Indian Money in Swiss Bank : स्विट्ज़रलैंड स्थित बैंक, दुनिया भर में अपनी उत्कृष्ट गोपनीयता, भरोसेमंद संरचना और उच्च सुरक्षा मानकों के लिए मशहूर हैं। 20वीं सदी में ये टैक्स बचत का केंद्र बन गए थे। लेकिन पिछले 10-15 साल से भारत में स्विस बैंकों की खूब चर्चा हो रही है। जब जब भारत में काले धन की बात होती है तो स्विस बैंकों के नाम सबसे आगे दिखाई देते हैं।
2014 से पहले नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सबसे पहले काले धन का मुद्दा उठाया था। सरकार बनने के बाद एक टॉस्क फोर्स का गठन किया गया। इस टीम ने कई लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की, लेकिन हालात बेहतर होने के बजाय और बिगड़ते दिख रहे हैं। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ? आखिर स्विस बैंकों की ऐसी क्या खासयित है जो लोग वहां पैसा जमा कराने के लिए दौड़ रहे हैं ? चलिए Bharat Viral News आज इस राज से पर्दा उठाने की कोशिश करेगा।
विशेषताएं:
- खाताधारकों की गोपनीयता सर्वोपरि
- सिर्फ गंभीर अपराध (मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद) मामले में जानकारी साझा की जाती है
- विदेशी निवेशकों और उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाएं
इन्हीं गुणों की वजह से भारतीयों का स्विस बैंक में पैसा लगातार बढ़ा है—अब तक ₹37,600 करोड़ जमा किए गए हैं।
Swiss Bank में भारतीय धन
वर्ष | अनुमानित जमा (₹ करोड़ में) |
---|---|
2006 | 70,000 |
2011 | 25,000 |
2023 | 9,771 |
2024 | 37,600 |
2023 से 2024 के बीच 285% की जबरदस्त वृद्धि देखी गई—एक साल में ₹27,829 करोड़ का उछाल! ये सिर्फ काला धन वापसी की नहीं, बल्कि वैश्विक निवेश प्रवाह का भी संकेत हो सकता है।
क्या ये सिर्फ काला धन ही है?
नहीं, स्विस बैंक में जमा रकम पूरी तरह से काला धन नहीं मानी जा सकती।
- व्यक्तिगत खाताधारकों की राशि में सिर्फ 11% वृद्धि हुई, यानी लगभग ₹3,675 करोड़
- बची हुई राशि है निवेशकों, फाइनेंशियल संस्थानों, बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज में
- स्थिर बैंकिंग सिस्टम और बेहतर रिटर्न के कारण ये निवेश आए
हालांकि काले धन की आशंका बनी हुई है—इसलिए सरकार ने AEOI समझौता (Automatic Exchange of Information) किया।
AEOI समझौता: Swiss Bank अब पारदर्शी
2018 में भारत व स्विट्ज़रलैंड ने सूचना आदान-प्रदान समझौता लागू किया। इसके अंतर्गत:
- हर साल खाते की जानकारी भारत सरकार को दी जाती है
- अब टैक्स चोरी, अंडरलिप्ट फंड्स पर लगाम लगाना संभव है
- स्विस बैंक की पारदर्शिता बढ़ी, लेकिन गोपनीयता बनी है
इस कदम से स्विस बैंक काले धन का गढ़ नहीं, बल्कि वैध वैश्विक निवेश का केंद्र बनते जा रहे हैं।

ये पैसा किसका है और क्यों जमा हुआ?
इस सवाल का जवाब है—व्यक्तिगत, संस्थागत और निवेशकों का:
- व्यक्तिगत ग्राहक:
- 2024 में ₹3,675 करोड़ जमा
- टैक्स हित और सुरक्षित धन निवेश हेतु
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों के खाते:
- बॉन्ड्स, सिक्योरिटीज् में निवेश
- ग्लोबल लेनदेन उद्देश्य
- भारतीय संस्थाएं:
- व्यापार, ट्रेड और माल-आधारित अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां
इसलिए, स्विस बैंक में भारतीय पैसा सिर्फ काला धन नहीं—बल्कि वैध रूप से अर्जित धन का भी आयाम है।
टैक्स चोरी रोकने के सर्वोच्च प्रयास
भारत सरकार की पहलें:
- AEOI समझौते के तहत लगातार सूचनाओं का आदान-प्रदान
- FATF, G20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग
- स्विस बैंकिंग प्रणाली के साथ सक्रिय संवाद
- जांच एजेंसियों (ED, CBDT, DRI) की कार्यवाही
सरकार ने स्पष्ट कहा है—काला धन वापसी की दिशा स्पष्ट है, और दिशा-निर्देश प्रणालीबद्ध है।
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क्या ये भारत में काला धन लौटने का संकेत?
कुछ कारणों से ये आशा की जा सकती है:
- कम पर भरोसा और बेहतर नियंत्रण ने व्यक्तिगत निवेशकों को आकर्षित किया
- सूचना आदान-प्रदान की पारदर्शिता ने टैक्स चोरी को सीमित किया
- वैध निवेश का प्रवाह बना हुआ है—ये फंड लौटकर आता रहा है
हालांकि, सटीक आंकड़े अभी अस्पष्ट हैं—लेकिन संकेत सकारात्मक हैं।

Swiss Bank बैंक में भारतीय फंड – आगे की राह
- सरकार: विदेशी खातों की जानकारी जारी रखना चाहती है
- ED और IT विभाग: संभावित टैक्स चोरी की जांच
- भारतीय निवेशक: पारदर्शी निवेश और पोर्टफोलियो विस्तार कर रहे
- वैश्विक: वैश्विक आर्थिक स्थिरता के मद्देनजर निवेश बना रहेगा
Swiss Bank में भारतीय जमा ₹37,600 करोड़ तक पहुंच गया—एक साल में 285% की वृद्धि
ये सिर्फ काले धन वापसी नहीं, पारदर्शी वैश्विक निवेश का प्रतीक है
AEOI समझौते से पारदर्शिता बढ़ी, लेकिन गोपनीयता बनी
सरकार अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय है—टैक्स चोरी और काला धन पर रोक के लिए
आगे की राह में ये प्रवृत्ति नियंत्रित और संतुलित निवेश हेतु दिशा निर्धारित कर रही है