Ladakh Protest : लेह में क्यों हो रहा प्रदर्शन ? साजिश में फंस गए Gen Z ?

पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में करीब चार लोगों की मौत हुई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। लेह जिला प्रशासन ने तुरंत धारा 144 लागू कर दी और पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी।
Gen Z Ladakh Protest Bharat Viral News

: लद्दाख में बेहद दुखद तस्वीरें सामने आई हैं। जिसे देखने के बाद देश का हर शख्स उदास है। लेकिन इन तस्वीरों के पीछे कौन हैं ? आखिर लेह में प्रदर्शन क्यों हो रहा है ? ये जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। आलम ये है कि, अब कहा जा रहा है कि, ये आंदोलन Gen Z चला रहे हैं।

लेकिन क्या सच में ये आंदोलन Gen Z चला रहे हैं ? अगर ये Gen Z चला रहे हैं तो इनकी मांग क्या है ? चलिए Bharat Viral News आज आपको पूरी जानकारी देने जा रहा है। सबसे पहले आपको बता दें कि, इस प्रदर्शन और हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत की खबर है साथ ही 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की जानकारी मिल रही है।

लद्दाख Protest क्यों हो रहा है?

लद्दाख में युवाओं और संगठनों की मुख्य मांग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया जाना है। अनुच्छेद 370 हटने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, जिससे स्थानीय असंतोष बढ़ा।

लद्दाख Protest में स्थानीय समुदायों का कहना है कि भूमि, संस्कृति और रोजगार पर बाहरी प्रभाव लगातार खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। युवाओं का आरोप है कि सरकार ने वादा किया था कि छठी अनुसूची लागू होगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसी कारण लेह में भूख हड़ताल और प्रदर्शन ने धीरे-धीरे उग्र रूप ले लिया और हिंसक टकराव शुरू हो गया।

Gen Z Ladakh Protest Phuntsog Stanzin Tsepag Bharat Viral News
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लेह में हिंसा और पुलिस कार्रवाई

लेह में युवाओं के शांतिपूर्ण Protest के दौरान अचानक हिंसा भड़क गई और पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। हिंसक Protest के दौरान बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी गई और कई वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में करीब चार लोगों की मौत हुई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। लेह जिला प्रशासन ने तुरंत धारा 144 लागू कर दी और पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी।

कांग्रेस के एक काउंसलर पर गंभीर आरोप लगे हैं। दावा किया जा रहा है कि, हिंसा करते हुए कुछ तस्वीर सामने आई हैं। इन तस्वीरों में कांग्रेस के काउंसर Phuntsog Stanzin Tsepag साफ दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं वो लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।

Sonam Wangchuk की अपील और भूख हड़ताल

भूख हड़ताल पर बैठे प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लेह की हिंसा पर दुख जताते हुए शांति की अपील की। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा कि हिंसा से आंदोलन कमजोर होगा और युवाओं को संयमित होकर संघर्ष जारी रखना चाहिए।

वांगचुक ने इसे Gen Z क्रांति बताया लेकिन कहा कि हिंसा से पांच साल की मेहनत बर्बाद हो सकती है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार ने समय पर बातचीत की होती तो स्थिति इतनी बिगड़ती नहीं और जानें बचाई जा सकती थीं। वांगचुक ने 15 दिन लंबी भूख हड़ताल खत्म करते हुए युवाओं से शांति का रास्ता अपनाने की अपील की।

वांगचुक ने बेशक शांति की अपील की है। लेकिन लोग उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। जिसमे उनके कुछ ट्वीट भी हैं। एक ट्वीट में वांगचुक पाकिस्तान के लिए अपना प्रेम दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी तस्वीर में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के साथ भी तस्वीर साझा कर रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि, ये प्रदर्शन लद्दाख समेत पूरे देश में हिंसा भड़काने का है। दावा ये भी है कि, इसके पीछे चीन और Deep State का हाथ है।

लद्दाख Protest की चार मुख्य मांगें

लद्दाख Protest केवल भावनात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें चार बड़ी और अहम मांगें लगातार उठाई जा रही हैं।

  1. राज्य का दर्जा – लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा देकर विधानसभा और स्वशासन का अधिकार देना।
  2. छठी अनुसूची में शामिल करना – भूमि, संस्कृति और जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान लागू करना।
  3. अलग लोक सेवा आयोग – स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण और अवसर सुनिश्चित करने के लिए नया आयोग बनाना।
  4. दो संसदीय सीटें – लेह और कारगिल को अलग-अलग प्रतिनिधित्व देने के लिए दो संसदीय सीटों की मांग।

लद्दाख में छठी अनुसूची का महत्व क्यों?

अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची जनजातीय क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा और स्वायत्तता प्रदान करती है। इसमें Autonomous District Councils भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए विधायी अधिकार रखती हैं।

लद्दाख जैसे रणनीतिक और जनजातीय बहुल क्षेत्र के लिए छठी अनुसूची बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसके बिना बाहरी प्रभाव बढ़ेगा और भूमि तथा रोजगार पर स्थानीय हक कमजोर हो जाएंगे। इसलिए लद्दाख Protest की मांगें केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ी हुई हैं।

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भूख हड़ताल और बढ़ता गुस्सा

लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) लगातार सरकार से बातचीत की मांग कर रहे हैं। लेकिन गृह मंत्रालय ने वार्ता के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की, जिसे प्रदर्शनकारियों ने ‘डिक्टेशन’ करार दिया। युवाओं का कहना है कि जब लोग भूख हड़ताल पर हैं तो सरकार का इतना लंबा इंतजार करवाना उचित नहीं है।

मंगलवार को दो वृद्ध प्रदर्शनकारियों की तबीयत बिगड़ने के बाद युवा गुस्से में सड़कों पर उतर आए। इसी गुस्से ने लेह में बड़ा Protest खड़ा किया, जो धीरे-धीरे हिंसक टकराव में बदल गया और मौतें हो गईं।

लेह में प्रशासनिक कदम और कर्फ्यू

लेह जिला प्रशासन ने हालात बिगड़ने के बाद तुरंत कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया। पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई और धारा 144 लागू कर दी गई। जिला मजिस्ट्रेट ने साफ कहा कि पूर्व अनुमति के बिना कोई रैली, जुलूस या मार्च नहीं निकाला जाएगा। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रशासन की सख्ती से ये साफ है कि आने वाले दिनों में लेह में तनाव कम होना आसान नहीं होगा।

भारत की सुरक्षा के लिए लद्दाख का महत्व

लद्दाख भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्र है। चीन से लगी सीमा पर 2020 से लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है और भारत की सेना चौकन्नी है। लद्दाख में अशांति और Protest चीन को रणनीतिक बढ़त दे सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

इसी कारण सरकार लद्दाख Protest को हल्के में नहीं ले सकती और समाधान निकालना जरूरी है। ये केवल स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत-चीन संबंधों से भी जुड़ा हुआ मसला है।

सोशल मीडिया और युवाओं की भूमिका

लद्दाख Protest को सोशल मीडिया पर युवाओं ने बड़े पैमाने पर प्रचारित किया है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हैशटैग #LadakhProtest और #SixthSchedule लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

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युवाओं का कहना है कि अगर सरकार उनकी आवाज नहीं सुनेगी तो आंदोलन और बड़ा रूप लेगा। सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो रहा है। इससे साफ है कि आंदोलन अब केवल लेह की सड़कों तक सीमित नहीं रहा बल्कि पूरे देश तक पहुंच गया है।

आगे का रास्ता क्या है?

लद्दाख Protest को रोकने और हल निकालने के लिए केंद्र सरकार और स्थानीय संगठनों को तुरंत बातचीत करनी होगी। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची पर सीधी चर्चा के बिना यह विवाद खत्म नहीं हो सकता।

युवाओं को संयमित और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखना चाहिए ताकि आंदोलन कमजोर न हो। वांगचुक और LAB-KDA नेतृत्व को हिंसा रोकने और राजनीतिक बातचीत को प्राथमिकता देनी होगी। अगर दोनों पक्ष आगे बढ़े तो लद्दाख Protest का समाधान निकल सकता है और क्षेत्र में शांति लौट सकती है।

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Mohit Singh Author
Mohit Singh Chaudhary is a seasoned journalist with over 10 years of experience in the media industry. Throughout his career, he has worked with several reputed news organizations, including India News, Zee News, ANB National, Khabar Fast, Citizen Voice, OK India, HCN News, and VK News.
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