायनी की आराधना में शहद का भोग लगाया जाता है।
  7. सप्तमी (कालरात्रि पूजा) – इस दिन मां कालरात्रि की पूजा कर गुड़ और जौ का भोग लगाया जाता है।
  8. अष्टमी (महागौरी पूजा) – मां महागौरी की पूजा में नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  9. नवमी (सिद्धिदात्री पूजा) – नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा कर हलवे-पूरी और चने का भोग लगाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि और व्रत का महत्व

नवरात्रि व्रत रखने से आत्मिक शांति मिलती है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लोग सर्च करते हैं कि शारदीय नवरात्रि में व्रत कैसे रखा जाता है और पूजा विधि क्या होती है।

व्रत रखने वाले लोग प्रतिदिन प्रातः स्नान करके मां दुर्गा के मंत्रों का जाप और आरती करते हैं। नवरात्रि के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन और हवन का आयोजन भी किया जाता है।

शारदीय नवरात्रि और रामलीला का संबंध

शारदीय नवरात्रि के दौरान देशभर में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान राम की कथा सुनाई जाती है। इस परंपरा का संबंध इसलिए है क्योंकि नवरात्रि के अंतिम दिन दशहरा मनाया जाता है।

दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। इसी वजह से शारदीय नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व एक साथ जुड़ा हुआ माना जाता है।

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शारदीय नवरात्रि 2025 में विशेष संयोग

ज्योतिषियों के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसे और खास बना रहे हैं। इस बार नवरात्रि के दौरान विशेष ग्रह संयोग से भक्तों को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होने की संभावना बताई जा रही है।

शारदीय नवरात्रि का सांस्कृतिक प्रभाव

भारत के अलग-अलग राज्यों में शारदीय नवरात्रि को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, जिससे इसकी विविधता दिखती है। पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में भव्य तरीके से मनाया जाता है, जहां विशाल पंडाल सजाए जाते हैं।

गुजरात में नवरात्रि का मुख्य आकर्षण गरबा और डांडिया नृत्य होता है, जो पूरी रात भक्तिभाव से आयोजित किया जाता है। उत्तर भारत में नवरात्रि के दौरान व्रत, हवन, रामलीला और देवी जागरण का आयोजन होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें मां दुर्गा की पूजा, व्रत और साधना से जीवन में सकारात्मकता आती है। ये पर्व शक्ति की साधना, धर्म की विजय और भक्ति की गहन साधना का प्रतीक माना जाता है।

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Tommy Robinson कौन है? London Protest मुस्लिमों के खिलाफ हो रहा है? https://bharatviralnews.com/world-news/tommy-robinson-london-protest-kya-hai https://bharatviralnews.com/world-news/tommy-robinson-london-protest-kya-hai#respond Fri, 19 Sep 2025 15:21:47 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11543 Police को Protest और Football Crowd दोनों को Manage करना बेहद चुनौतीपूर्ण लगा। इससे Metropolitan Police पर Double Pressure पड़ा और Officers को Extra मेहनत करनी पड़ी। Scotland Yard ने कहा कि Operation के लिए Extra Forces लाना पड़ा।

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: लंदन में एक बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इसकी अगुवाई नाम का एक शख्स कर रहा है। अब इस प्रदर्शन की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। लेकिन बड़ा सवाल ये कि, क्या लंदन का ये प्रदर्शन मुस्लिम समाज के खिलाफ हो रहा है ?  या सिर्फ प्रदर्शन की वजह कुछ और है ? तो चलिए Bharat Viral आज आपको हर सवाल का जवाब देने जा रहा है।

प्रदर्शन की गंभीरता और उसके मकसद को समझने के लिए टॉमी रॉबिन्सन के बारे में जानना जरूरी है। क्योंकि टॉमी रॉबिन्सन के नाम पर ही इतनी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर हैं और जमकर हल्ला बोल कर रहे हैं। ये भी जानेंगे कि, क्या वो किसी राजनीतिक दल से संबंध रखते हैं या फिर सिर्फ एक आम नागरिक ने पूरे लंदन को हिला कर रखा हुआ है।

Tommy Robinson कौन है?

Tommy Robinson असल नाम Stephen Yaxley-Lennon है, जो United Kingdom का Far-right Activist और Political Commentator माना जाता है। वो English Defence League का Founder है और लंबे समय से Anti-Islamic और Anti-Immigration Statements के लिए चर्चाओं में रहा है। टॉमी रॉबिन्सन खुद को Freedom of Speech का Supporter बताते हैं।

कई लोग उन्हें Extremist और Hate Speech का Symbol मानते हैं। उनकी Politics और Activities ने हमेशा London और Britain में Protest और Counter-Protest का माहौल बना दिया है। अब London Protest ने एक बार फिर UK Politics और Public Debate को International Media का Highlight बना दिया है।

London Protest क्यों हुआ?

London Protest का नाम “Unite the Kingdom” रखा गया था, जिसमें करीब 1,10,000 लोग Whitehall में इकट्ठा हुए। Protest का मुख्य मुद्दा Freedom of Speech और UK Politics में Far-right Movement का Support करना था। इस Rally को Tommy Robinson ने Lead किया, जिसमें Lawrence Fox और Katie Hopkins जैसे Controversial Figures भी मौजूद रहे।

Scotland Yard ने Confirm किया कि Protest के दौरान Police Officers पर हमला हुआ और कई जगह Law and Order बिगड़ा। इस Rally के खिलाफ लगभग 5,000 Anti-Racism Campaigners ने “March Against Fascism” नाम से Counter-Protest किया।

Police Officers पर हमला क्यों हुआ?

Protest के दौरान कई जगहों पर Protesters ने Police Cordons तोड़ने की कोशिश की और Clashes तेज हो गए। Metropolitan Police ने कहा कि Officers पर Projectiles फेंके गए और कई बार उन्हें Force का इस्तेमाल करना पड़ा। Police ने Protesters को Sterile Areas और Opposing Groups तक पहुँचने से रोकने की कोशिश की।

Scotland Yard ने Statement में बताया कि “कई Officers पर हमला किया गया और हालात Control करना मुश्किल हो गया।” ये Protest और Counter-Protest दोनों Groups के बीच गहरी Ideological Divide को दिखाता है।

Protest का नजारा कैसा था?

Whitehall में Flags की Sea दिखाई दी, जिसमें St George’s Cross, Union Flag, Scottish Saltire और Welsh Dragon मौजूद थे। Protesters Christian Songs गा रहे थे और Cross लेकर “Christ” लिखा हुआ Banner दिखा रहे थे।

Stage पर Tommy Robinson के साथ Lawrence Fox और Katie Hopkins ने भी Speech दी। New Zealand के Destiny Church के Members ने Traditional Haka Performance भी किया। भीड़ में “F*** Keir Starmer” और “Keir Starmer is a Wanker” जैसे नारे भी लगाए गए।

Counter-Protest क्या कह रहा था?

“March Against Fascism” नाम से Anti-Racism Campaigners ने Rally निकाली, जिसमें लगभग 5,000 लोग शामिल हुए। उन्होंने Slogans लगाए जैसे “Stand up, Fight back” और “Stop the Fascists now, now, now.” Counter-Protesters ने Refugees Welcome जैसे Placards दिखाए और Tommy Robinson को Far-right Hate का Symbol बताया।

उनका कहना था कि London Protest का मकसद Society में Division और Hate फैलाना है। Counter-Protest ने Social Unity और Anti-Fascism की Voice को जोरदार तरीके से उठाया।

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Public Order Act और Police की Strategy

UK Police ने Protest को Control करने के लिए Public Order Act के Strict Conditions लगाए। Unite the Kingdom Protest शाम 6 बजे तक और March Against Fascism Protest शाम 4 बजे तक सीमित था।

कुल मिलाकर 1,600 से ज्यादा Officers को London Protest के लिए Deploy किया गया। इसमें 500 Officers को बाहर के Forces से बुलाया गया, ताकि Law and Order Maintain रखा जा सके। Police ने कहा कि Protest Control करना सबसे मुश्किल Operations में से एक था।

Football Matches के बीच Protest का असर

London Protest ऐसे दिन हुआ जब पांच Premier League Matches भी Schedule थे। इनमें West Ham vs Tottenham और Brentford vs Chelsea जैसे High-profile Matches शामिल थे।

Police को Protest और Football Crowd दोनों को Manage करना बेहद चुनौतीपूर्ण लगा। इससे Metropolitan Police पर Double Pressure पड़ा और Officers को Extra मेहनत करनी पड़ी। Scotland Yard ने कहा कि Operation के लिए Extra Forces लाना पड़ा।

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Tommy Robinson और UK Politics

Tommy Robinson हमेशा से UK Politics में Controversial Figure रहे हैं। उनका Support Base उन लोगों में है जो Immigration Policies और Refugees के खिलाफ Strong Opinion रखते हैं। हालांकि Mainstream Politics और Media उन्हें Far-right Radical के रूप में देखते हैं।

उनकी Popularity Social Media और Street Protests के जरिए बढ़ती रही है। London Protest ने दिखा दिया कि उनका Influence अभी भी British Politics में बहुत Strong है।

International Reaction और Future Impact

London Protest की International Media में Coverage हुई और इसे Democracy और Hate Politics के बीच की लड़ाई बताया गया। International Human Rights Groups ने Protest Violence पर चिंता जताई और Police Officers पर Attack को Condemn किया।

UK Government को अब Freedom of Speech और Public Safety के बीच Balance बनाना होगा। Experts का मानना है कि Tommy Robinson जैसे Figures UK Politics में लगातार Polarization बढ़ाएंगे। इससे आने वाले समय में London और UK में ऐसे Protests और बढ़ सकते हैं।

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Gemini AI Photo बनाने वाले सावधान, हो सकता है लाखों का नुकसान https://bharatviralnews.com/tech/gemini-ai-photo-cyber-crime-fraud https://bharatviralnews.com/tech/gemini-ai-photo-cyber-crime-fraud#respond Sun, 14 Sep 2025 10:43:53 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11539 भारत सरकार पहले ही deepfake और AI photo को लेकर गाइडलाइन जारी कर चुकी है ताकि यूजर्स को सुरक्षा मिल सके। टेक कंपनियां जैसे गूगल और ओपनएआई भी Gemini जैसे टूल्स में सेफ्टी फीचर्स जोड़ रही हैं ताकि दुरुपयोग न हो।

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: आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमारी जिंदगी बदल दी है, लेकिन तकनीक का गलत इस्तेमाल हमें बड़े खतरे में डाल सकता है। Gemini AI Photo जैसे टूल्स फोटो बनाने में बेहद आसान हैं, मगर इनका गलत उपयोग साइबर अपराध को बढ़ावा दे सकता है। हाल ही में कई रिपोर्ट्स आई हैं कि Gemini AI Photo के जरिए लोगों की नकली तस्वीरें बनाई जा रही हैं।

इससे न सिर्फ लोगों की प्राइवेसी खतरे में पड़ रही है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत पहचान भी चोरी हो सकती है। इसके जरिए कोई AI वीडियो बना कर उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है। हो सकता है कि, कोई आपकी फोटो के जरिए अश्लील फोटो या फिर वीडियो बना ले। अब सवाल यह है कि क्या Gemini से फोटो बनाना वास्तव में खतरनाक है और हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Gemini 3D AI Photo के नुकसान?

AI photo बनाने से सबसे बड़ा खतरा गलत कंटेंट तैयार होने का है, जो आपकी इजाजत के बिना इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कोई आपकी असली फोटो को Gemini AI photo से एडिट कर देता है, तो वह पूरी तरह से नकली बन सकती है। इस नकली फोटो का इस्तेमाल सोशल मीडिया, फेक न्यूज़ या फ्रॉड गतिविधियों में किया जा सकता है।

AI photo से तैयार कंटेंट कभी-कभी इतना रियल दिखता है कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सामान्य लोग आसानी से धोखे का शिकार बन सकते हैं और साइबर अपराधियों के जाल में फंस सकते हैं। हाल के महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि, कुछ महिलाओं की अश्लील तस्वीर बना कर उनसे पैसे ऐेंठे गए और बदनाम करने की धमकी तक दी गई।

क्या हमारी Photo और आवाज का इस्तेमाल हो सकता है?

Gemini AI photo सिर्फ तस्वीर ही नहीं बल्कि आवाज की नकल भी कर सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर खतरा पैदा हो सकता है। साइबर अपराधी आपके सोशल मीडिया से फोटो और आवाज इकट्ठा करके deepfake वीडियो या नकली कॉल तैयार कर सकते हैं। कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों की आवाज और चेहरे का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये का फ्रॉड किया गया है।

Gemini AI photo और deepfake तकनीक मिलकर किसी भी इंसान की पहचान को बदल सकती है, जो बेहद खतरनाक है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी पर्सनल जानकारी और मीडिया को सुरक्षित रखें और बिना सोचे-समझे ऑनलाइन शेयर न करें।

Gemini AI Photo और Cyber Crime Fraud का कनेक्शन

AI photo टूल्स का इस्तेमाल ज्यादातर कंपनियां क्रिएटिव कामों के लिए करती हैं, लेकिन अपराधी इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। Gemini AI photo से नकली पहचान पत्र, फर्जी फोटो और यहां तक कि सरकारी दस्तावेजों की कॉपी बनाई जा सकती है। ये तकनीक इतनी एडवांस हो चुकी है कि पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी असली और नकली पहचानना मुश्किल हो जाता है।

कई साइबर अपराधी AI photo और AI voice को मिलाकर फर्जी वीडियो कॉल करके पैसों की ठगी कर रहे हैं। अगर यूजर सावधान न रहे तो कुछ ही सेकंड में उनकी सारी जानकारी अपराधियों के हाथ लग सकती है।

क्या Gemini से फोटो बनाना सुरक्षित है?

Gemini से फोटो बनाना सुरक्षित तभी है जब इसे जिम्मेदारी के साथ और सही उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाए। अगर कोई इसका गलत इस्तेमाल करता है तो इससे समाज और व्यक्ति दोनों को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। AI photo के जरिए बनाई गई तस्वीरें आपके भरोसे और रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं, जो बहुत गंभीर खतरा है।

Gemini AI photo का सुरक्षित उपयोग तभी संभव है जब लोग साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें। इसलिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है जो हमें तकनीक का सही इस्तेमाल सिखा सकता है। Bharat Viral News ऐसे मामलों से सावधान रहने के कछ तरीके आपके सामने रखने जा रहा है।

Cyber Crime Fraud से सावधान कैसे रहें?

सबसे पहले हमें ये समझना होगा कि Gemini AI photo और deepfake तकनीक का गलत इस्तेमाल किस तरह किया जाता है। हमें अपनी पर्सनल फोटो, वीडियो और आवाज इंटरनेट पर पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड करने से बचना चाहिए। सोशल मीडिया पर प्राइवेसी सेटिंग्स को हमेशा अपडेट रखें ताकि अजनबी लोग आपकी जानकारी तक न पहुंच सकें।

अगर कोई अज्ञात नंबर या ईमेल से आपकी फोटो, वीडियो या आवाज भेजकर पैसों की मांग करे तो तुरंत रिपोर्ट करें। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर तुरंत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सबसे पहले आपको घबराना नहीं है। आज के समय में Cyber Crime से लड़ने के लिए बेहद मजबूत टीम बनाई हुई है।

Gemini AI Photo के खतरों से बचने के टिप्स

  1. हमेशा सोशल मीडिया पर अपनी असली फोटो और आवाज कम से कम शेयर करें।
  2. किसी अनजान वेबसाइट पर फोटो अपलोड करने से पहले उसकी सुरक्षा की जांच करें।
  3. Gemini AI photo जैसे टूल्स का इस्तेमाल केवल क्रिएटिव और सकारात्मक कामों के लिए करें।
  4. अगर कोई संदिग्ध कंटेंट दिखे तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें और दूसरों को सतर्क करें।
  5. अपने फोन और कंप्यूटर में एंटीवायरस और सिक्योरिटी फीचर्स को अपडेट रखें।

क्या सरकार और टेक कंपनियां रोक लगा सकती हैं?

भारत सरकार पहले ही deepfake और AI photo को लेकर गाइडलाइन जारी कर चुकी है ताकि यूजर्स को सुरक्षा मिल सके। टेक कंपनियां जैसे गूगल और ओपनएआई भी Gemini जैसे टूल्स में सेफ्टी फीचर्स जोड़ रही हैं ताकि दुरुपयोग न हो।

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इसके बावजूद अपराधी हर दिन नए तरीके खोज लेते हैं, जिससे साइबर सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल होती है। जनता को भी सतर्क रहना होगा और सरकार को सख्त कानून बनाकर अपराधियों पर कार्रवाई करनी होगी। AI photo और deepfake के खतरों से बचने के लिए कानून, तकनीक और जागरूकता तीनों का साथ जरूरी है।

AI Photo से सावधान रहें

Gemini AI photo तकनीक बेहद शक्तिशाली है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। फोटो और आवाज का दुरुपयोग करके साइबर अपराधी हमें कभी भी धोखा दे सकते हैं और भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम समझदारी से इसका उपयोग करें और साइबर सुरक्षा के नियमों को हमेशा ध्यान में रखें।

Gemini AI photo का इस्तेमाल तभी सुरक्षित है जब हम इसे जिम्मेदारी और सावधानी के साथ इस्तेमाल करें।अंत में कहा जा सकता है कि तकनीक वरदान भी है और अभिशाप भी, यह पूरी तरह हमारे उपयोग पर निर्भर करता है।

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RSS कैसे ज्वाइन करें? स्थापना, Membership तरीका और प्रार्थना की पूरी जानकारी https://bharatviralnews.com/special/rss-kaise-join-membership https://bharatviralnews.com/special/rss-kaise-join-membership#respond Sat, 13 Sep 2025 15:59:28 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11519 RSS की शाखा में हर दिन एक प्रार्थना गाई जाती है, जिसे "नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे" कहा जाता है। यह प्रार्थना राष्ट्रभक्ति, समर्पण और मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का भाव जगाती है। प्रार्थना के जरिए स्वयंसेवक अपने जीवन का उद्देश्य राष्ट्रसेवा और समाज कल्याण मानते हैं।

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Membership : भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS सबसे बड़ा सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जिसकी शाखाएं पूरे देश में सक्रिय रूप से चल रही हैं। RSS से जुड़ने की जिज्ञासा युवाओं और समाज के हर वर्ग में लगातार बढ़ रही है। इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि RSS कैसे ज्वाइन करें, इसकी membership का तरीका क्या है, RSS की स्थापना कब हुई, RSS क्यों बनाई गई और इसकी प्रार्थना का महत्व क्या है।

RSS की स्थापना कब हुई और क्यों बनाई गई?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। उस समय भारत अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और समाज में जातिगत भेदभाव, सांप्रदायिक तनाव और असमानता की गहरी खाई थी। RSS की स्थापना का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रभक्ति और संगठन शक्ति को मजबूत करना था।
RSS क्यों बनाई गई, इस सवाल का सबसे सरल उत्तर यही है कि भारतीय समाज को एकजुट कर राष्ट्रवाद की भावना जगाई जाए।

RSS कैसे ज्वाइन करें? पूरी प्रक्रिया विस्तार से

RSS ज्वाइन करने के लिए किसी लिखित आवेदन या शुल्क की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी भारतीय नागरिक संघ की शाखा में जाकर आसानी से स्वयंसेवक बन सकता है।

  1. स्थानीय शाखा खोजें – अपने शहर, कस्बे या गांव में नजदीकी RSS शाखा कहां लगती है, इसकी जानकारी लें।
  2. शाखा में जाएं – निर्धारित समय पर शाखा स्थल पर पहुंचें और स्वयंसेवकों के साथ परिचय कराएं।
  3. नियमित उपस्थिति दें – संघ से जुड़ने का सबसे सरल तरीका शाखा में नियमित उपस्थिति और गतिविधियों में भाग लेना है।
  4. अनुशासन और नियम अपनाएं – शाखा में समय का पालन, ड्रेस कोड और अनुशासन को गंभीरता से अपनाना आवश्यक है।
  5. सेवा कार्यों में शामिल हों – RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा कार्यों में सक्रिय योगदान भी इसकी पहचान है।

RSS की Membership का तरीका

RSS में सदस्यता लेने का तरीका बेहद सरल है। इसमें ऑनलाइन फार्म भरने या कोई औपचारिक सदस्यता प्रक्रिया नहीं होती है। स्वयंसेवक सीधे शाखा से जुड़कर सदस्य बन जाते हैं।
आजकल RSS की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज पर भी शाखाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। युवा आसानी से जानकारी लेकर सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।

Mohan Bhagwat RSS Chief Bharat Viral News
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RSS की प्रार्थना और उसका महत्व

RSS की शाखा में हर दिन एक प्रार्थना गाई जाती है, जिसे “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” कहा जाता है। यह प्रार्थना राष्ट्रभक्ति, समर्पण और मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का भाव जगाती है। प्रार्थना के जरिए स्वयंसेवक अपने जीवन का उद्देश्य राष्ट्रसेवा और समाज कल्याण मानते हैं।
RSS की प्रार्थना में भारत माता को प्रणाम, राष्ट्र के लिए बलिदान और समाज में एकता का संकल्प शामिल है।

RSS शाखाओं में क्या होता है?

RSS शाखाओं का वातावरण अनुशासन और उत्साह से भरा होता है। शाखा में प्रार्थना, व्यायाम, खेल, भजन, देशभक्ति गीत और समाजिक चर्चा होती है। इन गतिविधियों का उद्देश्य स्वयंसेवकों के शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना है।
RSS शाखाएं बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए समान रूप से खुली होती हैं, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है।

RSS क्यों ज्वाइन करें?

RSS ज्वाइन करने से व्यक्ति को समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और व्यक्तिगत विकास का अवसर मिलता है। यहां व्यक्ति नेतृत्व क्षमता, संगठन कौशल और अनुशासन सीखता है।
युवा पीढ़ी के लिए RSS जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक मजबूती और राष्ट्रप्रेम का भाव जगाने का सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है।

RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े सैकड़ों संगठन समाज के हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इनमें भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), विश्व हिंदू परिषद (VHP), संस्कार भारती, सेवा इंटरनॅशनल, वनवासी कल्याण आश्रम और राष्ट्रीय सेविका समिति शामिल हैं।
इन संगठनों के जरिए RSS शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में बड़ा योगदान दे रहा है।

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RSS और राजनीति का संबंध

RSS प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में हिस्सा नहीं लेता, लेकिन इसके स्वयंसेवकों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों में योगदान दिया है। आज राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर RSS पृष्ठभूमि से जुड़े लोग हैं।

RSS के स्वयंसेवक देश में किसी भी आपदा या संकट की स्थिति में हमेशा सबसे पहले मदद के लिए पहुंचते हैं। रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा अभियान और प्राकृतिक आपदाओं में RSS की शाखाएं समाज सेवा करती रहती हैं।

RSS का वैश्विक विस्तार

RSS केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इसकी शाखाएं सक्रिय हैं। “हिंदू स्वयंसेवक संघ” और “विश्व हिंदू परिषद” जैसे संगठन दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद का प्रचार कर रहे हैं।

RSS की स्थापना भारत को सांस्कृतिक और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने के लिए की गई थी। आज यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है। यदि आप जानना चाहते हैं कि RSS कैसे ज्वाइन करें, तो इसका सबसे आसान तरीका है नजदीकी शाखा में शामिल होना और अनुशासनपूर्वक सेवा करना।
RSS की प्रार्थना, शाखाओं की गतिविधियां और सदस्यता प्रक्रिया हर भारतीय को राष्ट्रसेवा और समाज सुधार का मार्ग दिखाती है।

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RSS का Placement देखकर Cambridge, Harvard, Oxford और पूरी दुनिया हैरान https://bharatviralnews.com/special/rss-placement-report https://bharatviralnews.com/special/rss-placement-report#respond Sat, 13 Sep 2025 12:12:57 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11511 RSS ने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास, दीनदयाल शोध संस्थान, भारतीय विचार साधना, संस्कृत भारती, भारत विकास परिषद, शिवाजी अध्यासन, सावरकर अध्यासन जैसे संगठनों के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कार्य किया है।

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Placement : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रभाव आज इतना गहरा है कि दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज जैसे Cambridge, Harvard, Oxford, IIM, IIT, BIT और NIT इसकी कार्यशैली को अध्ययन का विषय मान रही हैं। संघ की शाखाओं के संगठनात्मक ढांचे और अनुशासन ने विश्वभर के शोधकर्ताओं को चौंका दिया है। RSS केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में समाज, संस्कृति, शिक्षा और राष्ट्रसेवा का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।

RSS की ताकत और संगठनात्मक ढांचा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की ताकत इस तथ्य से समझी जा सकती है कि इसके पास आज 1 लाख शाखाएं सक्रिय रूप से चल रही हैं। संघ के 15 करोड़ स्वयंसेवक, 2 लाख सरस्वती विद्या मंदिर, 5 लाख आचार्य और 1 करोड़ विद्यार्थी इस संगठन को मजबूत नींव प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा 2 करोड़ भारतीय मजदूर संघ के सदस्य, 1 करोड़ ABVP कार्यकर्ता, 15 करोड़ बीजेपी सदस्य, 1200 प्रकाशन समूह, 9 हजार पूर्णकालिक कार्यकर्ता और 7 लाख पूर्व सैनिक परिषद के सदस्य RSS को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं।

RSS और राजनीतिक नेतृत्व में योगदान

RSS ने देश की राजनीति को भी गहराई से प्रभावित किया है। भारत के वर्तमान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री और लोकसभा सभापति सभी का RSS से जुड़ाव रहा है। इसके अलावा 18 मुख्यमंत्री, 29 राज्यपाल, 283 लोकसभा सांसद, 58 राज्यसभा सांसद और 1460 विधायक सीधे तौर पर संघ की विचारधारा से प्रेरित हैं। ये आंकड़े साबित करते हैं कि RSS केवल सामाजिक संगठन नहीं बल्कि एक मजबूत राष्ट्र निर्माण की धुरी है।

RSS के सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन

RSS के अंतर्गत चलने वाले संगठन समाज के हर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इनमें वनवासी कल्याण आश्रम, संस्कार भारती, विज्ञान भारती, लघु उद्योग भारती, सेवा सहयोग, सेवा इंटरनॅशनल, राष्ट्रीय सेविका समिति, आरोग्य भारती, दुर्गा वाहिनी, सामाजिक समरसता मंच और कई अन्य शामिल हैं। ये संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, कला, महिला सशक्तिकरण, उद्योग और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी कार्य कर रहे हैं।

RSS Placement Bharat Viral News
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RSS और शिक्षा का योगदान

RSS से जुड़े सरस्वती विद्या मंदिर और एकल विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। लाखों विद्यार्थी इन संस्थानों से न केवल पढ़ाई कर रहे हैं बल्कि राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी का भाव भी सीख रहे हैं। यही कारण है कि आज RSS को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा गैर-सरकारी नेटवर्क कहा जाता है।

RSS और धार्मिक-सांस्कृतिक आंदोलन

RSS ने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास, दीनदयाल शोध संस्थान, भारतीय विचार साधना, संस्कृत भारती, भारत विकास परिषद, शिवाजी अध्यासन, सावरकर अध्यासन जैसे संगठनों के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कार्य किया है। इसी कारण RSS आज भारत की सांस्कृतिक धरोहर और हिंदुत्व की रक्षा का सबसे बड़ा प्रहरी माना जाता है।

RSS और सेवा कार्य

RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा का भी सबसे बड़ा संगठन है। इसके अंतर्गत 1.5 लाख सेवाकार्य, जनकल्याण रक्तपेढी, इतिहास संकलन समिति, धर्म जागरण आंदोलन, भारत भारती, विश्व संवाद केंद्र और हिंदू हेल्पलाइन जैसे कार्य निरंतर चलते रहते हैं। RSS के स्वयंसेवक आपदा प्रबंधन, रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर और ग्रामीण विकास में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

RSS और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान

संघ के साथ जुड़े 7 लाख पूर्व सैनिक परिषद, 30 लाख बजरंग दल के सेवक, 1 करोड़ विश्व हिन्दू परिषद सदस्य और हिंदू स्वयंसेवक संघ भारत और विश्वभर में राष्ट्र की सुरक्षा, संस्कृति और धर्म रक्षा के लिए समर्पित हैं। RSS की यह संरचना इसे एक सामान्य संगठन से कहीं अधिक प्रभावशाली बनाती है।

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RSS और मीडिया

RSS ने मीडिया के क्षेत्र में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। इसके 1200 प्रकाशन समूह और संगठन जैसे ऑर्गनाइज़र, पांचजन्य, तरुण भारत, हिंदुस्थान समाचार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, विश्व संवाद केंद्र लगातार जनजागरूकता बढ़ा रहे हैं। मीडिया के माध्यम से RSS की विचारधारा जन-जन तक पहुंचाई जा रही है।

RSS के वैश्विक आयाम

RSS केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सक्रिय है। हिंदू स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू एकता मंच और सेवा इंटरनॅशनल जैसे संगठन विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की अलख जगा रहे हैं। यही कारण है कि RSS को ग्लोबल लेवल पर सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन माना जाता है।

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RSS और राजनीतिक विरोधी

RSS का विरोध करने वाले दल हमेशा यह मानते रहे हैं कि संघ की जड़ें कमजोर की जा सकती हैं। लेकिन सच यह है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी जैसे दल बार-बार संघ को खत्म करने के सपने देखते रहे और अंत में खुद कमजोर हो गए। बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा RSS मुक्त भारत का सपना देखते-देखते इस दुनिया से ही चले गए।

RSS का भविष्य और 100 साल की यात्रा

RSS इस समय अपने 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है और यह साफ दिखता है कि आने वाले हजारों साल तक ये संगठन भारतवर्ष की सेवा करता रहेगा। इसकी शाखाएं समाज को एकजुट करती रहेंगी, स्वयंसेवक राष्ट्रहित में कार्य करते रहेंगे और RSS भारत की आत्मा को जीवित रखेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) केवल एक संगठन नहीं बल्कि भारत की संस्कृति, राष्ट्रवाद, शिक्षा, राजनीति और समाज का सबसे बड़ा स्तंभ है। इसकी शाखाओं का अनुशासन, स्वयंसेवकों की निष्ठा और संगठनों की विविधता Cambridge, Harvard, Oxford, IIM, IIT और NIT जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं के लिए अध्ययन का विषय बन चुकी है। RSS आने वाले समय में भी भारत की शक्ति, एकता और संस्कृति का सबसे बड़ा आधार बना रहेगा।

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Direct Action Day क्या है ?, The Bengal Files में क्या दिखाया गया ? https://bharatviralnews.com/special/what-is-direct-action-day https://bharatviralnews.com/special/what-is-direct-action-day#respond Thu, 11 Sep 2025 16:13:10 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11504 Direct Action Day को अक्सर Bengal Riots 1946 या Great Calcutta Killings भी कहा जाता है, क्योंकि ये बंगाल में शुरू हुआ था। बंगाल की राजधानी कोलकाता उस समय इस हिंसा का केंद्र बन गया था, जहां तीन दिन तक खून की नदियां बहती रहीं।

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: भारत का इतिहास कई घटनाओं से भरा हुआ है, लेकिन उनमें से एक सबसे विवादित घटना Direct Action Day या फिर के नाम से जानी जाती है। ये घटना इतनी भयावह थी कि इसे आज भी Great Killings के नाम से इतिहास में याद किया जाता है। आज हम जानेंगे कि Direct Action Day क्या है, Direct Action Day क्यों हुआ था, Direct Action Day की जानकारी और इससे जुड़ी सच्चाई क्या है।

Direct Action Day क्या है?

Direct Action Day को इतिहास में 16 अगस्त 1946 के दिन से जोड़ा जाता है, जब भारत में बड़े पैमाने पर दंगे हुए। ये दिन मुस्लिम लीग द्वारा भारत में पाकिस्तान की मांग के लिए “Direct Action” का ऐलान करके शुरू किया गया था। कोलकाता शहर में उस दिन इतनी हिंसा हुई कि हजारों लोगों की जान चली गई और लाखों लोग बेघर हो गए। इतिहासकार मानते हैं कि ये घटना भारत के बंटवारे की सबसे बड़ी वजहों में से एक साबित हुई।

कुछ विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स बताती हैं कि, कई दिनों तक हिंदुओं का कत्लेआम होता रहा। लेकिन किसी ने भी इसे रोकने की कोशिश नहीं की। इस कत्लेआम में सबसे ज्यादा महिलाओं को निशाना बनाया गया। पीड़ित बताते हैं कि, उन्हें सबसे ज्यादा दुख इस बात का हुआ कि, भारत के बाकी लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाई। 2025 में भी ये घटना महज चंद फाइलों में दर्ज है।

Direct Action Day क्यों हुआ था?

Direct Action Day का ऐलान मोहम्मद अली जिन्ना () ने किया था, जो मुस्लिम लीग के नेता और पाकिस्तान के संस्थापक थे। उनकी मांग थी कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग राष्ट्र बनाए जाएं, और पाकिस्तान का गठन हो। इस मांग का विरोध कांग्रेस ने किया, क्योंकि उनका मानना था कि भारत एक संयुक्त राष्ट्र रहना चाहिए।

जब मुस्लिम लीग की मांग अस्वीकार हुई, तो जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को “Direct Action” का आह्वान किया। इसके बाद मुस्लिम एकजुट हुए और हिंदुओं को निशाना बनाने का अभियान शुरू हुआ। रिपोर्ट्स बताती हैं कि, मुस्लिम पड़ोसियों ने अपने हिंदू पड़ोसियों को सबसे पहले निशाना बनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया। हैरानी की बात ये है कि, उस समय कई दिन तक इस घटना को छुपाने की कोशिश होती रही।

Great Calcutta Killings Bharat Viral News
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Direct Action Day के बारे में पूरी जानकारी

Direct Action Day की शुरुआत कोलकाता में हुई, जहां मुस्लिम लीग के नेताओं ने बड़े पैमाने पर रैली और सभा आयोजित की। इस रैली के बाद अचानक शहर में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच दंगे भड़क उठे, जिनमें कई लोग मारे गए। अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ तीन दिनों में लगभग 4000 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 1 लाख लोग बेघर हुए।

4 हजार लोगों की हत्या का आंकड़ा बेहद कम बताया जाता है। स्थानीय लोगों का दावा है कि, यहां करीब 55 से 60 हजार हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया था। सरकारी रिपोर्ट्स बताती हैं कि, ये कत्लेआम सिर्फ शहर के कुछ इलाके में हुआ। जबकि विदेशी मीडिया का दावा है कि, ये कत्लेआम शहर के अलावा आस पास के गांव और इलाकों में भी हुआ। कई दिनों तक शव पड़े रहे और फिर गिद्ध उन्हें अपना खाना बनाने लगे। ये घटना इतनी भयानक थी कि इसे इतिहास में Great Calcutta Killings कहा जाने लगा।

Direct Action Day के परिणाम

Direct Action Day के बाद भारत की राजनीति पूरी तरह बदल गई और हिंदू-मुस्लिम संबंधों में और ज्यादा तनाव बढ़ गया। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच गहरी खाई बन गई, जिससे विभाजन की संभावना और मजबूत हो गई। ब्रिटिश सरकार को भी इस घटना के बाद लगने लगा कि भारत को एकजुट रखना लगभग असंभव है। आखिरकार, 1947 में भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का गठन इसी प्रक्रिया का परिणाम माना गया।

Direct Action Day और Bengal Riots

Direct Action Day को अक्सर Bengal Riots 1946 या Great Calcutta Killings भी कहा जाता है, क्योंकि ये बंगाल में शुरू हुआ था। बंगाल की राजधानी कोलकाता उस समय इस हिंसा का केंद्र बन गया था, जहां तीन दिन तक खून की नदियां बहती रहीं। इतिहासकारों के अनुसार, ये दंगे योजनाबद्ध थे और इसमें राजनीतिक पार्टियों की भूमिका भी बताई जाती है।

Direct Action Day ने बंगाल के इतिहास पर गहरी चोट छोड़ी, जिसका असर आज तक महसूस किया जाता है। उस समय कांग्रेस पर इस मामले को दबाने का आरोप लगा। कहा जाता है कि, कांग्रेस नहीं चाहती थी कि, इस बारे में देश के बाकी लोगों को पता चले। हालांकि ब्रिटिश सरकार के कुछ बड़े अधिकारियों ने बाद में कुछ किताबों में इसका जिक्र किया है। उनका दावा है कि, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने अपने सियासी फायदे के लिए ये कत्लेआम कराया।

Direct Action Day Bharat Viral News
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The Bengal Files फिल्म में क्या दिखाया गया?

हाल ही में बनी फिल्म The Bengal Files ने Direct Action Day और Bengal Riots की कहानी को बड़े पर्दे पर पेश किया। इस फिल्म में दिखाया गया कि कैसे धार्मिक नफरत और राजनीति ने इंसानियत को पीछे छोड़कर खून-खराबे को जन्म दिया। The Bengal Files में पीड़ित परिवारों के दर्द, महिलाओं पर हुए अत्याचार और बेघर हुए लोगों की दास्तान दिखाई गई है। ये फिल्म दर्शकों को इतिहास की उस सच्चाई से रूबरू कराती है, जिसे लंबे समय तक दबा दिया गया था।

Direct Action Day और जिन्ना की भूमिका

Direct Action Day की घोषणा सीधे तौर पर मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी, जिन्होंने पाकिस्तान की मांग को मजबूती से रखा। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार उनकी मांग नहीं मानती, तो वे “Direct Action” करेंगे। उनका ये ऐलान सिर्फ एक राजनीतिक संदेश नहीं था, बल्कि एक हिंसक आंदोलन की शुरुआत बन गया। जिन्ना के इस कदम को इतिहासकार भारत के विभाजन की जड़ मानते हैं।

The Bengal Files Bharat Viral News
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Direct Action Day का असर भारतीय समाज पर

Direct Action Day ने भारतीय समाज में गहरी दरार पैदा कर दी, जिसकी गूंज आज भी महसूस की जाती है। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच अविश्वास इतना बढ़ा कि एक साथ रहना मुश्किल हो गया। सामाजिक रिश्ते टूट गए, हजारों परिवार बर्बाद हो गए और लाखों लोग हमेशा के लिए विस्थापित हो गए। ये घटना इस बात का प्रमाण है कि राजनीति और धर्म जब मिल जाते हैं, तो कितना बड़ा विनाश हो सकता है।

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Direct Action Day क्यों याद रखना जरूरी है?

Direct Action Day सिर्फ इतिहास का एक अध्याय नहीं है, बल्कि ये आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सबक भी है। अगर धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों को सही तरीके से हल नहीं किया जाए, तो परिणाम हमेशा विनाशकारी होते हैं। The Bengal Files जैसी फिल्में इसी वजह से जरूरी हैं, क्योंकि वे हमें सच्चाई दिखाती हैं और इतिहास से सबक लेने को कहती हैं। Direct Action Day हमें यह सिखाता है कि नफरत की राजनीति कभी भी इंसानियत के लिए सही नहीं हो सकती।

Direct Action Day भारतीय इतिहास की सबसे काली घटनाओं में से एक है, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। इस घटना ने भारत को विभाजन की ओर धकेला और समाज में गहरी खाई पैदा कर दी। The Bengal Files जैसी फिल्में इस सच को जनता के सामने लाती हैं और हमें इतिहास को दोहराने से रोकती हैं। Direct Action Day को याद रखना जरूरी है, ताकि हम समझ सकें कि धर्म और राजनीति का घातक मेल कितना खतरनाक हो सकता है।

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