Hare Ka Sahara Baba Shyam Hamara कौन हैं ?, कैसे करें पूजा ?

बाबा श्याम को खाटू श्याम जी के नाम से भी जाना जाता है। ये नाम राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर से जुड़ा हुआ है, जहां इनका भव्य मंदिर स्थित है। बाबा श्याम असल में महाभारत के वीर योद्धा बर्बरीक के रूप में जन्मे थे, जो भीम के पुत्र और नागकन्या अहिलावती के बेटे थे।
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: “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” — ये वाक्य हर उस भक्त की जुबान पर होता है जो कठिन समय में एक आस, एक उम्मीद के रूप में बाबा श्याम को याद करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये बाबा श्याम आखिर हैं कौन? और इनका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से कैसे है?

कौन हैं बाबा श्याम?

बाबा श्याम को खाटू श्याम जी () के नाम से भी जाना जाता है। ये नाम राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर से जुड़ा हुआ है, जहां इनका भव्य मंदिर स्थित है। बाबा श्याम असल में महाभारत के वीर योद्धा बर्बरीक के रूप में जन्मे थे, जो भीम के पुत्र और नागकन्या अहिलावती के बेटे थे।

बर्बरीक को बचपन से ही अपार शक्ति और वरदान प्राप्त थे। उन्होंने तीन बाणों की शक्ति प्राप्त की थी, जिससे वो किसी भी युद्ध का परिणाम पल भर में तय कर सकते थे। (Hare Ka Sahara Baba Shyam Hamara)

श्रीकृष्ण से क्या है संबंध?

महाभारत के युद्ध से ठीक पहले बर्बरीक (Hare Ka Sahara Baba Shyam Hamara) युद्ध में भाग लेने के लिए निकले। जब श्रीकृष्ण को ये बात पता चली कि बर्बरीक तीन बाणों से ही युद्ध की दिशा बदल सकते हैं, तो उन्होंने उनसे एक विचित्र मांग की— उनका सिर।

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श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वो युद्ध में किस पक्ष का साथ देंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वो हमेशा हारने वाले पक्ष का साथ देंगे।ये सुनकर श्रीकृष्ण समझ गए कि यदि ऐसा हुआ तो युद्ध का संतुलन गड़बड़ा जाएगा। उन्होंने बर्बरीक से दान स्वरूप उनका शीश माँगा, और बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना सिर दान में दे दिया। (Hare Ka Sahara Baba Shyam Hamara)

उसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से पूजे जाओगे और जो भी तुम्हें सच्चे मन से याद करेगा, उसकी हर हार को जीत में बदल दोगे। तभी से लोग उन्हें “हारे का सहारा बाबा श्याम” के रूप में पूजते हैं।

खाटू श्याम कैसे पहुंचे?

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम धाम देशभर के भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम मंदिर पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस जंक्शन है, जो देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।

रींगस से खाटू की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है, जिसे टैक्सी, ऑटो या बस से आसानी से तय किया जा सकता है। हवाई यात्रा करने वाले भक्त जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट उतरकर करीब 80 किलोमीटर की दूरी तय कर खाटू श्याम पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से भी दिल्ली, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, और अन्य शहरों से नियमित बसें और प्राइवेट वाहन उपलब्ध रहते हैं, जिससे यह तीर्थस्थल हर वर्ग के यात्री के लिए सुगम बनता है। लेकिन खाटू श्याम धाम जाने से पहले सावधानी बरतें। जैसे छुट्टियों के दिन खाटू श्याम धाम जाने से बचें क्योंकि उस समय भीड़ ज्यादा हो सकती है।

बहुत से लोग खाटू श्याम धाम अपनी गाड़ी से जाते हैं। लेकिन गाड़ी चलाते समय लापरवाही न बरतें। ऐसा करना आपके और बाकी लोगों के लिए सुरक्षित रहेगा।

क्यों बढ़ रही है बाबा श्याम की भक्ति?

खाटू श्याम जी की भक्ति आज पूरे भारत में तेजी से बढ़ रही है। खासकर युवा वर्ग में इनकी भक्ति का क्रेज सोशल मीडिया, रील्स और भजन मंडलियों के ज़रिए भी दिखाई देता है। बाबा श्याम का संदेश यही है कि चाहे हालात कैसे भी हों, अगर दिल सच्चा है और आस्था अडिग है, तो हार कभी स्थायी नहीं होती।

बाबा श्याम (Hare Ka Sahara Baba Shyam Hamara), यानी बर्बरीक की कहानी सिर्फ एक पौराणिक कथा नहीं बल्कि त्याग, निष्ठा और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। जब भी जीवन में हार का सामना हो, तो “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” कहते हुए श्रद्धा से उन्हें याद करें। शायद आपकी ज़िंदगी में भी कोई चमत्कार हो जाए।

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Narendra Niru
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