अफगानिस्तान में पृथ्वीराज चौहान की कब्र पर जूते क्यों मारते हैं ? क्या है सच ?

Prithviraj Chauhan Samadhi HCN News

Prithviraj Chauhan Samadhi : सोशल मीडिया पर अक्सर ये दावा किया जाता है कि पाकिस्तान या अफगानिस्तान में स्थित पृथ्वीराज चौहान की कथित कब्र पर लोग जूते मारते हैं। इस खबर को लेकर इतिहास में रुचि रखने वाले लोग सवाल उठा रहे हैं कि इसकी सच्चाई क्या है? आइए इस दावे की पड़ताल करते हैं।

कौन थे पृथ्वीराज चौहान?

पृथ्वीराज चौहान 12वीं शताब्दी के एक महान हिंदू शासक थे, जिन्होंने दिल्ली और अजमेर पर शासन किया। वो चौहान वंश के राजा थे और अपनी वीरता और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने मोहम्मद गौरी के खिलाफ कई युद्ध लड़े, जिनमें से सबसे चर्चित तराइन का दूसरा युद्ध (1192) था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजय का सामना करना पड़ा और उन्हें कैद कर लिया गया। इसके बाद उनकी मृत्यु को लेकर कई तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं।

क्या सच में पाकिस्तान या अफगानिस्तान में है उनकी कब्र?

ऐसा माना जाता है कि मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को अफगानिस्तान के गजनी में ले जाकर बंदी बना लिया था और वहीं उनकी मृत्यु हुई। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान की कब्र गजनी में है, लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। भारत में कई इतिहासकार मानते हैं कि ये केवल एक अफवाह है और पृथ्वीराज चौहान की असली समाधि भारत में ही हो सकती है।

जूते मारने का दावा कितना सही?

कई सोशल मीडिया पोस्ट और यूट्यूब वीडियो में ये दावा किया जाता है कि अफगानिस्तान के गजनी में पृथ्वीराज चौहान की कब्र पर स्थानीय लोग जूते मारते हैं। कहा जाता है कि ये परंपरा वहां सदियों से चली आ रही है, क्योंकि पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को युद्ध में कई बार हराया था। हालांकि, इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। इतिहासकारों का मानना है कि ये एक मनगढ़ंत कहानी हो सकती है, जिसे सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इतिहास पर राजनीति का असर?

इतिहास को लेकर कई बार राजनीति भी की जाती है। पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच हुए संघर्ष को धार्मिक नजरिए से देखा जाता है, जबकि यह मध्यकालीन सत्ता संघर्ष का एक हिस्सा था। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली खबरों की सच्चाई की जांच करना जरूरी होता है, ताकि गलतफहमियां न फैले।

क्या कहना है विशेषज्ञों का?

इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु और उनकी कब्र को लेकर कई तरह की कथाएँ प्रचलित हैं, लेकिन उनके अफगानिस्तान में होने के प्रमाण नहीं हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार सतीश चंद्र और रोमिला थापर का कहना है कि पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उनका क्या हुआ, इस पर अभी भी विवाद है।

सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली खबरों पर आंख बंद करके भरोसा करना सही नहीं है। पृथ्वीराज चौहान भारत के वीर योद्धा थे और उनकी विरासत को सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए। किसी भी ऐतिहासिक तथ्य को स्वीकार करने से पहले प्रमाणिक स्रोतों से उसकी पुष्टि करना जरूरी है। अफगानिस्तान में उनकी कब्र और वहां पर जूते मारने की परंपरा की कोई ठोस पुष्टि नहीं है, इसलिए इसे मात्र एक अफवाह ही माना जाना चाहिए।

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