Chaturmas 2025 : पाताल लोक जा रहे भगवान विष्णु, जानिए वजह

Chaturmas 2025 Bharat Viral News

नई दिल्ली- हिंदू धर्म में वर्ष भर के सभी महीनों में चातुर्मास () का खास महत्व है। ये एक चार महीने की पवित्र अवधि होती है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलती है। इस वर्ष चातुर्मास 6 जुलाई 2025 से शुरू होकर 1 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।

इस दौरान भगवान विष्णु (Lord Vishnu) योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंप दी जाती है। लेकिन सवाल ये उठता है कि सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु भगवान चार महीने तक क्यों विश्राम करते हैं? इसका जवाब हमें पुराणों की उस रोचक कथा में मिलता है, जो राजा बलि (King Bali) और वामन अवतार (Vamana Avatar) से जुड़ी है।

चातुर्मास क्या है ? (What is Chaturmas ?)

चातुर्मास (Chaturmas) का शाब्दिक अर्थ है “चार महीने”। ये श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक – इन चार पवित्र महीनों की अवधि को दर्शाता है। इस काल को धार्मिक साधना, उपवास, संयम और पुण्य कर्मों के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसा विश्वास है कि इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां योगनिद्रा में रहते हैं।

ऐसे में इस समय देवता भी किसी नई शुरुआत से बचते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में शादी-ब्याह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इतना ही नहीं हिंदू समाज के लोग Chaturmas में नया मकान, नई जमीन, नया वाहन तक नहीं खरीदते। माना जाता है कि, इस समय भगवान का आशीर्वाद नहीं मिल पाता।

कथा: जब भगवान विष्णु गए पाताल लोक

पौराणिक मान्यता के अनुसार, असुरों के शक्तिशाली राजा बलि ने अपनी भक्ति, दानशीलता और पराक्रम से तीनों लोकों – पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल पर अधिकार कर लिया था। उसकी शक्ति से भयभीत होकर इंद्र और अन्य देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे रक्षा की प्रार्थना की।

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भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया – एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में। वामन राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे और तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने सहजता से ये दान स्वीकार कर लिया।

वामन ने फिर विराट रूप धारण किया।

  • पहला पग में उन्होंने पृथ्वी को नाप लिया,
  • दूसरे पग में स्वर्ग को नापा,
  • और तीसरे पग के लिए स्थान न बचा, तब बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।

भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक भेज दिया और वहीं विराजमान हो गए।

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राजा बलि का वरदान और Chaturmas की शुरुआत

राजा बलि की भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने विनम्र भाव से कहा – “हे प्रभु! आप मेरे पाताल लोक में निवास करें, यही मेरा वरदान हो।” भगवान विष्णु ने उसका आग्रह स्वीकार कर लिया और वचन दिया कि वे हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक उसके साथ रहेंगे।

इस वचन के बाद ही हर वर्ष Chaturmas का प्रारंभ होता है, जब भगवान विष्णु सृष्टि की गतिविधियों से विराम लेकर पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं।

माता लक्ष्मी का रक्षाबंधन और भगवान विष्णु की वापसी

भगवान विष्णु के पाताल लोक में निवास से देवताओं और माता लक्ष्मी को चिंता हुई। देवी लक्ष्मी ने एक युक्ति अपनाई। उन्होंने एक साधारण स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंचीं। रक्षाबंधन के दिन उन्होंने राजा बलि को राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बना लिया। बदले में जब राजा बलि ने उपहार मांगने को कहा, तो देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की वापसी का आग्रह किया।

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राजा बलि ने वचन निभाते हुए विष्णु जी को लौटने की अनुमति दे दी – पर एक शर्त पर कि भगवान विष्णु हर वर्ष चार महीनों के लिए पाताल लोक में निवास करेंगे। तभी से ये परंपरा चातुर्मास के रूप में स्थापित हुई।

चातुर्मास का आध्यात्मिक महत्व

चातुर्मास सिर्फ एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना और आत्म-विकास का अवसर है।

इस दौरान:

  • उपवास और व्रत रखे जाते हैं
  • संत-महात्मा गृहस्थों के यहां ठहरते हैं और धार्मिक शिक्षा देते हैं
  • लोग पढ़ाई, तपस्या, भजन, दान और सेवा जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं

संन्यासियों के लिए Chaturmas के चार महीने यात्रा वर्जित माने जाते हैं। वे एक ही स्थान पर रुककर धर्म प्रचार करते हैं।

Raja Mahabali Bharat Viral News
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क्या नहीं करना चाहिए चातुर्मास में?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, चातुर्मास में कुछ कार्यों से बचना चाहिए:

  • शादी-ब्याह नहीं होते
  • गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना वर्जित
  • मांसाहार, मद्यपान, तामसिक भोजन निषेध
  • बाल कटवाना, नाखून काटना आदि कार्यों से परहेज

ये समय शरीर और आत्मा की शुद्धि का होता है, इसलिए संयम और सात्विक जीवनशैली अपनाना शुभ माना गया है।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चातुर्मास

बारिश के महीनों में वातावरण में नमी अधिक होती है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा होता है। इसलिए इस काल में तामसिक भोजन से बचना, बाहरी यात्रा को सीमित करना और संयमपूर्ण दिनचर्या अपनाना शरीर के लिए लाभदायक होता है। चातुर्मास के नियम सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वैज्ञानिक आधार पर टिके हैं।

Chaturmas 2025 की प्रमुख तिथियां

पर्व दिनांक
देवशयनी एकादशी (चातुर्मास आरंभ) 6 जुलाई 2025
श्रावण मास आरंभ 7 जुलाई 2025
रक्षाबंधन 10 अगस्त 2025
जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025
गणेश चतुर्थी 30 अगस्त 2025
नवरात्रि प्रारंभ 30 सितंबर 2025
दशहरा 8 अक्टूबर 2025
शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2025
करवा चौथ 28 अक्टूबर 2025
देवउठनी एकादशी (चातुर्मास समाप्ति) 1 नवंबर 2025
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Chaturmas न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये एक ऐसा काल है, जब व्यक्ति आत्मचिंतन, साधना, संयम और सेवा के मार्ग पर चलकर आत्मिक शुद्धि और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है। इस वर्ष 2025 में चातुर्मास का आगमन एक बार फिर हमें यही संदेश देता है – कि जब संसार की गतिविधियां रुक जाएं, तब अपने भीतर झांकने का समय आ गया है।

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