Hanuman Jayanti क्यों मनाई जाती है, हनुमान जी की कथा क्या है ?

भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं। उनकी निःस्वार्थ भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण रामायण में देखने को मिलता है, जब उन्होंने भगवान श्रीराम की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

Hanuman Jayanti 2025 : हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) मनाई जाती है। इस दिन को भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी को ‘अजर-अमर’ देवता माना गया है, जिनकी पूजा करने से भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हनुमान जयंती मनाने के पीछे धार्मिक महत्व क्या है? आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा, धार्मिक कारण और इसकी पूजा विधि। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं।

हनुमान जयंती का धार्मिक महत्व (Importance of Hanuman Jayanti)

भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं। उनकी निःस्वार्थ भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण रामायण में देखने को मिलता है, जब उन्होंने भगवान श्रीराम की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म वानरराज केसरी और अंजना माता के घर हुआ था। अंजना माता एक अप्सरा थीं, जिन्हें श्राप के कारण धरती पर जन्म लेना पड़ा। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और पवनदेव के माध्यम से उन्होंने हनुमान जी को जन्म दिया। इसी कारण उन्हें ‘पवनपुत्र हनुमान’ भी कहा जाता है।

ये भी पढ़ें – कैसे होता है अघोरियों का अंतिम संस्कार

हनुमान जी की कथा – कैसे हुआ जन्म?

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब अंजना माता शिव की आराधना कर रही थीं, तब उसी समय राजा दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ के बाद प्राप्त खीर का एक भाग एक पक्षी द्वारा अंजना माता तक पहुंच गया, जिसे उन्होंने प्रसाद मानकर ग्रहण किया। उसी के फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ। (Hanuman Jayanti)

हनुमान जी बचपन से ही अत्यंत बलशाली और चंचल थे। एक बार उन्होंने सूर्यदेव को फल समझकर निगलने की कोशिश की थी। उनके इस पराक्रम से सभी देवता चकित हो गए थे। बाद में भगवान इन्द्र के वज्र से टकराकर उनके जबड़े में चोट लगी, तभी से उनका नाम पड़ा ‘हनुमान’ – जिसका अर्थ है ‘जिसका हनु (जबड़ा) टूटा हो।’

हनुमान जी की विशेषताएं

  • भगवान हनुमान को राम भक्त, बजरंगबली, मारुति, महावीर, अंजनीपुत्र जैसे नामों से जाना जाता है।
  • वे अष्टसिद्धि और नव निधियों के दाता हैं।
  • कहा जाता है कि कलियुग में सिर्फ हनुमान जी ही ऐसे देवता हैं जो जीवित रूप में धरती पर निवास करते हैं।
  • उनका नाम लेने मात्र से ही भूत-प्रेत, भय और बाधाएं दूर हो जाती हैं।

हनुमान जयंती की पूजा विधि

हनुमान जयंती के दिन भक्त व्रत रखते हैं और विशेष पूजा करते हैं। इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
  3. सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं, क्योंकि हनुमान जी को ये प्रिय हैं।
  4. गुड़-चने और केले का भोग लगाएं।
  5. हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और श्रीराम स्तुति का पाठ करें।
  6. आरती कर दिनभर व्रत रखें और शाम को प्रसाद वितरण करें।

Hanuman Jayanti का महत्व

आज की व्यस्त जिंदगी में लोग शांति, सुरक्षा और आत्मबल की तलाश में रहते हैं। ऐसे में हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि आत्मिक ऊर्जा पाने का एक माध्यम बन गया है। लोग इस दिन मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं और अपने जीवन की हर बाधा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

हनुमान जयंती केवल भगवान हनुमान के जन्मदिन के रूप में ही नहीं, बल्कि भक्ति, शक्ति और सेवा के प्रतीक दिवस के रूप में मनाई जाती है। ये दिन हमें ये सिखाता है कि अगर हमारी भक्ति सच्ची हो, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। भगवान हनुमान की कृपा से जीवन के हर संकट हल हो जाते हैं।

“जय बजरंगबली!”

author avatar
Narendra Niru
Share it :

सम्बंधित ख़बरें