Sophia Qureshi कौन हैं?, Operation Sindoor में निभाई भूमिका

लेफ्टिनेंट कर्नल Sophia Qureshi, जो इस ऑपरेशन की कमांडिंग टीम का हिस्सा थीं, भारतीय सेना में एक ऐसा नाम हैं जिसने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। गुजरात की रहने वाली सोफिया, बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महज 17 वर्ष की उम्र में सेना में शामिल हुई थीं।
Who is Colonel Sophia Qureshi Bharat Viral News

Sophia Qureshi : नई दिल्ली – मंगलवार की रात भारतीय सेना ने आतंक के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस जॉइंट ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना, नौसेना और थलसेना तीनों ने मिलकर हिस्सा लिया। इस मिशन में खास बात रही दो महिला अधिकारियों की भूमिका – लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (Sophia Qureshi) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की।

ये कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के बदले में की गई। इसकी जानकारी दाते हुए कर्नल Sophia Qureshi ने बेहद सटीक और रणनीतिक अंदाज में पूरे मिशन की जानकारी दी, जिससे ये साबित हो गया कि भारत की नारी शक्ति अब सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि ऑपरेशन कमांड में भी सबसे आगे है।

ऑपरेशन सिंदूर: एक सटीक जवाब

भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात करीब 1:30 बजे आतंकवादियों के 9 ठिकानों को टारगेट करते हुए स्ट्राइक की। इन ठिकानों में 4 पाकिस्तान में और 5 POK में मौजूद थे। इस मिशन की पूरी जानकारी खुफिया एजेंसी RAW द्वारा दी गई थी, और इसके लिए एडवांस्ड Air-to-Surface Missiles और Loitering Drones का इस्तेमाल किया गया। इस मिशन में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ने शानदार तालमेल दिखाया और ये पहला मौका था जब तीनों सेनाओं ने मिलकर पाकिस्तान की सीमा के भीतर इतनी गहराई तक ऑपरेशन किया।

Sophia Qureshi कौन हैं?

लेफ्टिनेंट कर्नल Sophia Qureshi, जो इस ऑपरेशन की कमांडिंग टीम का हिस्सा थीं, भारतीय सेना में एक ऐसा नाम हैं जिसने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। गुजरात की रहने वाली सोफिया, बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महज 17 वर्ष की उम्र में सेना में शामिल हुई थीं।

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वे सिग्नल कॉर्प्स की अधिकारी हैं, जो कम्युनिकेशन और सूचना तकनीक का संचालन करती है – किसी भी ऑपरेशन में इसका योगदान सबसे अहम होता है।

इंटरनेशनल स्तर पर पहली महिला ऑफिसर

Sophia Qureshi पहली बार सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने 2016 में पुणे में आयोजित Multinational Army Exercise – Force 18 में भारत की ओर से 18 देशों की सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व किया। इस अभ्यास में अमेरिका, चीन, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया जैसे देशों की सेनाएं शामिल थीं।

सोफिया इस पूरे अभ्यास की एकमात्र महिला कमांडर थीं, जिन्होंने किसी देश की आर्मी यूनिट की कमान संभाली थी। इससे भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत संदेश दिया – कि महिला अधिकारी भी किसी भी चुनौती को पूरी दक्षता से पूरा कर सकती हैं।

UN Peace Mission से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में भी काम किया। 2010 से वे लगातार शांति अभियानों से जुड़ी रही हैं। उन्हें पीसकीपिंग ट्रेनिंग ग्रुप से चयनित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बेहतरीन ट्रेनिंग देता है।

इसके अलावा, पंजाब सीमा पर ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उनकी सेवाओं के लिए उन्हें GOC-in-C Appreciation Letter मिला और उत्तर-पूर्व भारत में बाढ़ राहत कार्यों में Signal Officer-in-Chief ने उन्हें सम्मानित किया।

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परिवार भी सेना से जुड़ा

सोफिया एक आर्मी बैकग्राउंड से आती हैं। उनके दादा भारतीय सेना में थे और उनके पति मेकेनाइज़्ड इन्फेंट्री में ऑफिसर हैं। यही कारण है कि देशभक्ति और अनुशासन उनके स्वभाव में कूट-कूटकर भरा हुआ है।

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उनकी ये पृष्ठभूमि उन्हें न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि ऑपरेशन जैसे high-stress मिशन को डील करने में आत्मविश्वास भी।

ऑपरेशन सिंदूर में महिलाओं की भूमिका

इस हाई-प्रोफाइल मिशन की पूरी प्लानिंग बेहद गोपनीय थी और इसे सफल बनाने में दो महिलाओं का प्रमुख योगदान रहा – लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। इस स्ट्राइक के बाद मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दोनों अफसरों ने पूरे राष्ट्र को बताया कि कैसे भारत ने आतंक के खिलाफ अपनी सबसे बड़ी जवाबी कार्रवाई को अंजाम दिया।

Sophia Qureshi नारी शक्ति की नई पहचान

सोफिया कुरैशी की उपलब्धि सिर्फ एक महिला अधिकारी के तौर पर नहीं, बल्कि एक मजबूत रणनीतिक लीडर के रूप में देखी जानी चाहिए। उन्होंने न केवल इंटरनेशनल मंच पर भारत का नेतृत्व किया है, बल्कि अब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर जैसे जटिल और रिस्की मिशन में भी अहम भूमिका निभाई है। वे आने वाली पीढ़ी की उन लड़कियों के लिए एक role model हैं, जो सेना में करियर बनाना चाहती हैं।

ऑपरेशन सिंदूर में क्यों था उनका रोल अहम?

सिग्नल कॉर्प्स से जुड़ी सोफिया ऑपरेशन की रीढ़ होती हैं, क्योंकि कम्युनिकेशन और डेटा इंटेलिजेंस के बिना किसी भी मिशन की सफलता संभव नहीं। Mission-specific code relay करना, डेटा ट्रैकिंग, और निगरानी ऑपरेशन उनके नेतृत्व में ही सफलतापूर्वक पूरे हुए।

आतंकी हमले का मिलेगा जवाब

भारत ने ये साबित कर दिया है कि जैसे कायराना हरकतों का जवाब अब सिर्फ डिप्लोमैटिक बयानों से नहीं, बल्कि ग्राउंड एक्शन से मिलेगा। और इस एक्शन का चेहरा जब सोफिया कुरैशी जैसी महिला अफसर बनती हैं, तो यह भारत की सैन्य शक्ति के साथ-साथ सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक बन जाता है।

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आज भारत की सैन्य शक्ति केवल हथियारों में नहीं, बल्कि नेतृत्व में भी झलकती है। लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी महिला अधिकारी ये साबित कर रही हैं कि महिला सशक्तिकरण का असली मतलब decision-making positions पर महिलाओं की उपस्थिति है – और वो अब सेना में भी दिखाई दे रही है।

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