PM Modi on RSS 100 Years : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का सबसे बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जिसने राष्ट्र निर्माण में हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आरएसएस भारत का एकमात्र ऐसा सामाजिक संगठन है। जिसका किसी न किसी रूप में भारत के 90 फीसदी से ज्यादा परिवारों से संबंध है। वो चाहे किसी आपदा के समय स्वयंसेवक की सेवा का मामला हो। या फिर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर सांसद और विधायक के रूप में मिलने वाली सेवा हो।
अब ये संगठन अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) एक विशेष कार्यक्रम में डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। ये आयोजन 1 अक्टूबर को दिल्ली स्थित अंबेडकर भवन में होगा। इस समारोह में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) भी मौजूद रहेंगे।
पीएम मोदी का बड़ा कदम
RSS के 100 साल पूरे होने पर कुछ बड़ा होने वाला है। बताया जा रहा है कि, RSS के 100 साल होने पर पीएम मोदी सबसे बड़ा तोहफा देने जा रहे हैं। सही सुना आपने लेकिन ये सुनकर हो सकता है कि, आपको भरोसा न हो। सूत्रों के अनुसार, ये सिक्का संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगवार (Keshav Baliram Hedgewar) के नाम पर जारी होने की संभावना जताई जा रही है। ये कदम न केवल संगठन की ऐतिहासिक यात्रा को याद करेगा, बल्कि संघ और सरकार के बीच एकरूपता का भी संदेश देगा।
RSS के 100 साल: शताब्दी वर्ष का महत्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में नागपुर में हुई थी। इसके संस्थापक डॉ. हेडगवार ने इसे एक सांस्कृतिक संगठन के रूप में स्थापित किया। 100 वर्षों की इस यात्रा में संघ ने राष्ट्रवाद, शिक्षा, सेवा और संगठन को अपनी प्राथमिकता बनाया।
- RSS के 100 साल पूरे होने पर देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- 2 अक्टूबर को नागपुर में सरकार्यवाह का भाषण इस शताब्दी वर्ष की औपचारिक शुरुआत करेगा।
- ये अवसर केवल संगठन के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल साबित होगा।
RSS और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन RSS की शाखाओं से जुड़ा रहा है। वे बचपन से ही स्वयंसेवक रहे हैं और संघ के सिद्धांतों को अपनाया। पीएम मोदी कई बार अपने भाषणों में कह चुके हैं कि संघ ने उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व शैली को दिशा दी। इसलिए RSS के 100 साल पूरे होने पर मोदी सरकार का यह सम्मान एक स्वाभाविक कदम माना जा रहा है।
RSS से जुड़े विवाद
हालांकि RSS का इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन इसके साथ कई विवाद भी जुड़े हैं।
- संघ पर कई बार राजनीतिक पक्षपात का आरोप लगा।
- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इसकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए।
- कुछ आलोचक मानते हैं कि RSS केवल हिंदू समाज पर केंद्रित है।
फिर भी, समय-समय पर RSS ने अपने सामाजिक कार्यों और आपदा सेवा कार्यों से आलोचकों को जवाब दिया।
RSS और विवाद दोनों के एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आजादी के बाद से या फिर यू कहें कि, आजादी से पहले से ही RSS कई विवादों में फंसा रहा। जिस समय पाकिस्तान को अलग किया जा रहा था। उस समय RSS ने खुलकर इसका विरोध किया। इसका असर ये हुआ कि, मुस्लिम लीग और कांग्रेस के संगठनों ने खुलकर RSS पर हमला करना शुरू कर दिया।
मुस्लिम लीग मुस्लिमों के लिए अलग देश यानी पाकिस्तान बनाने की मांग कर रही थी और कांग्रेस इसके लिए राजी हो गई थी। लेकिन RSS किसी भी हाल में देश का बंटवारा नहीं चाहती थी। इतिहासकार मानते हैं कि, यहीं से मुस्लिम लीग और कांग्रेस जैसे संगठनों ने आरएसएस को मुस्लिम विरोधी बताना शुरु कर दिया। जिसका असर ये हुआ कि, आज तक भारत में कुछ राजनीतिक दल इसे मुस्लिम विरोधी बताते हैं।
RSS का भारत के लिए योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले 100 वर्षों में अनेक सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यों के माध्यम से भारत की सेवा की।
- शिक्षा के क्षेत्र में कार्य: विद्या भारती जैसे संगठनों के माध्यम से शिक्षा का प्रसार किया गया।
- सेवा कार्य: प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य और समाज सेवा RSS की पहचान रही है।
- सांस्कृतिक योगदान: भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में RSS की भूमिका अहम रही।
- राष्ट्रवाद को मजबूत करना: संघ ने हमेशा राष्ट्र को पहले रखने की विचारधारा को आगे बढ़ाया।
डाक टिकट और सिक्के का ऐतिहासिक महत्व
भारत में ऐतिहासिक अवसरों पर कई बार विशेष डाक टिकट और सिक्के जारी किए जाते रहे हैं।
- यह परंपरा केवल यादगार बनाने के लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास का दस्तावेज भी बनती है।
- पीएम मोदी द्वारा जारी किया जाने वाला यह सिक्का और टिकट आने वाले समय में संग्रहणीय वस्तु के रूप में ऐतिहासिक होगा।
ये भी पढ़ें- मोदी सरकार की नई योजना से 3.5 करोड़ नौकरियां! ELI Scheme में सीधे बैंक खाते में पैसे
RSS और राजनीति में उसकी भूमिका
कई बार RSS और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संबंधों पर चर्चा होती रही है। आलोचक मानते हैं कि BJP RSS की राजनीतिक शाखा है। लेकिन RSS खुद को हमेशा एक सांस्कृतिक संगठन मानता है और राजनीति से अलग बताता है। फिर भी, ये सच है कि RSS के विचारों ने भारतीय राजनीति को प्रभावित किया है।
इस विशेष आयोजन से पीएम मोदी और RSS दोनों ये संदेश देना चाहते हैं कि संगठन का योगदान राष्ट्र निर्माण में अमूल्य है। ये केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं होगा बल्कि राष्ट्रवाद और भारतीयता को मजबूत करने का प्रतीक भी बनेगा।
शताब्दी वर्ष का राष्ट्रीय महत्व
संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर देशभर में हजारों शाखाओं और आयोजनों की योजना बनाई गई है। इसमें
- सांस्कृतिक कार्यक्रम
- शैक्षिक सम्मेलन
- युवा सम्मेलन
- सेवा कार्य शामिल होंगे।
इससे संगठन अपने संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएगा।
RSS के 100 साल पूरे होना केवल संगठन का जश्न नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा और राष्ट्र निर्माण की कहानी है। पीएम मोदी द्वारा जारी होने वाला विशेष डाक टिकट और सिक्का इस ऐतिहासिक अवसर को और यादगार बना देगा। यह आयोजन भारत की राजनीतिक और सांस्कृतिक धारा में RSS की भूमिका को और गहराई से स्थापित करेगा।