Petrol-Diesel Price : भारत में कच्चे तेल के आयात की कीमतों में बीते पांच वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। फिलहाल भारत को कच्चा तेल औसतन 70 डॉलर प्रति बैरल से भी कम कीमत पर मिल रहा है। ये 2021 के बाद पहली बार हुआ है जब देश को इतने कम दाम पर क्रूड ऑयल मिल रहा है। इस गिरावट का असर आम जनता पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इससे Petrol-Diesel की कीमतों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
क्रूड ऑयल की कीमत 65 डॉलर से भी नीचे
सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई थी। ये संकेत करता है कि आने वाले समय में तेल की खुदरा कीमतों में कमी हो सकती है। हालांकि भारत सरकार ने फिलहाल Petrol-Diesel के खुदरा दाम में बदलाव नहीं किया है, लेकिन तेल कंपनियों को राहत जरूर मिली है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि शुक्रवार को भारत ने कच्चे तेल के आयात पर औसतन 69.39 डॉलर प्रति बैरल खर्च किया। वहीं पिछले साल अप्रैल में यही खर्च 89.44 डॉलर प्रति बैरल था। यानी एक साल में लगभग 22% की कमी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आधिकारिक डेटा अभी अपडेट नहीं हो सका है, क्योंकि सोमवार को अंबेडकर जयंती की वजह से सरकारी अवकाश था।
क्या आगे और सस्ती हो सकती है कीमतें?
रिपोर्ट में कुछ विशेषज्ञों और तेल कंपनियों के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि आने वाले समय में वैश्विक आर्थिक मंदी और अमेरिका-चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध की वजह से तेल की मांग में कमी आ सकती है। इसके चलते क्रूड ऑयल की कीमतें आगे और गिर सकती हैं।
भारत लगभग 87% कच्चा तेल आयात करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों का उतार-चढ़ाव भारत की ऊर्जा लागत पर सीधा असर डालता है। रिफाइनिंग कंपनियों के लिए कच्चा तेल एक प्रमुख कच्चा माल है और कुल उत्पादन लागत में इसका हिस्सा लगभग 90% होता है।
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गोल्डमैन सैक्स का अनुमान
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सोमवार को बताया कि गोल्डमैन सैक्स ने इस साल क्रूड ऑयल की औसत कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान जताया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तेल निर्यातक देशों का संगठन OPEC इस साल और अगले साल तेल की मांग में गिरावट का अनुमान लगा रहा है।
भारत में Petrol-Diesel की कीमत कैसे तय होती है?
ये सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता हो रहा है, तो भारत में Petrol-Diesel के दाम क्यों नहीं घटते? इसके पीछे कई कारक होते हैं:
- कच्चा तेल और रिफाइनिंग लागत: भारत कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है। इस प्रक्रिया में परिवहन, प्रोसेसिंग, और स्टोरेज की लागत जुड़ती है।
- सरकारी टैक्स: भारत में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें भारी टैक्स लगाती हैं। इसमें एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), डीलर कमीशन आदि शामिल हैं। ये टैक्स कुल कीमत का बड़ा हिस्सा होते हैं।
- डॉलर-रुपया विनिमय दर: भारत तेल की खरीद अमेरिकी डॉलर में करता है। अगर डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है, तो भारत को ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं, भले ही क्रूड की कीमत गिरी हो।
- तेल कंपनियों की प्राइसिंग नीति: भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोज़ाना संशोधित की जाती हैं, जिसे डेली प्राइस रिवीजन सिस्टम कहते हैं। इस सिस्टम के तहत अंतरराष्ट्रीय कीमतों, मुद्रा विनिमय दर, और अन्य लागतों को ध्यान में रखकर दाम तय होते हैं।
जनता को राहत कब मिलेगी?
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरी हैं, लेकिन आम जनता को राहत तभी मिलेगी जब तेल कंपनियां और सरकार खुदरा कीमतों में कटौती का फैसला लेंगी। फिलहाल चुनावी माहौल को देखते हुए ये भी मुमकिन है कि आने वाले हफ्तों में सरकार Petrol-Diesel पर टैक्स में कटौती करके जनता को सीधी राहत दे।
भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में ये गिरावट एक आर्थिक राहत की खबर है। इससे व्यापार घाटा कम हो सकता है, महंगाई में थोड़ी नरमी आ सकती है और सरकार के लिए राजकोषीय प्रबंधन आसान हो सकता है। अब देखना ये होगा कि इसका फायदा आम आदमी को कब और कैसे मिलता है।