Vat Purnima Vrat और ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत क्या है, जानिए पूजा का तरिका

Vat Purnima Vrat की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। प्राचीन काल में राजकुमारी सावित्री ने सत्यवान नाम के वनवासी से विवाह किया। एक दिन सत्यवान की मृत्यु हो गई।
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नई दिल्ली- भारत में अनेक पर्व-त्योहार पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करने वाले माने जाते हैं। () (जिसे कई क्षेत्रों में भी कहा जाता है) एक ऐसा ही पर्व है, जिसमें विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु, सुख और सौभाग्य के लिए कठोर उपवास और पूजा करती हैं। ये पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये  लेख गीता प्रेस के द्वारा रचित लेख के आधार पर तैयार किया गया है।

Vat Purnima Vrat का शुभ मुहूर्त

साल 2025 में वट पूर्णिमा व्रत की तिथि है:

  • तिथि प्रारंभ: 10 जून 2025 को प्रातः 11:35 बजे
  • तिथि समाप्त: 11 जून 2025 को दोपहर 1:13 बजे

ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान, दान और व्रत का संकल्प लेना अत्यंत फलदायी माना जाता है। व्रत का पूजन 10 जून को ही करना श्रेष्ठ रहेगा।

Vat Purnima Vrat कथा

Vat Purnima Vrat की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। प्राचीन काल में राजकुमारी सावित्री ने सत्यवान नाम के वनवासी से विवाह किया। एक दिन सत्यवान की मृत्यु हो गई। सावित्री ने यमराज का पीछा करते हुए उन्हें अपने दृढ़ संकल्प और बुद्धिमत्ता से प्रभावित किया और अपने पति को पुनः जीवित करवा लिया।

Vat Purnima Vrat की ये कथा पत्नी के समर्पण, साहस और प्रेम का प्रतीक है। सावित्री की तरह आज भी विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए यह व्रत श्रद्धा से करती हैं।

वट वृक्ष का महत्व

वट वृक्ष (बरगद) को हिन्दू धर्म में अमरता और स्थायित्व का प्रतीक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों इस वृक्ष में वास करते हैं। व्रत के दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, उसके चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा करती हैं, और अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती हैं। इसलिए सदियों से Vat Purnima Vrat रखा जा रहा है।

वट पूर्णिमा व्रत की पूजन विधि

  1. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
    • गंगा जल या साफ जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. श्रृंगार करें और पूजा की थाली सजाएं।
    • थाली में रोली, अक्षत, हल्दी, कच्चा सूत, पुष्प, मिठाई, और व्रत कथा रखें।
  3. वट वृक्ष की पूजा करें।
    • जल चढ़ाएं, धूप-दीप दिखाएं और कच्चे सूत से परिक्रमा करें।
  4. सावित्री-सत्यवान व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
    • यह कथा पढ़ना अनिवार्य होता है, जिससे व्रत की पूर्णता मानी जाती है।
  5. पति का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
    • पूजा के बाद पति को तिलक करें और उनसे आशीर्वाद लें।

ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Vat Purnima Vrat के अलावा ज्येष्ठ पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष की सबसे गर्म पूर्णिमा होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं। ज्येष्ठ मास का संबंध तप, संयम और श्रद्धा से है। यह महीना पानी की पवित्रता, व्रत, जप और ध्यान के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, व्रत और उपवास से शरीर डिटॉक्स होता है, जिससे ऊर्जा बनी रहती है। गर्मी में किया गया उपवास शरीर को हल्का और स्वस्थ बनाता है।

व्रत में भोजन और परहेज़

वट पूर्णिमा व्रत में कई महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। कुछ फलाहार करती हैं। व्रत में आमतौर पर नमक रहित फल, दूध, फल-सब्जी खाई जाती है।

क्या न करें:

  • मद्य, मांस, प्याज-लहसुन आदि तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है।
  • किसी का अपमान न करें, मन में द्वेष या गुस्सा न रखें।

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व्रत से जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं

  • महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत में इसे वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता है।
  • दक्षिण भारत में इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है और अमावस्या को मनाते हैं।
  • महिलाएं इस दिन एक-दूसरे को सुहाग की चीजें भेंट करती हैं – जैसे चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी आदि।
  • कई स्थानों पर सामूहिक रूप से वट वृक्ष की पूजा की जाती है।

आज के समय में व्रत का सामाजिक संदेश

वट पूर्णिमा न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व सिखाता है:

  • पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास और बलिदान का स्थान कितना ऊंचा है।
  • परिवार के लिए त्याग और निष्ठा की परंपरा कैसे जीवन को सार्थक बनाती है।

वट पूर्णिमा व्रत 2025 हर उस महिला के लिए आस्था, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है जो अपने जीवनसाथी के लिए सुख और स्वास्थ्य की कामना करती है। सावित्री की तरह दृढ़ विश्वास और वचनबद्धता से किया गया यह व्रत न केवल धार्मिक पुण्य प्रदान करता है, बल्कि जीवन को सकारात्मकता से भर देता है। इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर आप भी व्रत, दान, और भक्ति के माध्यम से अपने वैवाहिक जीवन को नई ऊर्जा दे सकते हैं।

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Mohit Singh Author
Mohit Singh Chaudhary is a seasoned journalist with over 10 years of experience in the media industry. Throughout his career, he has worked with several reputed news organizations, including India News, Zee News, ANB National, Khabar Fast, Citizen Voice, OK India, HCN News, and VK News.
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