नई दिल्ली – Buddha Purnima 2025 भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में मनाया जाने वाला एक पवित्र और आध्यात्मिक त्योहार है। इसे “गौतम बुद्ध जयंती” (Gautam Buddha Jayanti) के रूप में भी जाना जाता है। हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा को ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाएं मानी जाती हैं, जो इसे और भी विशेष बना देती हैं।
बुद्ध पूर्णिमा क्या है? (What is Buddha Purnima in Hindi)
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे Vesak या Vesakha Festival भी कहा जाता है, भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की तीन मुख्य घटनाओं से जुड़ा है – उनका जन्म (Birth), उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति (Enlightenment), और कुशीनगर में महापरिनिर्वाण (Death)। यह दिन त्रिविध महत्व रखता है और इसे श्रद्धा, करुणा और शांति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
इस पावन दिन को Buddhist community के लोग पूरे श्रद्धा भाव से मनाते हैं। हालांकि, आज के समय में हिंदू, जैन और अन्य धर्मों के लोग भी इस दिन भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास (History of Buddha Purnima)
भगवान बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, जो आज के नेपाल में स्थित है, में हुआ था। उनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था। वो शाक्य वंश के राजकुमार थे, लेकिन संसार के दुःखों से व्यथित होकर उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े।
बोधगया (Bodh Gaya) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्होंने ध्यान लगाकर ज्ञान (enlightenment) प्राप्त किया और “बुद्ध” कहलाए – जिसका अर्थ है ‘The Enlightened One’। इसके बाद उन्होंने मानवता को दुःख से मुक्त होने का मार्ग बताया – जिसे हम आज अष्टांगिक मार्ग और चार आर्य सत्य (Four Noble Truths) के रूप में जानते हैं।
उनकी शिक्षाएं न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया में फैलीं – श्रीलंका, थाईलैंड, जापान, चीन और कोरिया जैसे देशों में भी बौद्ध धर्म की जड़ें मजबूत हुईं।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? (Why is Buddha Purnima Celebrated)
इस दिन को मनाने के तीन प्रमुख कारण हैं:
- जन्म: भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था।
- ज्ञान प्राप्ति: इसी दिन उन्होंने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया।
- महापरिनिर्वाण: और इसी दिन उन्होंने अपना शरीर त्यागा।
इन तीनों घटनाओं का एक ही दिन में होना इस दिन को सबसे पावन बनाता है। यही कारण है कि इसे Buddha Jayanti, Buddha Purnima, या Vesak Day के नाम से मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?
भारत में विशेष रूप से बौद्ध धर्म मानने वाले लोग इस दिन को बहुत श्रद्धा से मनाते हैं:
- बौद्ध विहारों (Buddhist Monasteries) में प्रार्थनाएं होती हैं।
- बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर में विशाल कार्यक्रम होते हैं।
- लोग बुद्ध की मूर्तियों को स्नान कराते हैं, फूल चढ़ाते हैं और दीप जलाते हैं।
- उपवास (Fasting), ध्यान (Meditation) और दान (Charity) का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन पंचशील, यानी नैतिक जीवन के पांच नियमों का पालन करने की प्रेरणा दी जाती है।
ये भी पढ़ें – Mandir के सोने से सरकार मालामाल, 17.81 करोड़ की हुई कमाई
बुद्ध की शिक्षाएं (Teachings of Gautam Buddha)
गौतम बुद्ध ने जीवन के दुखों से मुक्ति पाने के लिए चार आर्य सत्य (Four Noble Truths) और अष्टांग मार्ग (Eightfold Path) का उपदेश दिया।
चार आर्य सत्य:
- संसार में दुःख है
- दुःख का कारण है
- दुःख का अंत संभव है
- दुःख के अंत का रास्ता है
अष्टांग मार्ग:
- सम्यक दृष्टि (Right View)
- सम्यक संकल्प (Right Intention)
- सम्यक वाणी (Right Speech)
- सम्यक कर्म (Right Action)
- सम्यक आजीविका (Right Livelihood)
- सम्यक प्रयास (Right Effort)
- सम्यक स्मृति (Right Mindfulness)
- सम्यक समाधि (Right Concentration)
इन सिद्धांतों को आज भी जीवन में उतारने की प्रेरणा मिलती है।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तारीख (Buddha Purnima 2025 Date in India)
Buddha Purnima 2025 को 12 मई 2025 (Monday) को मनाया जाएगा। यह दिन वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है। पंचांग के अनुसार, ये शुभ तिथि आध्यात्मिक साधना और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व (Importance of Buddha Purnima)
- धार्मिक महत्व: भगवान बुद्ध को स्मरण करने का दिन।
- आध्यात्मिक महत्व: ध्यान, करुणा और शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा।
- सामाजिक महत्व: इस दिन समाज सेवा, दान और अहिंसा के कार्य किए जाते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि ये मानवता, प्रेम, और शांति का संदेश देने वाला दिन है। भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज के युग में और भी अधिक प्रासंगिक हैं, जहां हर व्यक्ति मानसिक शांति की तलाश में है। उनके मार्गदर्शन से हम जीवन को सरल, शांतिपूर्ण और सच्चाई से परिपूर्ण बना सकते हैं। इस पावन अवसर पर आइए हम भी अपने जीवन में करुणा, अहिंसा और आत्मबोध की ओर एक कदम बढ़ाएं।