Kinnar संबंध कैसे बनाते हैं?, किन्नरों का अंतिम संस्कार देखो

किन्नरों की शादी को लेकर समाज में अलग-अलग मान्यताएं हैं। भारत में किन्नरों का विवाह कानूनी तौर पर मान्य नहीं था, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया, जिसके बाद उन्हें भी विवाह का अधिकार मिला।

Kinnar Life : भारतीय समाज में किन्नरों (हिजड़ों) का एक विशेष स्थान रहा है। ये न तो पूर्णतः पुरुष होते हैं और न ही स्त्री, बल्कि इनका लिंग (जेंडर) ट्रांसजेंडर या इंटरसेक्स की श्रेणी में आता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, Kinnar को अशुभ मानने की बजाय शुभ माना जाता है, इसीलिए इन्हें शादी-ब्याह, बच्चे के जन्म या घर में कोई मांगलिक कार्य होने पर बुलाया जाता है। भारत में शायद ही कोई ऐसा समाज हो जिसके शुभ कार्य में Kinnar आशीर्वाद देने नहीं जाते हों। इतना ही नहीं भारत में हर समाज किन्नरों का दिल खोलकर स्वागत भी करते हैं।

किन्नर कैसे बनते हैं?

Kinnar समुदाय में शामिल होने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। ज्यादातर किन्नर जन्म से ही इंटरसेक्स (हिजड़ा) होते हैं, यानी उनके जननांग पूरी तरह से पुरुष या स्त्री जैसे नहीं होते। वहीं, कुछ लोग जो ट्रांसजेंडर होते हैं, वे स्वेच्छा से किन्नर समुदाय में शामिल होते हैं।

किन्नर बनने की प्रक्रिया में निम्न चरण शामिल होते हैं:

1. गुरु-चेला परंपा: किन्नर समुदाय में शामिल होने के लिए एक गुरु (समुदाय का वरिष्ठ सदस्य) को चुनना होता है।
2. नत्था करना (नाम बदलना): नए सदस्य का पुराना नाम बदलकर एक नया नाम रखा जाता है।
3. ऑपरेशन (वैकल्पिक): कुछ किन्नर जननांग सर्जरी करवाते हैं, लेकिन ये अनिवार्य नहीं है।

Kinanr की सेक्स लाइफ कैसी होती है?

किन्नरों की यौन जीवन को लेकर समाज में कई भ्रांतियां हैं। वास्तव में, किन्नरों की यौन प्रवृत्ति उनकी व्यक्तिगत पहचान पर निर्भर करती है।

1. Kinnar और सेक्सुअल ओरिएंटेशन

– कुछ किन्नर खुद को स्त्री के रूप में पहचानते हैं और पुरुषों के प्रति आकर्षित होते हैं।
– कुछ किन्नर सेक्सुअल रूप से एक्टिव नहीं होते और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
– कुछ किन्नर अन्य किन्नरों या ट्रांसजेंडर लोगों के साथ रिलेशनशिप में रहते हैं।

2. Kinnar और शारीरिक संबंध

– जिन किन्नरों ने जननांग सर्जरी करवाई होती है, वे यौन संबंध बना सकते हैं।
– जो किन्नर सर्जरी नहीं करवाते, वे अन्य तरीकों से यौन सुख प्राप्त करते हैं।
– कुछ किन्नर सेक्स वर्कर के रूप में काम करते हैं, क्योंकि समाज में उन्हें रोजगार के अन्य अवसर कम मिलते हैं।

किन्नरों की शादी कैसे होती है?

किन्नरों की शादी को लेकर समाज में अलग-अलग मान्यताएं हैं। भारत में किन्नरों का विवाह कानूनी तौर पर मान्य नहीं था, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया, जिसके बाद उन्हें भी विवाह का अधिकार मिला।

1. किन्नरों की परंपरागत शादी

– कुछ Kinnar समुदाय में “गुरु-चेला” रिश्ते को ही शादी जैसा माना जाता है।
– कुछ Kinnar पुरुषों या अन्य किन्नरों के साथ रिलेशनशिप में रहते हैं, लेकिन इसे कानूनी शादी का दर्जा नहीं मिलता।

2. किन्नरों की कानूनी शादी

– 2019 में ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट पास हुआ, जिसमें ट्रांसजेंडर लोगों को शादी का अधिकार दिया गया।
– कुछ किन्नर कोर्ट मैरिज करते हैं, लेकिन अभी भी समाज में इसे पूरी तरह स्वीकार्यता नहीं मिली है।

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किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे होता है?

किन्नर समुदाय की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग होती है।

1. दफनाने की प्रथा

– अधिकांश किन्नरों को दफनाया जाता है, क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार, अग्नि संस्कार केवल पुरुष ही कर सकते हैं।
– कुछ किन्नर मुस्लिम या ईसाई होते हैं, इसलिए उनका अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार होता है।

2. समुदाय द्वारा संस्कार

– किन्नर समुदाय अपने सदस्यों का अंतिम संस्कार खुद करता है।
– कुछ जगहों पर किन्नरों के शव को नदी में प्रवाहित किया जाता है।

किन्नरों की जिंदगी कैसी होती है?

किन्नर समुदाय को भारतीय समाज में आज भी उतनी स्वीकार्यता नहीं मिली है। उनके सामने कई चुनौतियां हैं:

1. सामाजिक भेदभाव

– शिक्षा और नौकरी में भेदभाव के कारण कई किन्नर भीख मांगने या सेक्स वर्क करने को मजबूर होते हैं।
– समाज में उन्हें अक्सर हंसी-मजाक का पात्र बना दिया जाता है।

2. रोजगार के लिए संघर्ष

– किन्नरों को रोजगार के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
– कुछ किन्नर डांस टीम या सामाजिक कार्यक्रमों में परफॉर्म करके पैसे कमाते हैं।

3. स्वास्थ्य समस्याएं

– HIV/AIDS और अन्य यौन रोगों का खतरा अधिक होता है।
– मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है क्योंकि उन्हें समाज में हमेशा अपनी पहचान छुपानी पड़ती है।

किन्नर समाज हमारे देश का एक अभिन्न हिस्सा है, लेकिन आज भी उन्हें समान अधिकार नहीं मिल पाए हैं। उनकी यौन जीवन, शादी और अंतिम संस्कार से जुड़ी प्रथाएं समाज के लिए एक रहस्य बनी हुई हैं। जरूरत इस बात की है कि हम उन्हें समझें और उनके अधिकारों का सम्मान करें।

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