RSS Membership : भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS सबसे बड़ा सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जिसकी शाखाएं पूरे देश में सक्रिय रूप से चल रही हैं। RSS से जुड़ने की जिज्ञासा युवाओं और समाज के हर वर्ग में लगातार बढ़ रही है। इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि RSS कैसे ज्वाइन करें, इसकी membership का तरीका क्या है, RSS की स्थापना कब हुई, RSS क्यों बनाई गई और इसकी प्रार्थना का महत्व क्या है।
RSS की स्थापना कब हुई और क्यों बनाई गई?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। उस समय भारत अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और समाज में जातिगत भेदभाव, सांप्रदायिक तनाव और असमानता की गहरी खाई थी। RSS की स्थापना का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रभक्ति और संगठन शक्ति को मजबूत करना था।
RSS क्यों बनाई गई, इस सवाल का सबसे सरल उत्तर यही है कि भारतीय समाज को एकजुट कर राष्ट्रवाद की भावना जगाई जाए।
RSS कैसे ज्वाइन करें? पूरी प्रक्रिया विस्तार से
RSS ज्वाइन करने के लिए किसी लिखित आवेदन या शुल्क की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी भारतीय नागरिक संघ की शाखा में जाकर आसानी से स्वयंसेवक बन सकता है।
- स्थानीय शाखा खोजें – अपने शहर, कस्बे या गांव में नजदीकी RSS शाखा कहां लगती है, इसकी जानकारी लें।
- शाखा में जाएं – निर्धारित समय पर शाखा स्थल पर पहुंचें और स्वयंसेवकों के साथ परिचय कराएं।
- नियमित उपस्थिति दें – संघ से जुड़ने का सबसे सरल तरीका शाखा में नियमित उपस्थिति और गतिविधियों में भाग लेना है।
- अनुशासन और नियम अपनाएं – शाखा में समय का पालन, ड्रेस कोड और अनुशासन को गंभीरता से अपनाना आवश्यक है।
- सेवा कार्यों में शामिल हों – RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा कार्यों में सक्रिय योगदान भी इसकी पहचान है।
RSS की Membership का तरीका
RSS में सदस्यता लेने का तरीका बेहद सरल है। इसमें ऑनलाइन फार्म भरने या कोई औपचारिक सदस्यता प्रक्रिया नहीं होती है। स्वयंसेवक सीधे शाखा से जुड़कर सदस्य बन जाते हैं।
आजकल RSS की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज पर भी शाखाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। युवा आसानी से जानकारी लेकर सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।
RSS की प्रार्थना और उसका महत्व
RSS की शाखा में हर दिन एक प्रार्थना गाई जाती है, जिसे “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” कहा जाता है। यह प्रार्थना राष्ट्रभक्ति, समर्पण और मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का भाव जगाती है। प्रार्थना के जरिए स्वयंसेवक अपने जीवन का उद्देश्य राष्ट्रसेवा और समाज कल्याण मानते हैं।
RSS की प्रार्थना में भारत माता को प्रणाम, राष्ट्र के लिए बलिदान और समाज में एकता का संकल्प शामिल है।
RSS शाखाओं में क्या होता है?
RSS शाखाओं का वातावरण अनुशासन और उत्साह से भरा होता है। शाखा में प्रार्थना, व्यायाम, खेल, भजन, देशभक्ति गीत और समाजिक चर्चा होती है। इन गतिविधियों का उद्देश्य स्वयंसेवकों के शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना है।
RSS शाखाएं बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए समान रूप से खुली होती हैं, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है।
RSS क्यों ज्वाइन करें?
RSS ज्वाइन करने से व्यक्ति को समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और व्यक्तिगत विकास का अवसर मिलता है। यहां व्यक्ति नेतृत्व क्षमता, संगठन कौशल और अनुशासन सीखता है।
युवा पीढ़ी के लिए RSS जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक मजबूती और राष्ट्रप्रेम का भाव जगाने का सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है।
RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े सैकड़ों संगठन समाज के हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इनमें भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), विश्व हिंदू परिषद (VHP), संस्कार भारती, सेवा इंटरनॅशनल, वनवासी कल्याण आश्रम और राष्ट्रीय सेविका समिति शामिल हैं।
इन संगठनों के जरिए RSS शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में बड़ा योगदान दे रहा है।
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RSS और राजनीति का संबंध
RSS प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में हिस्सा नहीं लेता, लेकिन इसके स्वयंसेवकों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों में योगदान दिया है। आज राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर RSS पृष्ठभूमि से जुड़े लोग हैं।
RSS के स्वयंसेवक देश में किसी भी आपदा या संकट की स्थिति में हमेशा सबसे पहले मदद के लिए पहुंचते हैं। रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा अभियान और प्राकृतिक आपदाओं में RSS की शाखाएं समाज सेवा करती रहती हैं।
RSS का वैश्विक विस्तार
RSS केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इसकी शाखाएं सक्रिय हैं। “हिंदू स्वयंसेवक संघ” और “विश्व हिंदू परिषद” जैसे संगठन दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद का प्रचार कर रहे हैं।
RSS की स्थापना भारत को सांस्कृतिक और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने के लिए की गई थी। आज यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है। यदि आप जानना चाहते हैं कि RSS कैसे ज्वाइन करें, तो इसका सबसे आसान तरीका है नजदीकी शाखा में शामिल होना और अनुशासनपूर्वक सेवा करना।
RSS की प्रार्थना, शाखाओं की गतिविधियां और सदस्यता प्रक्रिया हर भारतीय को राष्ट्रसेवा और समाज सुधार का मार्ग दिखाती है।