Waqf Amendment Bill 2025: इन दिनों देशभर में वक्फ बोर्ड चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्लों तक, हर कोई Waqf बोर्ड पर अपनी राय देता दिख रहा है। लेकिन कभी-कभी ये चर्चा इतनी संवेदनशील हो जाती है कि उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है – जैसा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक रिटायर्ड कर्नल के साथ हुआ।
Waqf की तारीफ पर विवाद
रिटायर्ड कर्नल सूर्यप्रताप सिंह ने कानपुर से लखनऊ जाने के लिए एक कैब बुक की थी। कैब ड्राइवर का नाम वसीम बताया जा रहा है। सफर के दौरान कर्नल साहब फोन पर अपने एक जानकार से वक्फ बोर्ड को लेकर बातचीत कर रहे थे। बातचीत का विषय Waqf बोर्ड और इससे जुड़ा संशोधन था। बातचीत में उन्होंने कुछ तीखी टिप्पणियाँ कर दीं, जो कैब ड्राइवर को आपत्तिजनक लगीं।
कर्नल को शायद अंदाज़ा नहीं था कि कैब ड्राइवर मुस्लिम है और वक्फ बोर्ड पर की गई बातों से आहत हो सकता है। लेकिन वसीम ने चुपचाप सब सुना और फिर रास्ते में अपने कुछ साथियों को बुला लिया। इसके बाद कथित तौर पर उन सभी ने मिलकर रिटायर्ड कर्नल की पिटाई कर दी।
भारतीय सेना के एक सम्मानित सेवानिवृत्त सैनिक कर्नल सूर्य प्रकाश सिंह पर एक पूर्व नियोजित, सांप्रदायिक रूप से प्रेरित हमले में मुसलमानों की भीड़ द्वारा क्रूरतापूर्वक हमला किया
– और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने उबर @UberIN_Support @Uber
टैक्सी में यात्रा करते समय एक निजी… pic.twitter.com/xKXwOzB83d
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 8, 2025
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
पिटाई के बाद कर्नल सूर्यप्रताप सिंह ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया है और वो ठीक से चल भी नहीं पा रहे। वीडियो में उनकी हालत खराब दिख रही थी। बताया जा रहा है कि घटना के समय कर्नल साहब ने शराब पी रखी थी और नशे में थे।
कर्नल सिंह वर्तमान में कानपुर के जिला सैनिक पुनर्वास कल्याण बोर्ड में अधिकारी हैं। उन्होंने लखनऊ पहुँचने के बाद पुलिस में वसीम और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है और वायरल वीडियो को भी सबूत के तौर पर संज्ञान में लिया गया है।
Waqf बोर्ड संशोधन से नाराजगी?
इस पूरी घटना के केंद्र में जो मुद्दा है, वो Waqf बोर्ड संशोधन है। हाल ही में सरकार ने वक्फ अधिनियम में कुछ बदलाव प्रस्तावित किए हैं, जिनमें वक्फ संपत्तियों की जांच और पुनः सीमांकन जैसी बातें शामिल हैं।
मुस्लिम समुदाय का कहना है कि ये संशोधन उनके धार्मिक और सामाजिक अधिकारों में हस्तक्षेप है। उनका मानना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है, जिससे उनके धार्मिक संस्थान और मदरसे प्रभावित हो सकते हैं।
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कुछ मुस्लिम संगठनों ने आशंका जताई है कि ये कदम उन्हें उनकी विरासत और इतिहास से काटने की कोशिश है। यही कारण है कि वक्फ बोर्ड और उसके अस्तित्व से जुड़ी कोई भी आलोचना या टिप्पणी भावनात्मक प्रतिक्रिया को जन्म दे सकती है।
सामाजिक संवाद की ज़रूरत
रिटायर्ड कर्नल की पिटाई की घटना ने एक अहम सवाल खड़ा किया है – क्या हम किसी मुद्दे पर खुलकर बातचीत नहीं कर सकते? क्या हमारी असहमति हिंसा में बदलनी चाहिए?
इस घटना में जहां एक ओर कैब ड्राइवर और उसके साथियों की हिंसक प्रतिक्रिया को निंदनीय कहा जा सकता है, वहीं ये भी समझना ज़रूरी है कि धार्मिक भावनाएं कितनी नाजुक होती हैं। एक असंवेदनशील टिप्पणी माहौल को भड़काने का काम कर सकती है।
ऐसे माहौल में सबसे ज़रूरी है – संवेदनशीलता और संयम। समाज में संवाद हो, बहस हो, लेकिन कानून के दायरे में रहकर। अगर किसी को कोई बात आपत्तिजनक लगे, तो उसके लिए न्यायिक रास्ता खुला है, हिंसा नहीं।
भारत जैसे विविधताओं वाले देश में धार्मिक और सामाजिक मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं। वक्फ बोर्ड का मुद्दा सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं है, बल्कि ये समुदाय की भावनाओं से जुड़ा मामला है। ऐसे में सभी पक्षों को संयम और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत है।
रिटायर्ड कर्नल के साथ हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही समाज में संवाद का ऐसा माहौल बनाना भी ज़रूरी है, जहाँ असहमति हो सके – बिना डर और हिंसा के।