Aurangzeb Biography : इतिहास में औरंगजेब की छवि मुख्य रूप से हिंदू मंदिरों को तोड़ने वाले शासक की रही है। लेकिन क्या ये पूरी सच्चाई है? क्या औरंगजेब ने मंदिरों को बनवाने या संरक्षण देने का काम भी किया था? आइए Bharat Viral News पर जानिए इस विषय की ऐतिहासिक सच्चाई और तमाम रिकॉर्ड्स की रोशनी में। लेकिन आपको बताते चलें कि, हमने ये जानकारी इंटरनेट पर लिखे गए लेख और कुछ पुरानी किताबों पर की गई टिप्पणी के आधार पर तैयार की है।
Aurangzeb का शासनकाल
औरंगजेब आलमगीर ने 1658 से 1707 तक भारत पर शासन किया और उनका काल मुगल साम्राज्य का सबसे लंबा शासनकाल रहा। उन्होंने अपने पिता शाहजहां को सत्ता से हटाकर तख्त पर कब्जा किया और एक कट्टर सुन्नी इस्लामिक शासक के रूप में जाने गए। लेकिन क्या औरंगजेब सिर्फ एक कट्टर धार्मिक शासक थे या उनकी नीतियों के पीछे राजनीतिक कारण भी थे? और आज आखिर ऐसा क्यों है कि, औरंगजेब की चर्चा हो रही है ?
दरअसल, भारत में आज भी कई घटनाएं औरंगजेब से जोड़ी जाती हैं। चाहें किसी हिंदू मंदिर की बात हो या फिर हिंदूओं पर किए गए अत्याचार हों। लेकिन एक गुट ऐसा भी है जिसका दावा है कि,औरंगजेब एक अच्छा शासक था। उसने हिंदूओं के लिए मंदिर बनवाए और समाज के लिए बहुत काम किया। लेकिन क्या ये दावे सच हैं ? आइये आज विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।
क्या औरंगजेब ने मंदिर बनवाए?
ये एक ऐसा सवाल है जो इतिहासकारों और आम लोगों दोनों के मन में है। आमतौर पर Aurangzeb को मंदिर विध्वंसक के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इतिहास में ऐसे प्रमाण भी मौजूद हैं जो यह बताते हैं कि उन्होंने मंदिरों को संरक्षण भी दिया था।
1. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, औरंगजेब ने उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर को नष्ट नहीं किया, बल्कि उसकी मरम्मत और सुरक्षा के आदेश दिए।
2. जैन मंदिरों को संरक्षण
गुजरात और राजस्थान में कई जैन मंदिरों को औरंगजेब द्वारा कर मुक्त किया गया। यहां तक कि कुछ मंदिरों को जागीर भी दी गई।
3. काशी और मथुरा
हालांकि उन्होंने काशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का केशवदेव मंदिर गिरवाया, लेकिन ये भी रिकॉर्ड में है कि काशी के कुछ अन्य मंदिरों को उन्होंने दान भी दिया था।
मंदिरों पर Aurangzeb के फरमान
इतिहासकारों जैसे सतीश चंद्र, आरसी मजूमदार और ऑड्री ट्रशके ने अपने शोध में Aurangzeb द्वारा मंदिरों को संरक्षण देने वाले फरमानों की जानकारी दी है।
प्रमुख उदाहरण:
1669 में जारी फरमान: कुछ मंदिरों को गिराने का आदेश, लेकिन उसी दौर में कई मंदिरों को राजस्व छूट दी गई।
गुजरात के मंदिर: कई जैन मंदिरों को टैक्स छूट और जागीरें प्रदान की गईं।
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश: दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों को राजकीय संरक्षण दिया गया।
तो फिर मंदिर क्यों तोड़े गए?
अब सवाल उठता है कि अगर औरंगजेब ने मंदिरों को संरक्षण दिया, तो फिर उन्होंने कई मंदिरों को गिराया क्यों?
1. राजनीतिक कारण
कई मंदिर राजनीतिक विद्रोहियों से जुड़े हुए थे।
उदाहरण: काशी और मथुरा में मंदिर उन क्षेत्रों में थे जहां ब्रजभाषा आंदोलन या राजपूत विरोध हो रहा था।
2. आर्थिक कारण
मुगल राजकोष संकट में था। मंदिरों की संपत्ति को जब्त कर उसे खजाने में जोड़ा गया।
3. धार्मिक कट्टरता
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ मंदिरों को मस्जिदों के पास होना स्वीकार्य नहीं था, इसलिए उन्हें गिराया गया।
Aurangzeb एक जटिल व्यक्तित्व का शासक था। उनके निर्णय केवल धार्मिक न होकर राजनीतिक और प्रशासनिक भी थे। उन्होंने जहां कुछ मंदिरों को नष्ट किया, वहीं कुछ को संरक्षण दिया। इसके कई कारण माने जाते हैं। राजकोष बढ़ाने के लिए मंदिरों में लूट की गई। कई मंदिरों को निशाना बनाया गया। मंदिरों को तोड़कर वहां पर मस्जिद या फिर ईदगाह बना दी गई। इसका एक बड़ा कारण था कट्टर सुन्नी इस्लामिक राज कायम करना।
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क्या कहती है आधुनिक रिसर्च?
आजकल के इतिहासकार इस विषय को सिर्फ धर्म के चश्मे से नहीं देखते। कई शोध बताते हैं कि:
Aurangzeb के निर्णय उस समय की राजनीतिक रणनीति से प्रेरित थे।
तत्कालीन शासन नीति के तहत मंदिरों की स्थिति क्षेत्र विशेष पर निर्भर थी।
औरंगजेब ने केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि कई मकबरे, दरगाहें और मस्जिदें भी गिराईं जो शासन के खिलाफ थीं।
औरंगजेब का मंदिरों पर दृष्टिकोण
Aurangzeb ने कई प्रसिद्ध मंदिरों को ध्वस्त किया – ये सच है।
लेकिन उन्होंने कई मंदिरों को संरक्षण भी दिया – ये भी सच है लेकिन इसके कुछ कारण थे।
मंदिर तोड़ने और बनवाने दोनों उनके शासन की राजनीतिक और धार्मिक नीतियों के तहत थे।
इतिहास को समझने के लिए एकतरफा दृष्टिकोण से बचना चाहिए।
Aurangzeb की छवि इतिहास में जितनी अच्छी दिखाई जाती है, सच्चाई उतनी सीधी नहीं है। उन्होंने कुछ मंदिर गिरवाए, लेकिन उसी दौरान कई को संरक्षित भी किया। हालांकि उसका कारण लोगों की नाराजगी को कम करना था। भारत में बड़ी संख्या में हिंदू जनसंख्या थी। इसलिए जब हिंदूओं को निशाना बनाया जाता था। तो बाकी हिंदू एकजुट हो कर औरंगजेब का विरोध करते थे। इस विरोध को कम करने के लिए भी कई मंदिरों को राहत दी गई। या तो उन मंदिरों को लूटा नहीं गया या फिर उनसे किसी तरह का कर नहीं लिया गया।
इसलिए ये जरूरी है कि हम इतिहास को सभी तथ्यों के साथ निष्पक्ष रूप से समझें, न कि केवल सुनी-सुनाई बातों या आंशिक जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकालें। Aurangzeb अच्छा था या बुरा ये बहस आगे भी चलती रहेगी। लेकिन हिंदू आज भी उन जख्मों को देख कर भावुक जरूर होता है। क्योंकि आज भी कई मंदिरों पर औरंगजेब के जख्मों के निशान हैं।