Shardiya Navratri Kalash Sthapana : शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई हैं और ऐसे में देवी के भक्त कलश स्थापना की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को कलश स्थापना तरीका नहीं पता। वो इसके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जो अनजाने में गलत तरीके से कलश की स्थापना कर देते हैं। जिसकी वजह से उन्हें कष्टों का सामना करना पड़ता है।
तो चलिए आज Bharat Viral आपको शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना की पूरी जानकारी देने जा रहा है। साथ में आज आपको ये भी बताएंगे कि, कलश स्थापना क्यों जरूरी है ? कलश स्थापना करने से आपको क्या लाभ होता है।
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का मुहूर्त ?
नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है और उसी दिन सुबह कलश स्थापना का शुभ समय निर्धारित किया गया है। इस वर्ष प्रतिपदा तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रातः 11 बजकर 45 मिनट तक कलश स्थापना करना शुभ माना जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ग्रह-नक्षत्र देखकर तय किया जाता है ताकि पूजा सफल हो सके।
नवरात्रि में कलश क्यों स्थापित करते हैं?
नवरात्रि में कलश को मां दुर्गा और भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे शुभता का आधार माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि कलश में सभी देवताओं का वास होता है, इसलिए इसे पूजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।
कलश स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है और यही वजह है कि इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। भक्त मानते हैं कि कलश स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार को देवी मां का आशीर्वाद मिलता है।
कलश कैसे स्थापित करें? (Navratri Kalash Sthapana Vidhi)
नवरात्रि कलश स्थापना की विधि बेहद सरल लेकिन शुद्धता और परंपरा के साथ पूरी करने योग्य होती है।
- सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल कपड़ा बिछाकर स्थान तैयार करें।
- मिट्टी के पात्र में जौ या गेहूं के बीज बोकर उस पर कलश स्थापित करें।
- कलश को जल, गंगाजल, सुपारी, सिक्का और पंचरत्न से भरें और उसके ऊपर आम्रपत्र रखें।
- कलश के ऊपर नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से बांधें और रोली से स्वस्तिक बनाएं।
- देवी मां का ध्यान कर कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करके दीपक जलाएं।
कलश स्थापना के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
कलश को सदैव पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करना शुभ माना जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। कलश के जल में गंगाजल डालना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि ये पवित्रता और शक्ति का प्रतीक समझा जाता है।
कलश पर नारियल रखना मां लक्ष्मी का आह्वान माना जाता है और इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। पूजा स्थल को साफ और सात्विक रखना चाहिए ताकि मां दुर्गा की कृपा पूरी तरह से प्राप्त हो सके।
कलश स्थापना का धार्मिक महत्व
नवरात्रि कलश स्थापना से ये माना जाता है कि घर में मां दुर्गा स्वयं विराजमान होकर भक्तों की रक्षा करती हैं। कलश स्थापना को विश्व ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है, जिसमें जल, धरती और आकाश की शक्तियों का समावेश होता है।
कलश स्थापना से देवी दुर्गा के साथ-साथ अन्य देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे नवरात्रि की मुख्य अनिवार्य परंपरा बताया गया है, जिसे हर घर में विधिपूर्वक करना आवश्यक होता है।
कलश स्थापना करने के लाभ
कलश स्थापना से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। भक्तों को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।
कलश को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक और धार्मिक बन जाता है। ज्योतिष अनुसार कलश स्थापना से ग्रह दोष दूर होते हैं और परिवार के लोगों को मानसिक शांति मिलती है।
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नवरात्रि कलश और देवी पूजन
नवरात्रि में कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें प्रत्येक का विशेष महत्व होता है।
- प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा कर कलश के सामने दुग्ध से भोग लगाया जाता है।
- द्वितीया को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर कलश पर पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
- तृतीया को मां चंद्रघंटा की पूजा कर जल अर्पण किया जाता है।
- चतुर्थी को कूष्मांडा देवी की पूजा कर फल और नैवेद्य चढ़ाया जाता है।
- पंचमी को मां स्कंदमाता की पूजा कर दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
- षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा कर कलश पर रोली और चंदन चढ़ाया जाता है।
- सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा कर गुड़ और जौ का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- अष्टमी को मां महागौरी की पूजा कर नारियल का प्रसाद कलश के पास रखा जाता है।
- नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा कर हवन किया जाता है और कलश विसर्जन होता है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण से कलश स्थापना
भारत के हर राज्य में नवरात्रि कलश स्थापना की परंपरा देखने को मिलती है, हालांकि रीति-रिवाजों में थोड़ा अंतर होता है। उत्तर भारत में कलश को विशेष महत्व दिया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों में कलश स्थापना एक प्रमुख परंपरा होती है। गुजरात और महाराष्ट्र में भी कलश स्थापना के बाद गरबा और डांडिया का आयोजन होता है।
Navratri Kalash Sthapana 2025 नवरात्रि की शुरुआत का सबसे पवित्र कार्य है, जो मां दुर्गा के आवाहन और आशीर्वाद का प्रतीक है। कलश स्थापना से घर में सुख-समृद्धि आती है, ग्रह दोष दूर होते हैं और भक्तों को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।