PM Modi on Pakistan : नई दिल्ली – जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में मारे गए जवानों और नागरिकों की शहादत को बेकार न जाने देने का संकल्प लेते हुए भारत सरकार ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में बुधवार (23 अप्रैल 2025) को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में लिए गए निर्णयों से साफ हो गया है कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़े और निर्णायक कदम उठाएगा।
PM Modi का बड़ा फैसला
PM Modi की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि भारत ने इस हमले की तीव्र निंदा की है और पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
- सिंधु जल संधि स्थगित:
भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया है। जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना नहीं छोड़ता, तब तक यह संधि बहाल नहीं की जाएगी। - अटारी बॉर्डर बंद:
भारत ने अटारी बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। जो लोग वैध दस्तावेजों के आधार पर भारत में हैं, उन्हें 1 मई 2025 से पहले उसी मार्ग से लौटने की अनुमति दी जाएगी। - वीजा और यात्रा प्रतिबंध:
पाकिस्तानी नागरिकों को अब सार्क वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। पहले से जारी SVES वीजा को भी रद्द कर दिया गया है। भारत में मौजूद पाकिस्तानियों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। - पाक उच्चायोग के अधिकारियों को निष्कासित किया गया:
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर एक सप्ताह में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। - भारतीय अधिकारी भी वापस बुलाए जाएंगे:
भारत ने इस्लामाबाद में स्थित अपने उच्चायोग से सभी सैन्य सलाहकारों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। इन पदों को निरस्त माना जाएगा।
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सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों — ब्यास, रावी और सतलुज — का पूर्ण उपयोग करने का अधिकार दिया गया, जबकि तीन पश्चिमी नदियाँ — सिंधु, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान को सौंपी गईं।
भारत इन पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग ही कर सकता है — जैसे सिंचाई, घरेलू उपयोग और छोटे जल विद्युत प्रोजेक्ट्स — लेकिन वह इनका पानी रोक नहीं सकता। यह समझौता दशकों से चला आ रहा है, लेकिन भारत बार-बार यह संकेत देता रहा है कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता रहा, तो इस संधि पर पुनर्विचार हो सकता है।
इससे पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा?
अगर भारत सिंधु जल संधि को पूरी तरह समाप्त करने की ओर बढ़ता है, तो पाकिस्तान को निम्नलिखित बड़े नुकसान हो सकते हैं:
- पानी की भारी किल्लत:
पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था का बड़ा हिस्सा झेलम और सिंधु जैसी पश्चिमी नदियों पर निर्भर है। पानी की आपूर्ति में रुकावट से वहां की खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर पड़ेगा। - बिजली उत्पादन प्रभावित होगा:
पाकिस्तान में जल विद्युत परियोजनाएं इन नदियों पर आधारित हैं। पानी कम मिलने से बिजली संकट गहराएगा। - राजनीतिक दबाव और अस्थिरता:
आंतरिक असंतोष बढ़ेगा और वहां की सरकार पर जनता का दबाव भी बढ़ेगा। - आर्थिक नुकसान:
कृषि और बिजली संकट के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा, जिससे उनका व्यापार घाटा और बढ़ सकता है।
भारत का ये कड़ा रुख केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि अब भारत आतंकवाद को लेकर कोई नरमी नहीं बरतेगा। सिंधु जल संधि पर रोक भारत के पास मौजूद एक मजबूत कूटनीतिक हथियार है, जिसे अब सक्रिय रूप से प्रयोग में लाया जा रहा है।
इन सख्त कदमों से ये भी स्पष्ट हो गया है कि भारत अब न सिर्फ सीमा पर बल्कि जल, कूटनीति और वैश्विक मंचों पर भी आतंक के खिलाफ निर्णायक मोर्चा खोल चुका है।
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