RSS Placement : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रभाव आज इतना गहरा है कि दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज जैसे Cambridge, Harvard, Oxford, IIM, IIT, BIT और NIT इसकी कार्यशैली को अध्ययन का विषय मान रही हैं। संघ की शाखाओं के संगठनात्मक ढांचे और अनुशासन ने विश्वभर के शोधकर्ताओं को चौंका दिया है। RSS केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में समाज, संस्कृति, शिक्षा और राष्ट्रसेवा का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।
RSS की ताकत और संगठनात्मक ढांचा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की ताकत इस तथ्य से समझी जा सकती है कि इसके पास आज 1 लाख शाखाएं सक्रिय रूप से चल रही हैं। संघ के 15 करोड़ स्वयंसेवक, 2 लाख सरस्वती विद्या मंदिर, 5 लाख आचार्य और 1 करोड़ विद्यार्थी इस संगठन को मजबूत नींव प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा 2 करोड़ भारतीय मजदूर संघ के सदस्य, 1 करोड़ ABVP कार्यकर्ता, 15 करोड़ बीजेपी सदस्य, 1200 प्रकाशन समूह, 9 हजार पूर्णकालिक कार्यकर्ता और 7 लाख पूर्व सैनिक परिषद के सदस्य RSS को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं।
RSS और राजनीतिक नेतृत्व में योगदान
RSS ने देश की राजनीति को भी गहराई से प्रभावित किया है। भारत के वर्तमान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री और लोकसभा सभापति सभी का RSS से जुड़ाव रहा है। इसके अलावा 18 मुख्यमंत्री, 29 राज्यपाल, 283 लोकसभा सांसद, 58 राज्यसभा सांसद और 1460 विधायक सीधे तौर पर संघ की विचारधारा से प्रेरित हैं। ये आंकड़े साबित करते हैं कि RSS केवल सामाजिक संगठन नहीं बल्कि एक मजबूत राष्ट्र निर्माण की धुरी है।
RSS के सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन
RSS के अंतर्गत चलने वाले संगठन समाज के हर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इनमें वनवासी कल्याण आश्रम, संस्कार भारती, विज्ञान भारती, लघु उद्योग भारती, सेवा सहयोग, सेवा इंटरनॅशनल, राष्ट्रीय सेविका समिति, आरोग्य भारती, दुर्गा वाहिनी, सामाजिक समरसता मंच और कई अन्य शामिल हैं। ये संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, कला, महिला सशक्तिकरण, उद्योग और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी कार्य कर रहे हैं।
RSS और शिक्षा का योगदान
RSS से जुड़े सरस्वती विद्या मंदिर और एकल विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। लाखों विद्यार्थी इन संस्थानों से न केवल पढ़ाई कर रहे हैं बल्कि राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी का भाव भी सीख रहे हैं। यही कारण है कि आज RSS को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा गैर-सरकारी नेटवर्क कहा जाता है।
RSS और धार्मिक-सांस्कृतिक आंदोलन
RSS ने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास, दीनदयाल शोध संस्थान, भारतीय विचार साधना, संस्कृत भारती, भारत विकास परिषद, शिवाजी अध्यासन, सावरकर अध्यासन जैसे संगठनों के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कार्य किया है। इसी कारण RSS आज भारत की सांस्कृतिक धरोहर और हिंदुत्व की रक्षा का सबसे बड़ा प्रहरी माना जाता है।
RSS और सेवा कार्य
RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा का भी सबसे बड़ा संगठन है। इसके अंतर्गत 1.5 लाख सेवाकार्य, जनकल्याण रक्तपेढी, इतिहास संकलन समिति, धर्म जागरण आंदोलन, भारत भारती, विश्व संवाद केंद्र और हिंदू हेल्पलाइन जैसे कार्य निरंतर चलते रहते हैं। RSS के स्वयंसेवक आपदा प्रबंधन, रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर और ग्रामीण विकास में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
RSS और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान
संघ के साथ जुड़े 7 लाख पूर्व सैनिक परिषद, 30 लाख बजरंग दल के सेवक, 1 करोड़ विश्व हिन्दू परिषद सदस्य और हिंदू स्वयंसेवक संघ भारत और विश्वभर में राष्ट्र की सुरक्षा, संस्कृति और धर्म रक्षा के लिए समर्पित हैं। RSS की यह संरचना इसे एक सामान्य संगठन से कहीं अधिक प्रभावशाली बनाती है।
RSS और मीडिया
RSS ने मीडिया के क्षेत्र में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। इसके 1200 प्रकाशन समूह और संगठन जैसे ऑर्गनाइज़र, पांचजन्य, तरुण भारत, हिंदुस्थान समाचार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, विश्व संवाद केंद्र लगातार जनजागरूकता बढ़ा रहे हैं। मीडिया के माध्यम से RSS की विचारधारा जन-जन तक पहुंचाई जा रही है।
RSS के वैश्विक आयाम
RSS केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सक्रिय है। हिंदू स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू एकता मंच और सेवा इंटरनॅशनल जैसे संगठन विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की अलख जगा रहे हैं। यही कारण है कि RSS को ग्लोबल लेवल पर सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन माना जाता है।
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RSS और राजनीतिक विरोधी
RSS का विरोध करने वाले दल हमेशा यह मानते रहे हैं कि संघ की जड़ें कमजोर की जा सकती हैं। लेकिन सच यह है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी जैसे दल बार-बार संघ को खत्म करने के सपने देखते रहे और अंत में खुद कमजोर हो गए। बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा RSS मुक्त भारत का सपना देखते-देखते इस दुनिया से ही चले गए।
RSS का भविष्य और 100 साल की यात्रा
RSS इस समय अपने 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है और यह साफ दिखता है कि आने वाले हजारों साल तक ये संगठन भारतवर्ष की सेवा करता रहेगा। इसकी शाखाएं समाज को एकजुट करती रहेंगी, स्वयंसेवक राष्ट्रहित में कार्य करते रहेंगे और RSS भारत की आत्मा को जीवित रखेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) केवल एक संगठन नहीं बल्कि भारत की संस्कृति, राष्ट्रवाद, शिक्षा, राजनीति और समाज का सबसे बड़ा स्तंभ है। इसकी शाखाओं का अनुशासन, स्वयंसेवकों की निष्ठा और संगठनों की विविधता Cambridge, Harvard, Oxford, IIM, IIT और NIT जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं के लिए अध्ययन का विषय बन चुकी है। RSS आने वाले समय में भी भारत की शक्ति, एकता और संस्कृति का सबसे बड़ा आधार बना रहेगा।