Vijayadashami - Bharat Viral News - BVN https://bharatviralnews.com India’s Fastest Viral News Portal – BharatViralNews.com Thu, 25 Sep 2025 15:39:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.2 https://bharatviralnews.com/wp-content/uploads/2025/06/cropped-logo-bv-u-322-32x32.png Vijayadashami - Bharat Viral News - BVN https://bharatviralnews.com 32 32 Dussehra – Vijayadashami क्यों मनाते हैं ?, जानिए विजयदशमी की पूरी कथा https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/why-is-dussehra-vijayadashmi-celebrated https://bharatviralnews.com/dharam-sansar/why-is-dussehra-vijayadashmi-celebrated#respond Thu, 25 Sep 2025 15:39:58 +0000 https://bharatviralnews.com/?p=11577 दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पर्व हमें यह शिक्षा देता है कि हमें हर स्थिति में सत्य, धर्म और न्याय का साथ देना चाहिए। लोग इस दिन नए काम शुरू करते हैं क्योंकि विजयदशमी को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

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2025 : भारत त्योहारों की भूमि है, और हर त्यौहार अपनी विशेष मान्यता और परंपरा के कारण लोगों के जीवन को खास बना देता है। इन सभी त्योहारों में दशहरा या विजयदशमी का महत्व सबसे अलग और अद्वितीय माना जाता है। हर साल ये पर्व अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

लोग इस दिन भगवान श्रीराम की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का स्मरण करते हुए खास पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन आज भी बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि दशहरा क्यों मनाया जाता है और इसे विजयदशमी क्यों कहा जाता है। इतना ही नहीं कई लोग विजयदशमी पूजन में कुछ गलतियां कर जाते हैं जो आपके लिए कष्ट पैदा कर देती हैं। Bharat Viral News आज आपके हर सवाल का जवाब विस्तार से देने जा रहा है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है? (Why is Dussehra celebrated)

दशहरा का संबंध सीधे भगवान श्रीराम और रावण युद्ध (Rama and Ravana Fight) से जोड़ा जाता है, जहां श्रीराम ने असत्य पर सत्य की जीत पाई। रामायण के अनुसार जब रावण ने माता सीता का हरण किया, तब भगवान श्रीराम ने लंका जाकर रावण का वध किया। उस युद्ध का अंत अश्विन शुक्ल दशमी को हुआ और इसी दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाने लगा।

इसी वजह से दशहरा को बुराई पर अच्छाई और अन्याय पर न्याय की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये पर्व समाज को सिखाता है कि कितनी भी ताकतवर बुराई क्यों न हो, अंततः अच्छाई की ही जीत होती है। यही कारण है कि, ये पर्व भारत में बड़े भाव से मनाया जाता है।

Dussehra - Vijayadashami Bharat Viral News
Dussehra – Vijayadashami Bharat Viral News

दशहरा पूजन कैसे करें? (How to perform Dussehra Puja?)

दशहरा पूजन का विशेष महत्व होता है, और इस दिन लोग विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करके भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर में भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें।

नवरात्रि के नौ दिन तक पूजे गए घट या कलश का विसर्जन भी दशहरा के दिन किया जाता है। लोग शमी वृक्ष की पूजा करते हैं और इसे सोना या स्वर्णपुष्प अर्पित करके सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की भी परंपरा है, जिससे जीवन में शक्ति और सुरक्षा बनी रहती है।

विजयादशमी क्यों मनाई जाती है? (Why is Vijayadashami celebrated?)

विजयादशमी नाम का अर्थ ही है – विजय प्राप्त करने का दिन, जो हर प्रकार की बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसलिए इसे विजयदशमी के नाम से भी पूरे भारत में मनाया जाता है। कई जगहों पर इस दिन देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का स्मरण भी किया जाता है।

इसलिए ये पर्व दोहरी धार्मिक मान्यता लिए हुए है – श्रीराम की लंका विजय और मां दुर्गा की असुरों पर विजय। यही कारण है कि विजयदशमी का पर्व शक्ति, साहस और धर्म की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।

दशहरा और विजयादशमी के साथ-साथ महिषासुर वध कथा का भी गहरा संबंध है। भारत के कई हिस्सों में दशहरे को केवल राम-रावण युद्ध से ही नहीं, बल्कि देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की स्मृति में भी मनाया जाता है। तो चलिए इस कथा को भी विस्तार से समझते हैं।

Mahishasur Vadh Katha Bharat Viral News
Mahishasur Vadh Katha Bharat Viral News

महिषासुर वध कथा (Mahishasur Vadh Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया। वरदान ये था कि कोई भी देवता या असुर उसे मार नहीं सकेगा, केवल एक स्त्री ही उसका अंत कर पाएगी।

वरदान पाकर महिषासुर अत्याचारी बन गया और स्वर्गलोक पर आक्रमण करके देवताओं को वहां से निकाल दिया। उसका आतंक इतना बढ़ गया कि धरती, पाताल और स्वर्ग – तीनों लोक उसके अत्याचारों से परेशान हो गए।

देवी दुर्गा का प्रकट होना

देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वे महिषासुर का अंत करें। तीनों महादेवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों को मिलाकर एक अद्भुत तेज उत्पन्न किया। उस तेज से माता आदिशक्ति दुर्गा का प्राकट्य हुआ, जो दस भुजाओं वाली थीं और हर भुजा में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए थीं। देवताओं ने अपने-अपने दिव्य अस्त्र माता दुर्गा को प्रदान किए, जिससे वे और भी शक्तिशाली हो गईं।

महिषासुर और दुर्गा का युद्ध

माता दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा, तब महिषासुर ने कई दिन और रात चलने वाला युद्ध किया। वो कभी महिष (भैंसा), कभी सिंह, कभी हाथी और कभी पुरुष का रूप धारण कर माता से युद्ध करता रहा।

माता दुर्गा ने धैर्य और शक्ति के साथ हर रूप में उसे परास्त किया और अंततः अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। महिषासुर के मरने के बाद तीनों लोकों में शांति स्थापित हुई और देवताओं ने माता दुर्गा की स्तुति की।

विजयादशमी का महत्व

महिषासुर वध की इस कथा के कारण विजयादशमी को देवी दुर्गा की असुरों पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश समाज को मिलता है और स्त्री शक्ति की महिमा का आदर किया जाता है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वी भारत में दशहरे को दुर्गा पूजा का समापन माना जाता है। महिषासुर वध की याद में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है और लोग देवी दुर्गा की विजय का उत्सव मनाते हैं।

महिषासुर वध कथा हमें सिखाती है कि जब भी बुराई और अन्याय का आतंक बढ़ता है, तब दिव्य शक्ति उसका अंत करती है। ये कथा स्त्री शक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाती है, कि एक नारी भी बड़े से बड़े दानव का वध कर सकती है। इसी कारण दशहरे का पर्व न केवल राम-रावण युद्ध से जुड़ा है, बल्कि देवी दुर्गा की विजय से भी जुड़ा हुआ है।

Happy Dussehra Bharat Viral News
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दशहरा कब मनाया जाता है?

हर साल दशहरा नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन यानी दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को पूरे देशभर में मनाया जाता है। 2025 में दशहरा का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा, पंचांग के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। ये दिन शुभ मुहूर्त और धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से बहुत पावन और मंगलकारी माना जाता है। लोग इस दिन रावण दहन करते हैं और एक-दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएं देकर खुशियां बांटते हैं।

दशहरा का क्या महत्व है?

दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पर्व हमें यह शिक्षा देता है कि हमें हर स्थिति में सत्य, धर्म और न्याय का साथ देना चाहिए। लोग इस दिन नए काम शुरू करते हैं क्योंकि विजयदशमी को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

कई क्षेत्रों में इस दिन अस्त्र-शस्त्र और वाहन की पूजा करके अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने की परंपरा है। इसके अलावा किसान दशहरे के दिन अपने खेतों में हल चलाकर नए कृषि कार्यों की शुरुआत करते हैं।

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहा जाता है?

दशहरे को विजयदशमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। ‘विजय’ का अर्थ है जीत और ‘दशमी’ का अर्थ है दसवीं तिथि, इसलिए इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है। इस दिन अच्छाई की विजय का पर्व मनाया जाता है और समाज को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती है।

कई स्थानों पर रावण दहन के साथ मेघनाद और कुम्भकर्ण का दहन भी किया जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है। इस तरह दशहरे को विजयदशमी कहना इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।

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दशहरा और सामाजिक परंपराएं

भारत के अलग-अलग राज्यों में दशहरा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है और हर जगह की अपनी मान्यता होती है। उत्तर भारत में रावण दहन की परंपरा है जबकि दक्षिण भारत में देवी दुर्गा की विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में लोग शमी वृक्ष के पत्ते एक-दूसरे को देकर ‘सोना’ कहते हैं और समृद्धि की शुभकामनाएं देते हैं। पश्चिम बंगाल में दशहरे को दुर्गा पूजा का समापन माना जाता है और माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होता है। इस तरह दशहरा एक ऐसा पर्व है जो पूरे भारत को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में पिरोता है।

दशहरा और आध्यात्मिक दृष्टि

आध्यात्मिक रूप से दशहरा हमें ये याद दिलाता है कि मनुष्य को अपने भीतर की बुराइयों को नष्ट करना चाहिए। अहंकार, क्रोध, लोभ और असत्य जैसे नकारात्मक गुण रावण के प्रतीक हैं जिन्हें हर दशहरा समाप्त करने की प्रेरणा देता है। लोग इस दिन संकल्प लेते हैं कि वे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन को सफल और सार्थक बनाएंगे।

दशहरा आत्मशुद्धि और आत्मबल को मजबूत करने का पर्व है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यही वजह है कि दशहरा केवल बाहरी उत्सव ही नहीं बल्कि आंतरिक साधना और आत्मविकास का भी दिन माना जाता है।

दशहरा या विजयदशमी का पर्व भारतीय संस्कृति और धर्म का सबसे पावन और प्रेरणादायक पर्व माना जाता है। ये पर्व हमें जीवन में सत्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा देता है और बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देता है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व और पूजा विधि हर व्यक्ति को अपनी परंपरा के अनुसार समझनी चाहिए। विजयदशमी अच्छाई की विजय का पर्व है, जिसे हर साल पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसलिए दशहरे को विजयदशमी कहा जाता है और यह पर्व हमेशा हमें जीवन में अच्छाई की राह दिखाता रहेगा। अंत में Bharat Viral News की ओर से आपको और आपके परिवार को दशहरा और विजयादशमी की हार्दीक शुभकामनाएं।

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