Lady Don Zikra कौन है?, जिसके नाम से खौफ में दिल्ली!

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में भारत में किशोर अपराधों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। हत्या, डकैती, चोरी, साइबर क्राइम और ड्रग्स जैसे मामलों में 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों की संलिप्तता बढ़ती जा रही है।

नई दिल्ली- दिल्ली की सड़कों पर अपराध के मामलों में जब किसी महिला का नाम सामने आता है, वो भी ‘लेडी डॉन’ के रूप में, तो ये समाज के लिए एक चौंकाने वाली स्थिति बन जाती है। हाल ही में सीलमपुर में हुए 17 वर्षीय युवक कुणाल की हत्या के मामले में जिस महिला का नाम उभर कर सामने आया है, वो है — जिकरा, जिसे स्थानीय स्तर पर ‘Lady Don Zikra’ के नाम से जाना जाता है। उसकी छवि एक दबंग और खौफनाक महिला की बनी हुई है, जो अपने गैंग के जरिए इलाके में दहशत फैला चुकी है। लेकिन जिकरा की कहानी सिर्फ एक अपराध की नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक संकट की झलक भी है — बच्चों और किशोरों में तेजी से बढ़ते अपराध के ग्राफ की। ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हम समय रहते नहीं जागे, तो भविष्य की पीढ़ी हिंसा और अपराध की राह पर जा सकती है।

Lady Don Zikra कौन है?

जिकरा, जो दिल्ली के सीलमपुर इलाके में रहती है, उस पर कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। Lady Don Zikra न सिर्फ एक गैंग को लीड करती है, बल्कि अपने रिश्तेदारों के जरिए भी वारदातों को अंजाम दिलवाती है। सीलमपुर मर्डर केस में जिकरा की अहम भूमिका सामने आने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। जानकारी के मुताबिक, जिकरा पर पहले भी स्थानीय झगड़े, वसूली और गाली-गलौज जैसे मामलों में संलिप्तता रही है। लेकिन इस बार उसने एक नाबालिग की हत्या की साजिश में भाग लिया, जो इस बात को उजागर करता है कि अपराध अब उम्र, लिंग और वर्ग की सीमाओं को पार कर चुका है। (Lady Don Zikra)

Lady Don Zikra जैसे लोग खतरनाक ट्रेंड

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में भारत में किशोर अपराधों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। हत्या, डकैती, चोरी, साइबर क्राइम और ड्रग्स जैसे मामलों में 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों की संलिप्तता बढ़ती जा रही है।

कुछ प्रमुख कारण:

  1. घरेलू हिंसा या उपेक्षा – जहां बच्चे सुरक्षा और प्यार से वंचित रहते हैं।
  2. शिक्षा की कमी – स्कूल छोड़ने वाले या अशिक्षित बच्चों में अपराध का जोखिम ज्यादा होता है।
  3. गलत संगत और गैंग कल्चर – मोहल्ले या स्कूलों में बनने वाले गैंग अपराध को बढ़ावा देते हैं।
  4. सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव – हिंसा और अपराध को ग्लोरीफाई करने वाले कंटेंट का असर किशोरों के मन पर गहरा पड़ता है।
  5. बेरोजगारी और गरीबी – आर्थिक समस्याएं बच्चों को छोटे-मोटे अपराधों की ओर धकेलती हैं, जो बाद में बड़ी वारदातों में बदल सकते हैं।

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कितना खतरनाक है ये ट्रेंड?

  • आज का किशोर अपराधी कल का प्रोफेशनल क्रिमिनल बन सकता है।
  • नाबालिग होने की वजह से कानून में रियायतें मिलती हैं, जिससे अपराध की प्रवृत्ति को बल मिलता है।
  • जब लड़के-लड़कियां गैंग में शामिल होकर हिंसा को अंजाम देने लगें, तो समाज की सुरक्षा व्यवस्था भी कमजोर पड़ जाती है।

दिल्ली जैसे शहरों में ये स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जहां सामाजिक विषमता, भीड़भाड़ और निगरानी की कमी के कारण बच्चे जल्दी अपराध के रास्ते पर चले जाते हैं।

कैसे रोका जाए बच्चों में बढ़ता अपराध?

  1. समय रहते काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहयोग देना:
    स्कूलों और मोहल्लों में नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच और मोटिवेशनल सेशन बच्चों की सोच को सही दिशा दे सकते हैं।
  2. अच्छी शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट:
    शिक्षा के साथ-साथ स्किल ट्रेनिंग देना जरूरी है, ताकि बच्चों को भविष्य की बेहतर राह मिल सके।
  3. परिवार की भूमिका:
    माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए — उनका व्यवहार, दोस्ती, सोशल मीडिया उपयोग सब कुछ समझना जरूरी है।
  4. समुदाय आधारित निगरानी:
    मोहल्लों में स्थानीय समाजसेवकों, शिक्षकों और पुलिस की निगरानी से अपराधी प्रवृत्तियों की पहचान पहले हो सकती है।
  5. गैंग संस्कृति को खत्म करना:
    पुलिस और NGO को मिलकर गैंग कल्चर के खिलाफ मुहिम चलानी चाहिए, जहां बच्चों को सकारात्मक रोल मॉडल दिखाए जाएं।
  6. कड़ी कानूनी सजा और सुधारात्मक उपाय:
    किशोर न्याय प्रणाली को संतुलित करना जरूरी है — जहां जरुरत पड़े, सख्त सजा दी जाए और साथ ही सुधार के मौके भी दिए जाएं।

समय रहते चेत जाना जरूरी है

Lady Don Zikra का नाम सिर्फ एक महिला अपराधी का नाम नहीं है, बल्कि ये एक चेतावनी है कि हमारी अगली पीढ़ी अपराध के अंधेरे में खो सकती है। अगर हम अभी नहीं चेते, तो ऐसे और भी ‘किशोर अपराधी’ और ‘लेडी डॉन’ समाज में उभरते रहेंगे। समस्या सिर्फ कानून की नहीं है — ये परिवार, समाज, शिक्षा व्यवस्था और शासन सबकी जिम्मेदारी है। हर बच्चा सही माहौल में पले-बढ़े, यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। तभी हम एक सुरक्षित, सभ्य और उन्नत भारत की कल्पना कर पाएंगे।

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