इजरायल–ईरान घातक टकराव में अमेरिका की एंट्री, बदलेगा मध्य-पूर्व का नक्शा?

US Enter Iran Israel Conflict Bharat Viral News

Conflict : इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग अब केवल दो देशों तक सीमित नहीं रही, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे यदि आवश्यक हुआ तो अमेरिकी सेना को भी लड़ाई में शामिल कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा, “हम इस लड़ाई में शामिल हो सकते हैं,” जिसका असर तनावपूर्ण संकट को और गहरा कर सकता है ।

US B‑2 स्टील्थ बॉम्बर्स का गुआम मिशन

हाल ही में अमेरिका ने मिसौरी के व्हाइटमैन एयर बेस से छः B‑2 स्टील्थ बॉम्बर को गुआम में तैनात किया। ये विमान Massive Ordnance Penetrator (MOP) नाम के भारी “बंकर-बस्टर” बम लेकर जा सकते हैं। फ्लाइट ट्रैकिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि विमानों को पूरी ईंधन क्षमता से नहीं उड़ाया गया; बीच रास्ते में रिफ्यूलिंग की गई, जिससे अंदाजा लगाया गया कि भारी पेलोड मौजूद था। संदेश साफ है कि, Iran Israel Conflict में अमेरिका एंट्री कर रहा है।

GBU‑57 MOP — क्या है खासियत?

  • ये बंकर-बस्टर बम लगभग 13.6 टन भारी है और जमीन के अंदर से तहखानों को नष्ट करने में सक्षम है।
  • इसका विशेष उपयोग गहरे छुपे परमाणु या मिसाइल साइट्स को निशाना बनाने में होता है।

फोर्डो परमाणु साइट — कब आएगी सफाई?

  • फोर्डो ईरान की सबसे सुरक्षित परमाणु सुविधाओं में से एक है, जो पहाड़ के भीतर बनी है।
  • फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज़ (FDD) के मार्क डुबोविट्ज़ मानते हैं कि केवल अमेरिकी B‑2 विमान ही इस साइट तक पहुंच सकते हैं ।
  • JINSA के जोनाथन रूहे बताते हैं कि ये बम ग्रैविटी के ज़रिए गहराई तक जाकर विस्फोट करता है, जिससे ठोस ढाँचे नष्ट हो जाते हैं ।
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ट्रंप प्रशासन की रणनीति: क्या कोई रास्ता बचा है?

  • Iran Israel Conflict पर ट्रंप ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में दो रास्ते—डिप्लोमैटिक वार्ता और संभावित सैन्य हस्तक्षेप—पर निर्णय लिया जाएगा ।
  • इस बीच संयुक्त राष्ट्र और कई यूरोपीय नेता विरोधी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिससे Iran Israel Conflict अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल सकता है।

Iran Israel Conflict का अर्थव्यवस्था पर असर

  1. मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ने का अनुमान। सबसे अधिक प्रभावित इराक, सीरिया, लेबनान हो सकते हैं।
  2. तेल की कीमतों में वृद्धि, जिससे ग्लोबल अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
  3. संयुक्त राज्य एवं aliados की सैन्य रणनीतियां प्रभावित हो सकती हैं, विशेषकर भारत और प्रशांत महासागर क्षेत्र में ।
  4. मानवीय संकट – रेडियोधर्मी जोखिम, विस्थापन और पर्यावरणीय क्षति से हालात बिगड़ सकते हैं।

Iran Israel Conflict पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

  • मार्क डुबोविट्ज़ (FDD) का तर्क: “Fordo को पूरी तरह तबाह करने की क्षमता सिर्फ अमेरिकी के पास है” ।
  • जोनाथन रूहे (JINSA) कहते हैं: “GBU‑57 बेहद गुप्त, भारी विस्फोटक वाला हथियार है जो गहराई तक जाकर काम करता है” ।

क्या अभी शांति का कोई रास्ता बचा है?

  • ट्रंप ने कहा है कि संभावित सैन्य कार्यवाही से पहले डिप्लोमैटिक प्रयास भी हैं।
  • यूरोपीय और संयुक्त राष्ट्र के दबाव से परिस्थिति मॉनिटर की जा सकती है—लेकिन B‑2 की तैनाती ने संकेत दे दिया है कि एक्शन की तैयारी भी चल रही है।
  • इजरायल और ईरान की जंग अब सिर्फ इन्हीं देशों तक सीमित नहीं, क्योंकि अमेरिका ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे भी मिल सकते हैं।
  • B‑2 स्टील्थ बमबेरों की तैनाती एक ऐतिहासिक कदम है—ये सिर्फ रणनीतिक संकेत नहीं, बल्कि वास्तविक सैन्य कार्रवाई की तैयारी है।
  • अगर इस कदम को लिया गया, तो फोर्डो परमाणु साइट सहित अन्य संरचनाओं पर हमला क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने वाले संकट का कारण बन सकता है।
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अमेरिका ने किन देशों पर हमले किए?

Iran Israel Conflict से पहले भी अमेरिका ने अपने इतिहास में कई देशों पर सैन्य हमला किया है — कुछ सीधे तौर पर युद्ध के रूप में, कुछ विशेष ऑपरेशन के तहत, और कुछ मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ। नीचे प्रमुख देशों और संबंधित वर्षों की सूची दी गई है जहां अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई की:

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कोरिया (1950–1953)
  • कोरियन वॉर: उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से हस्तक्षेप किया।
वियतनाम (1955–1975)
  • वियतनाम युद्ध: साम्यवाद को रोकने के नाम पर अमेरिका ने लंबे समय तक वियतनाम में युद्ध लड़ा।
क्यूबा (1961)
  • Bay of Pigs Invasion: अमेरिका समर्थित बलों ने फिदेल कास्त्रो की सरकार को गिराने के लिए हमला किया, लेकिन विफल रहे।
लाओस और कंबोडिया (1960s–1970s)
  • वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने इन देशों में भारी बमबारी की (सीक्रेट वॉर)।

ग्रेनेडा (1983)

  • Operation Urgent Fury: अमेरिका ने कम्युनिस्ट समर्थित सरकार को हटाने के लिए ग्रेनेडा पर हमला किया।
पनामा (1989)
  • Operation Just Cause: अमेरिका ने तानाशाह मैनुअल नोरीएगा को हटाने के लिए हमला किया।
इराक (1991 और 2003)
  • 1991 – Gulf War: कुवैत पर इराकी हमले के बाद अमेरिका ने इराक पर हमला किया।
  • 2003 – Iraq War: अमेरिका ने दावा किया कि इराक के पास WMD (Weapons of Mass Destruction) हैं और सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए हमला किया।
अफगानिस्तान (2001–2021)
  • Operation Enduring Freedom: 9/11 के बाद तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ सबसे लंबा अमेरिकी युद्ध।
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सर्बिया/कोसोवो (1999)
  • नाटो के नेतृत्व में अमेरिका ने सर्बिया पर बमबारी की, जब कोसोवो में नरसंहार की आशंका थी।
लीबिया (2011)
  • अमेरिका और NATO ने लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी की सरकार के खिलाफ बमबारी की।
सीरिया (2014–वर्तमान)
  • ISIS के खिलाफ अमेरिका ने सीरिया में हवाई हमले और स्पेशल फोर्सेस तैनात की।
यमन (Drone attacks 2002–वर्तमान)
  • अमेरिका ड्रोन के ज़रिए आतंकवादियों को निशाना बना रहा है।
पाकिस्तान (विशेष ऑपरेशन)
  • 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका ने ऐबटाबाद में एक ऑपरेशन चलाया।
सोमालिया (1990s–वर्तमान)
  • आतंकवाद और पायरेसी के खिलाफ अमेरिका ने कई सैन्य कार्रवाई की है।
ईरान (Cyber attack – 2010)
  • Stuxnet Virus के ज़रिए अमेरिका और इज़रायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाया।

अमेरिका की विदेश नीति और उसकी सैन्य ताकत ने उसे “वैश्विक पुलिस” जैसी भूमिका में डाल दिया है। कई बार सुरक्षा के नाम पर, तो कई बार रणनीतिक हितों की वजह से अमेरिका ने हस्तक्षेप किया है। अब Iran Israel Conflict में अमेरिका की एंट्री फिर एक बड़े युद्ध की ओर इशारा कर रही है। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे कमेंट में जरूर बताएं।

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