Nepal Protests: सोशल मीडिया बैन पर Gen-Z का बवाल, संसद में घुसपैठ

नेपाल protests की सबसे बड़ी घटना तब हुई जब राजधानी काठमांडू के न्यू बानेश्वर इलाके में संसद भवन पर भीड़ ने कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद गेट नंबर 1 और 2 तोड़ दिए और सुरक्षा बलों से भिड़ते हुए परिसर के अंदर घुसने की कोशिश की।
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Nepal Protests : नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और इस समय हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। Gen-Z नाम के एक ग्रुप पर हंगामा करने का आरोप है। Nepal protests ने राजधानी काठमांडू की सड़कों को अशांत कर दिया है, जहां हजारों युवा प्रदर्शनकारी संसद भवन तक पहुंचने में सफल हो गए।

8 सितंबर 2025 को हुए नेपाल प्रदर्शन में संसद भवन परिसर के गेट तोड़े गए और इसके बाद पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी। नेपाल पुलिस की गोलीबारी में करीब 16 प्रदर्शनकारी मारे गए जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिससे पूरे देश में आक्रोश बढ़ा। नेपाल protests का यह उग्र रूप देश के इतिहास में पहली बार देखा गया जब संसद भवन के अंदर घुसपैठ करने की कोशिश की गई।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से गुस्साए युवा

नेपाल सरकार ने 3 सितंबर 2025 को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने का फैसला लिया था जिससे विरोध तेज हुआ। Nepal social media ban में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफॉर्म शामिल थे, जिससे युवा वर्ग बेहद नाराज हो गया। सरकार ने तर्क दिया कि बिना रजिस्ट्रेशन वाले प्लेटफॉर्म नेपाल में फेक आईडी, साइबर क्राइम और गलत सूचनाएं फैला रहे थे।

Gen Z के युवा, जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सक्रिय हैं, उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन शुरू किया। Nepal protests अब सोशल मीडिया बैन से आगे निकल चुके हैं और देश की राजनीति पर सीधा दबाव बना रहे हैं।

संसद भवन तक पहुंच गए प्रदर्शनकारी

नेपाल protests की सबसे बड़ी घटना तब हुई जब राजधानी काठमांडू के न्यू बानेश्वर इलाके में संसद भवन पर भीड़ ने कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद गेट नंबर 1 और 2 तोड़ दिए और सुरक्षा बलों से भिड़ते हुए परिसर के अंदर घुसने की कोशिश की। Nepal parliament protest ने प्रशासन को पूरी तरह से हिला दिया और हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस ने फायरिंग शुरू की।

नेपाल में पहली बार संसद भवन के अंदर युवाओं की घुसपैठ दर्ज हुई, जो लोकतंत्र और कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। Nepal protests को देखते हुए प्रशासन ने राजधानी काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट सेवाओं को भी सीमित कर दिया।

पुलिस को मिली गोली मारने की खुली छूट

काठमांडू प्रशासन ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए। Nepal police firing में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। Nepal curfew लागू होने के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर गया है और सेना को भी चौकसी के लिए तैनात कर दिया गया।

Nepal protests की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति आवास के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया लेकिन हालात धीरे-धीरे हिंसक रूप ले चुके हैं।

Gen Z और Millennials की साझा भूमिका

Nepal protests में सबसे ज्यादा सक्रियता Gen Z यानी 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए युवाओं की रही, जिनकी उम्र 18 से 28 है। ये युवा सोशल मीडिया और इंटरनेट की पीढ़ी हैं, जिनकी दिनचर्या पूरी तरह डिजिटल दुनिया से जुड़ी हुई मानी जाती है।

Nepal social media ban ने इस पीढ़ी को सीधा प्रभावित किया क्योंकि उनकी पढ़ाई, रोजगार और अभिव्यक्ति सोशल प्लेटफॉर्म पर आधारित है। Gen Z के साथ मिलेनियल्स यानी Gen Y भी आंदोलन में शामिल हुए, जिससे विरोध प्रदर्शन को और मजबूती मिली। Nepal protests इसलिए भी खास माने जा रहे हैं क्योंकि इसमें पहली बार युवा वर्ग ने लोकतांत्रिक संस्थानों को खुलकर चुनौती दी।

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Social Media पर बैन का कारण

नेपाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी सोशल मीडिया कंपनियों से 7 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया। 28 अगस्त 2025 को जारी आदेश के तहत सभी प्लेटफॉर्म को सूचना मंत्रालय में पंजीकरण करना था, जिसकी अंतिम तारीख 2 सितंबर थी।

Nepal social media ban इसलिए लागू किया गया क्योंकि फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन पूरा नहीं किया। नेपाल सरकार का कहना है कि बिना रजिस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म्स देश में हेट स्पीच और फेक न्यूज फैलाने का बड़ा स्रोत बन चुके हैं। टिकटॉक और वाइबर जैसी कंपनियों ने समय पर रजिस्ट्रेशन कर लिया, इसलिए उन पर बैन नहीं लगाया गया।

Nepal के इतिहास में बड़ा मोड़

Nepal protests ने देश की राजनीति और लोकतांत्रिक व्यवस्था को झकझोर दिया है क्योंकि पहली बार संसद भवन में घुसपैठ हुई। नेपाल में इस समय स्थिति बेहद असामान्य है और लोग इसे देश के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा संकट मान रहे हैं।

Nepal social media ban ने आम नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। नेपाल की विपक्षी पार्टियां भी सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही हैं और प्रदर्शनकारियों के साथ सहानुभूति जता रही हैं। Nepal protests अब सिर्फ सोशल मीडिया बैन का मामला नहीं रहा बल्कि यह लोकतांत्रिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता का संघर्ष है।

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आगे क्या होगा नेपाल में?

Nepal protests का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार बातचीत का रास्ता चुनती है या कड़े कदम उठाती है। नेपाल सरकार को समझना होगा कि सोशल मीडिया बैन ने युवा पीढ़ी को पूरी तरह नाराज कर दिया है। Nepal social media ban को हटाने की मांग और पारदर्शिता पर जोर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठने लगा है।

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने Nepal protests पर चिंता जताई है और शांति की अपील की है। नेपाल का यह संकट क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतंत्र की दिशा को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। Nepal protests ने साबित किया है कि युवा पीढ़ी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर समझौता नहीं करेगी।

Nepal social media ban हटाने की मांग अब पूरे देश में जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। नेपाल की संसद में घुसपैठ और पुलिस गोलीबारी लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। Nepal protests दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि डिजिटल स्वतंत्रता अब किसी भी समाज की बुनियादी जरूरत है। नेपाल सरकार को अब निर्णय लेना होगा कि वह युवा पीढ़ी के साथ संवाद करती है या दमन के रास्ते पर आगे बढ़ती है।

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Mohit Singh Author
Mohit Singh Chaudhary is a seasoned journalist with over 10 years of experience in the media industry. Throughout his career, he has worked with several reputed news organizations, including India News, Zee News, ANB National, Khabar Fast, Citizen Voice, OK India, HCN News, and VK News.
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