Roza Sehri & Iftar Time Today : रोजा इफ्तार टाइम कैसे तय होता है? सेहरी क्यों करते हैं?

Roza Sehri & Iftar Time Today : रमज़ान का महीना इस्लाम धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं, जिसमें सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने से परहेज किया जाता है। रोजा रखने की शुरुआत सेहरी से होती है और इसका समापन इफ्तार के साथ किया जाता है।
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Roza Sehri & Iftar Time Today : रमज़ान का महीना इस्लाम धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं, जिसमें सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने से परहेज किया जाता है। रोजा रखने की शुरुआत सेहरी से होती है और इसका समापन इफ्तार के साथ किया जाता है।

अगर आप मुस्लिम समाज से नहीं है। तो आपको रोजा खोलने का समय, और सहरी से जुड़े सवालों के बारे में नहीं जानते होंगे। आज हम आपको इन्हीं विषयों पर बात करने जा रहे हैं, जैसे इफ्तार का समय कैसे तय होता है और सहरी क्यों की जाती है? आइए विस्तार से जानते हैं।

रोजा इफ्तार टाइम कैसे तय होता है?

रोजा खोलने का समय इस्लामिक कैलेंडर और खगोलीय गणनाओं के आधार पर तय किया जाता है। इसके लिए चांद और सूरज की स्थिति महत्वपूर्ण होती है।

  1. सूर्यास्त के समय पर आधारित
    इफ्तार का समय सूर्यास्त के साथ निर्धारित होता है। इस्लाम में ये मान्यता है कि जब सूरज पूरी तरह अस्त हो जाता है, तभी रोजा खोला जा सकता है।
  2. मग़रिब की अज़ान का समय
    इफ्तार का सही समय जानने के लिए मस्जिदों में दी जाने वाली मग़रिब की अज़ान एक महत्वपूर्ण संकेत होती है। जैसे ही अज़ान होती है, रोजेदार इफ्तार कर सकते हैं।
  3. इस्लामिक कैलेंडर और जियोलोकेशन
    अलग-अलग देशों और शहरों में सूर्यास्त का समय अलग होता है। इसलिए हर स्थान पर इफ्तार का समय थोड़ा अलग हो सकता है। इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रकाशित कैलेंडर में विभिन्न शहरों के लिए इफ्तार के समय को दर्शाया जाता है।
  4. खगोलीय गणना और डिजिटल ऐप्स
    आजकल कई मोबाइल ऐप्स और वेबसाइटें इफ्तार और सेहरी का सही समय बताने के लिए खगोलीय गणना का उपयोग करती हैं। इनमें इस्लामिक फाइंडर, मुतीन टाइम्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जो जीपीएस लोकेशन के अनुसार सटीक समय बताते हैं।
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सेहरी क्यों करते हैं?

सेहरी रोजा रखने की शुरुआत से पहले खाई जाने वाला वो भोजन होता है, जो फज्र (सुबह की नमाज) से पहले किया जाता है। इसका महत्व कई धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से है।

  1. पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व) की हदीस के अनुसार
    इस्लाम में सेहरी करना सुन्नत माना गया है। पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व) ने कहा है, “सेहरी किया करो, क्योंकि इसमें बरकत होती है।” (सहीह बुखारी)
  2. रोजा रखने के लिए शरीर को ऊर्जा मिलती है
    पूरे दिन बिना खाए-पीए रोजा रखने के लिए शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सेहरी करने से शरीर को पर्याप्त पोषण मिलता है, जिससे दिनभर भूख और प्यास सहन करने में आसानी होती है।
  3. पाचन क्रिया को बनाए रखने में सहायक
    सेहरी करने से शरीर की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया सुचारू रूप से काम करती है और पूरे दिन पेट में एसिडिटी या अन्य समस्याएं नहीं होती हैं।
  4. इबादत करने का मौका मिलता है
    सेहरी का समय विशेष रूप से अल्लाह की इबादत और दुआ करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान की गई दुआओं की स्वीकार्यता अधिक मानी जाती है।
  5. धार्मिक अनुशासन और मानसिक शक्ति
    सेहरी करने से व्यक्ति का आत्मसंयम और अनुशासन बना रहता है। यह एक तरह से मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति पूरे रमज़ान महीने में ईमानदारी से रोजे रख सके।

रोजा रखना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ये आत्मसंयम, अनुशासन और स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इफ्तार का समय सूर्यास्त के अनुसार तय किया जाता है, जबकि सेहरी करने से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। ये न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद माना जाता है।

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रमज़ान के इस पवित्र महीने में रोजा रखना आत्मशुद्धि का एक विशेष तरीका है, जो न केवल आत्मा को बल्कि शरीर को भी स्वस्थ बनाता है। आपसे एक निवेदन है कि अगर हमारे द्वारा दी गई सूचना में कोई कमी है। तो कृपया करके बताने का कष्ट करें ताकि हम इसे ठीक कर सकें।

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