G7 on Israel Iran : ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ते तनाव ने पूरे विश्व को चिंता में डाल दिया है। इस टकराव में अब बड़े अंतरराष्ट्रीय देश भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। अमेरिका और चीन के बाद अब G7 देशों का संयुक्त बयान सामने आया है, जिसमें इजरायल के समर्थन की बात कही गई है। इस पर ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इस संघर्ष का दायरा और व्यापक होने की आशंका बढ़ गई है।
Israel vs Iran क्यों हो रहा है ?
इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से कूटनीतिक और सैन्य तनाव रहा है। हालिया घटनाओं में इजरायल ने तेहरान के ‘डिस्ट्रिक्ट सी’ क्षेत्र में संभावित हमले के संकेत दिए हैं। ये क्षेत्र कई सरकारी संस्थानों और खुफिया ठिकानों के लिए जाना जाता है।
इजरायली सेना ने सोमवार को दावा किया कि उनके युद्धक विमानों ने पश्चिमी ईरान से तेहरान की ओर बढ़ रहे हथियारों से भरे ट्रकों को निशाना बनाया। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने तेहरान के ऊपर आकाश में वायुसेना की पकड़ की बात कही और कहा कि वे परमाणु और मिसाइल खतरों को खत्म करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
Iran की प्रतिक्रिया और परमाणु मुद्दा
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बाघाई ने इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने दावा किया कि इजरायली हमलों में आवासीय इमारतें और बच्चों के अस्पतालों को निशाना बनाया गया है। बाघाई ने ये भी स्पष्ट किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।
Israel vs Iran पर G7 देशों की भूमिका
इस घटनाक्रम के बीच, G 7 देशों – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान – ने एक संयुक्त बयान जारी कर इजरायल का समर्थन किया है। इस बयान में ईरान पर आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया गया है।
ईरान ने इस बयान पर तीखी आपत्ति जताई और कहा कि G 7 देशों ने इजरायल के गैरकानूनी हमलों, परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमलों और आम नागरिकों की हत्या को नजरअंदाज कर दिया है। ईरान ने इसे पश्चिमी देशों की दोहरी नीति का प्रमाण बताया।

Israel vs Iran में Trump की एंट्री
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) G 7 समिट की वजह से Canada में थे, यहां उनके एक बयान ने पूरी दुनिया में हंगामा खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब है। उन्होंने कहा, “ईरान को इस मुद्दे पर सरेंडर करना ही होगा, उससे कम कुछ नहीं चलेगा।”
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वे किसी सीजफायर के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि ईरान की परमाणु क्षमता को समाप्त करना उनका लक्ष्य है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर ईरान को बात करनी है तो उन्हें सीधे संपर्क करना होगा।
अमेरिका और चीन के मतभेद
इस युद्ध में अमेरिका जहां इजरायल के पक्ष में खड़ा नजर आता है, वहीं चीन ने संतुलित रुख अपनाया है। चीन ने दोनों देशों से बात करने का दावा किया है और संघर्ष रोकने की अपील की है। साथ ही, चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वो इस क्षेत्र में युद्ध भड़काने का काम कर रहा है।
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दुनिया पर Israel vs Iran का असर
मिस्र, जॉर्डन और थाईलैंड जैसे देशों ने भी मध्य-पूर्व में शांति की अपील की है। थाईलैंड ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारत ने तेहरान में फंसे 110 मेडिकल छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया है। सभी को आर्मेनिया बॉर्डर से बाहर निकाला गया।
Israel vs Iran से वैश्विक संकट का खतरा
ईरान-इजरायल टकराव एक सीमित क्षेत्रीय युद्ध से बढ़कर वैश्विक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। अगर इस संघर्ष में अन्य देश भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं, तो ये पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
G 7 देशों की ओर से इजरायल को समर्थन मिलने से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका, ट्रंप के नेतृत्व में, इस संघर्ष को परमाणु खतरे के समाधान के रूप में देख रहा है, जबकि चीन इसे अमेरिकी रणनीति का हिस्सा मानता है। इस स्थिति में सभी वैश्विक शक्तियों को संयम और संवाद का रास्ता अपनाना होगा, ताकि इस संभावित बड़े युद्ध को रोका जा सके।

G7 क्या है? (What is G7)
G 7 यानी Group of Seven (सात देशों का समूह), दुनिया की सबसे विकसित और औद्योगिक ताकतों वाले सात देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसमें शामिल देश वैश्विक अर्थव्यवस्था, वित्त, सुरक्षा और राजनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं।
G7 में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
- अमेरिका (USA)
- कनाडा (Canada)
- जर्मनी (Germany)
- फ्रांस (France)
- इटली (Italy)
- जापान (Japan)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
साथ में यूरोपीय संघ (European Union) को भी एक प्रतिनिधि के रूप में G 7 बैठकों में शामिल किया जाता है, लेकिन वह सदस्य नहीं है।
G7 का इतिहास (History of G7)
- 1975 में इसकी शुरुआत हुई थी जब दुनिया में आर्थिक मंदी और तेल संकट के बाद वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए ये देश एक साथ आए।
- शुरुआत में इसे G6 कहा गया था (फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस)। बाद में 1976 में कनाडा के जुड़ने के बाद ये G7 बन गया।
G7 का मकसद
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर चर्चा
- जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सहयोग
- लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून का शासन बनाए रखना
- वित्तीय और व्यापार नीतियों में समन्वय
G7 और G20 में अंतर
बिंदु | G7 | G20 |
---|---|---|
सदस्य | 7 देश | 20 देश |
फोकस | विकसित देश | विकसित + विकासशील दोनों |
गठन वर्ष | 1975 | 1999 |
मुख्य उद्देश्य | आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा नीति | वैश्विक आर्थिक सहयोग |
2024-25 में G7 का कदम
- यूक्रेन-रूस युद्ध पर G7 का समर्थन यूक्रेन के पक्ष में रहा है।
- ईरान-इजरायल संघर्ष में G7 ने इजरायल को समर्थन दिया, जिससे ईरान की तीखी प्रतिक्रिया आई।
- चीन के Belt and Road Initiative के जवाब में G 7 ने Build Back Better World (B3W) नाम की योजना लॉन्च की।
G7 क्यों अहम है?
- G 7 देश मिलकर वैश्विक GDP का लगभग 45% और विश्व व्यापार का 60% से अधिक नियंत्रित करते हैं।
- ये देश वैश्विक फैसलों पर बड़ी भूमिका निभाते हैं — चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो, वैश्विक मंदी, स्वास्थ्य संकट या क्षेत्रीय युद्ध।
क्या भारत G7 का हिस्सा है?
नहीं, भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन “G 7 Outreach” या “Guest Invitee” के रूप में भारत को कई बार बुलाया गया है।
उदाहरण:
- 2019, 2021, 2022, 2023 और 2024 में भारत को G7 बैठकों में आमंत्रित किया गया।
G 7 एक शक्तिशाली वैश्विक मंच है जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और लोकतांत्रिक देशों को एक मंच पर लाकर आर्थिक और राजनीतिक नीतियों पर चर्चा करने का अवसर देता है।
आज के जटिल भू-राजनीतिक हालात — जैसे ईरान-इजरायल युद्ध या चीन की विस्तारवादी नीति — में G7 की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।