Panchmukhi Hanuman Kavach : हनुमान जी को सामान्यतः एकमुखी स्वरूप में ही पूजा जाता है, लेकिन कुछ विशेष पौराणिक कथाओं के अनुसार, वे पाँच मुख वाले रूप में भी प्रकट हुए। इन्हें पंचमुखी हनुमान कहा जाता है, जिनके पांच चेहरे हैं:
- वानरमुख (पूर्व दिशा): बुद्धि, भक्ति और सामान्य स्वरूप
- वज्रमुख (दक्षिण दिशा): वज्र रूप में पराक्रम
- गरुडमुख (पश्चिम दिशा): विरोधियों को चीरने वाला तेज़
- घोड़ामुख (उत्तर दिशा): गतिशीलता और युद्ध कौशल
- सर्पमुख (ऊर्ध्व दिशा): सँहारक शक्ति
ये पंचमुखी रूप शत्रुओं पर प्रहार, शक्तिशाली रक्षा कवच प्रदान करने और भक्तों को संकट से बचाने हेतु है।
पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र अर्थ सहित
पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र 16 चौपाईयों का एक संपूर्ण कवच (रक्षा मंत्र) प्रारूप है, जिसमें पारंपरिक श्लोक हनुमान जी को कवच प्रदान करते हैं। नीचे उदाहरण स्वरूप पहला श्लोक प्रस्तुत है:
ॐ हनुमते नमः
पञ्चमुखं कवचं स्वाहा।
अर्थ:
“ॐ हनुमत जी को नमन। आपके पंचमुख वाले स्वरूप की ये कवच स्तोत्र मैं स्वाहा अर्पित करता हूँ।”
पूरे अष्टचालीसा-प्रकार के कवच में प्रत्येक मुख, अंग, अस्त्र-शस्त्र की रक्षा हेतु आशीर्वाद मांगा जाता है।
Panchmukhi Hanuman Kavach क्या है?
पंचमुखी हनुमान कवच एक पूजा-पाठ संरचना है, जो विशेष रूप से संकट, रोग, शत्रु या आत्मरक्षा की स्थितियों में उपयोगी मानी जाती है। अन्य कवचों (जैसे हनुमानास्तक कवच) की तरह, ये भी रक्षा कवच का कार्य करता है।
कैसे पढ़ें?
- साधारण दिन: मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा
- भक्त के संकल्प से: कवच 1-9 दिन
- पूजा विधि: धूप-दीप, पुष्प, चंदन, आदि सहित पाठ
जिस प्रकार हनुमान जी ने राम के साथ श्रीलंका में संजीवनी लाकर महादशा बदल दी थी, वैसे ही ये कवच पाठ त्वचा, संज्ञान और मन-शक्ति रक्षा प्रदान करता है।
पंचमुखी हनुमान मंदिर कहा हैं?
- ऋषिकेश, उत्तराखंड
- पंचकोणित हनुमान मंदिर, जहाँ पंचमुखी प्रतिमा की प्रमुख स्थापना है।
- चेन्नई, तमिलनाडु
- पंचमुखी हनुमान स्वामी मंदिर, जहाँ तत्कालीन राजा की रक्षा हेतु पाँच मुखों का स्वरूप प्रतिष्ठापित किया गया।
- अयोध्या, उत्तर प्रदेश
- पंचमुखी हनुमान मंदिर, मैत्रेय आश्रम के निकट स्थित एक पौराणिक स्थल।
- हैदराबाद, तेलंगाना
- पंचमुखी हनुमान स्वामी मंदिर, गंगापुर।
- केरल
- कुछ ग्रामीण मंदिरों में भी अंशकालिक पंचमुखी रूप प्रतिष्ठित है।
ये मंदिर हिंदू धर्म में रक्षा, सामर्थ्य, और संकटमोचक देवता के रूप में मान्य हैं।
पंचमुखी हनुमान कथा — कैसे हुए ये पांच मुख?
- रामायण के पश्चात्, रामचंद्र ने हनुमान जी को पंचमुखी रूप में शक्ति प्रदान करने का आदेश दिया।
- शत्रु-नाश के लिए: चारों दिशाओं से प्रदर्शन हेतु पाँच मुख दिए।
- संजीवनी लाने के बाद वे इस स्वरूप में भी प्रकट हुए, जिससे जीवन रक्षा का सन्देश स्थापित हुआ।
- मंदिरों में इसका आदान-प्रदान धर्म-इतिहासिक एवं भक्तीय आधार पर चलता रहा।
कुछ शास्त्रीय संस्करणों में कहा गया कि क्षेमकरण के लिए शिव-पार्वती ने भी उनका पंचमुखी स्वरूप संकल्पित कराया।
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क्यों पढ़ें पंचमुखी हनुमान कवच?
लाभ | विवरण |
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भक्ति और रक्षा | कवच पाठ भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है |
आत्मविश्वास | मन में स्थिरता व संकल्प बढ़ता है |
शारीरिक लाभ | तनाव, नींद विकार, मानसिक पीड़ा कम होती है |
संकटमोचन | शत्रु, कायरता या आत्माना परेशानियों से रक्षा होती है |
हनुमान जी की कृपा तभी अनुभव होती है जब पाठ श्रद्धा, शुद्ध भाव, व चढ़ावा-पुष्प सहित किया जाए।
पंचमुखी हनुमान स्तोत्र पाठ कैसे करें
- साफ स्थान, पूजा-सामग्री रखें: दीप, धूप, पुष्प, अक्षत।
- कलश स्थापना करें, दीप प्रज्वलित करें।
- ॐ हनुमते नमः से कवच प्रथमिक पाठ शुरू करें।
- प्रत्येक मुख पर ध्यान (ध्यान विधि मौजूद कवच में)।
- अंत में ॐ हनुमत शक्तिम् कुल्यै, ईर्शा मंत्र का उच्चारण करें।
धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व
- असुर निकंर्तन हेतु पंचमुख – चारों दिशाओं में शत्रु नाश।
- चक्षु‘आधारक’ – बुद्धि, दृष्टि, चित्त, विवेक, ध्यान लाभ।
- शास्त्रीय सिद्धि– कवच मिलन से व्यक्ति में आत्मबल व रक्षात्मक शक्ति बढ़ती है।
- समृद्धि-धन-यश – भक्तों की वाणी, कर्म और मंत्र-संस्कार से जीवन सफल होता है।
“Panchmukhi Hanuman Kavach स्तोत्र” एक समृद्ध एवं लाभकारी भक्ति साधना है, जो संकटमोचन और आत्मरक्षा हेतु विकसित किया गया। पाँच मुखों का अंश प्रत्येक दिशा में शुभता, प्रताप, तेज, बुद्धि और रक्षा प्रतीकित करता है।